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Last Modified: बुधवार, 29 जनवरी 2025 (12:38 IST)

OBC आरक्षण पर HC के फैसले को कमलनाथ ने बताया कांग्रेस की जीत, सभी भर्तियों में 27% आरक्षण देने की मांग

OBC आरक्षण पर HC के फैसले को कमलनाथ ने बताया कांग्रेस की जीत, सभी भर्तियों में 27% आरक्षण देने की मांग - Politics on OBC reservation in Madhya Pradesh
भोपाल। मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट के बड़े फैसले के बाद अब प्रदेश में सियासत गर्मा गई है। सीनियर कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें राज्य शासन द्वारा प्रदेश में 27% ओबीसी आरक्षण देने के फैसले का विरोध किया गया था। यह कांग्रेस पार्टी की नीतियों की जीत है। मार्च 2019 में मैंने अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल में मध्य प्रदेश के ओबीसी समुदाय को 27% आरक्षण देने का प्रावधान किया था।

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा हाईकोर्ट के फैसले ने मेरी तत्कालीन सरकार के निर्णय को एक बार फिर सही साबित किया है। अब मध्य प्रदेश सरकार को तत्काल सभी स्तर पर 27% ओबीसी आरक्षण देना सुनिश्चित करना चाहिए। जबलपुर हाईकोर्ट से याचिका खारिज होने के साथ ही प्रदेश में 27% आरक्षण लागू करवाने के दरवाजे खुल गए हैं। मैं मुख्यमंत्री से आग्रह करता हूं कि तुरंत सभी भर्तियों में 27% ओबीसी आरक्षण लागू करने के प्रावधान किए जाएं। मैंने और कांग्रेस सरकार ने ओबीसी को जो 27 प्रतिशत आरक्षण का अधिकार दिया था उसे सुनिश्चित करना वर्तमान राज्य सरकार की जिम्मेदारी है।

क्या है जबलपुर हाईकोर्ट का आदेश?- मंगलवार को जबलपुर  हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की पीठ ने उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने के राज्य शासन के निर्णय को चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट के वकील रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि महाधिवक्ता के अभिमत के आधार पर  4 अगस्त 2023 को हाई कोर्ट ने सभी भर्तियों में 87:13 का फार्मूला लागू किया था। यह निर्णय राज्य में आरक्षण से संबंधित विवाद को हल करने और भर्ती प्रक्रिया को सही ढंग से शुरू करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ है।

कोर्ट के इस फैसले के साथ ही प्रदेश में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण का रास्ता साफ हो गया है। इसके अलावा, भर्तियों में 13 प्रतिशत आरक्षण पर जो रोक लगी हुई थी, उसे भी हटाया जाएगा। वकील रामेश्वर सिंह ठाकुर ने कहा कि हाईकोर्ट के इस निर्णय से अब ओबीसी आरक्षण के तहत 27 प्रतिशत आरक्षण लागू करके भर्तियों की प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ा सकती है। इससे ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों को बड़ा लाभ होगा, जो लंबे समय से अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे थे। सरकार को आरक्षण नीति के अंतर्गत काम करने में स्पष्टता मिलेगी और भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता तथा निष्पक्षता को बढ़ावा मिलेगा।

दरअसल हाईकोर्ट में यूथ फार इक्वलिटी द्वारा दायर याचिका में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि यह आरक्षण संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन करता है और समानता के अधिकार को प्रभावित करता है। हाई कोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए याचिका को अस्वीकार कर दिया। हाई कोर्ट ने मंगलवार को दिए गए आदेश में 4 अगस्त, 2023 के आदेश को रद्द करते हुए यह स्पष्ट किया कि ओबीसी आरक्षण पर कोई भी प्रतिबंध नहीं है। कोर्ट के इस फैसले के बाद राज्य में रुकी हुई सभी भर्तियों को फिर से शुरू करने का रास्ता साफ हो गया है।