मंगलवार, 26 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. मध्यप्रदेश
  4. Sangh is doing direct work at more than 71 thousand places in the country
Written By
Last Modified: शनिवार, 18 मार्च 2023 (00:59 IST)

संघ देश में 71 हजार से ज्यादा स्थानों पर कर रहा है प्रत्यक्ष कार्य

संघ देश में 71 हजार से ज्यादा स्थानों पर कर रहा है प्रत्यक्ष कार्य - Sangh is doing direct work at more than 71 thousand places in the country
इंदौर। देश के प्रत्‍येक भाग में संघ कार्य में वृद्धि हो रही है। 2025 में संघ अपने स्थापना के 100 वर्ष पूरे करने जा रहा है। वर्तमान में संघ 71355 स्थानों पर प्रत्यक्ष तौर पर कार्य कर समाज परिर्वतन के महत्वपूर्ण कार्य में अपनी भूमिका निभा रहा है। अगले एक वर्ष तक एक लाख स्थानों तक पहुंचना संघ का लक्ष्य है। 
 
मालवा प्रांत संघचालक डॉ. प्रकाश शास्त्री एवं प्रांत कार्यवाह विनीत नवाथे ने बताया कि वर्ष 2020 में आई कोरोना आपदा के बाद भी संघ कार्य बढ़ा है। वर्ष 2020 में 38913 स्थानों पर 62491 शाखा, 20303 स्थानों पर साप्ताहिक मिलन व 8732 स्थानों पर मासिक मंडली चल रही थीं। 2023 में यह संख्या बढक़र 42613 स्थानों पर 68651 शाखाएं, 26877 स्थानों पर साप्ताहिक मिलन तथा 10412 स्थानों पर मासिक मंडली तक पहुंच गई है।
 
संघ दृष्टि से देशभर में 911 जिले हैं, जिनमें से 901 जिलों में संघ का प्रत्यक्ष कार्य चलता है। 6663 खंडों में से 88 प्रतिशत खंडों में, 59326 मंडलों में से 26498 मंडलों में संघ की प्रत्यक्ष शाखाएं लगती हैं। शताब्दी वर्ष में संघ कार्य को बढ़ाने के लिए संघ के नियमित प्रचारकों व विस्तारकों के अतिरिक्त 1300 कार्यकर्ता दो वर्ष के लिए शताब्दी विस्तारक निकले हैं। मध्‍यप्रदेश में वर्तमान में 7923 शाखाएं लग रही हैं। 
 
उन्होंने कहा कि आज संघ के प्रति लोगों की रुचि बढ़ रही है। देशभर में लोग संघ को ढूंढते हुए डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से संघ के साथ जुड़ने के लिए निवेदन कर रहे हैं। वर्ष 2017 से 2022 तक ज्वाइन आरएसएस के माध्यम से संघ के पास देशभर से 7,25,000 निवेदन आए हैं। इनमें से अधिकांश 20 से 35 आयु वर्ग के युवक हैं, जो समाज सेवा के लिए संघ से जुड़ना चाहते हैं। आगामी वर्ष की योजना में देशभर में संघ शिक्षण के 109 शिक्षण वर्ग लगेंगे, जिसमें लगभग 20 हजार स्वयंसेवकों के शिक्षण प्राप्त करने का अनुमान है। 
 
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा : राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक 12, 13 एवं 14 मार्च 2023 को हरियाणा प्रांत में सेवा साधना एवं ग्राम विकास केंद्र पट्टीकल्‍याणा, समालखा में संपन्‍न हुई। सरसंघचालक मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने प्रतिनिधि सभा का शुभारंभ किया। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में देशभर से 34 संगठनों के 1474 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
 
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का यह सुविचारित अभिमत है कि विश्व कल्याण के उदात्त लक्ष्य को मूर्तरूप प्रदान करने हेतु भारत के ‘स्व’ की सुदीर्घ यात्रा हम सभी के लिए सदैव प्रेरणास्रोत रही है। विदेशी आक्रमणों तथा संघर्ष के काल में भारतीय जनजीवन अस्त-व्यस्त हुआ तथा सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक व धार्मिक व्यवस्थाओं को गहरी चोट पहुंची।
 
इस कालखंड में पूज्य संतों व महापुरुषों के नेतृत्व में संपूर्ण समाज ने सतत संघर्षरत रहते हुए अपने ‘स्व’ को बचाए रखा। इस संग्राम की प्रेरणा स्वधर्म, स्वदेशी और स्वराज की ‘स्व’ त्रयी में निहित थी, जिसमें समस्त समाज की सहभागिता रही। स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के पावन अवसर पर सम्पूर्ण राष्ट्र ने इस संघर्ष में योगदान देने वाले जननायकों, स्वतंत्रता सेनानियों तथा मनीषियों का कृतज्ञतापूर्वक स्मरण किया है।
 
प्रतिनिधि सभा का मत है कि सुसंगठित, विजयशाली व समृद्ध राष्ट्र बनाने की प्रक्रिया में समाज के सभी वर्गों के लिए मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति, सर्वांगीण विकास के अवसर, तकनीक का विवेकपूर्ण उपयोग एवं पर्यावरणपूरक विकास सहित आधुनिकीकरण की भारतीय संकल्पना के आधार पर नए प्रतिमान खड़े करने जैसी चुनौतियों से पार पाना होगा।
 
राष्ट्र के नवोत्थान के लिए हमें परिवार संस्था का दृढ़ीकरण, बंधुता पर आधारित समरस समाज का निर्माण तथा स्वदेशी भाव के साथ उद्यमिता का विकास आदि उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए विशेष प्रयास करने होंगे। इस दृष्टि से समाज के सभी घटकों, विशेषकर युवा वर्ग को समन्वित प्रयास करने की आवश्यकता रहेगी।
 
संघर्षकाल में विदेशी शासन से मुक्ति हेतु जिस प्रकार त्याग और बलिदान की आवश्यकता थी; उसी प्रकार वर्तमान समय में उपर्युक्त लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए नागरिक कर्तव्य के प्रति प्रतिबद्ध तथा औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त समाजजीवन भी खड़ा करना होगा। इस परिप्रेक्ष्य में प्रधानमंत्री द्वारा स्वाधीनता दिवस पर दिए गए ‘पंच-प्रण’ का आह्वान भी महत्वपूर्ण है।
ये भी पढ़ें
अब जीतनराम मांझी बोले, कर्मकांड में राम से ज्यादा पारंगत था रावण