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Last Modified: मंगलवार, 17 जून 2025 (16:25 IST)

मध्यप्रदेश में 9 साल बाद अधिकारियों-कर्मचारियों को मिलेगा प्रमोशन, 2 लाख खाली पदों पर होगी भर्ती

Madhya Pradesh News
भोपाल। मध्यप्रदेश में 9 साल बाद सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के प्रमोशन का रास्ता साफ हो गया है। मंगलवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में मध्यप्रदेश लोक सेवा पदोन्नति नियम, 2025 को मंजूरी मिल गई। कैबिनेट की बैठक के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि कैबिनेट की बैठक में 9 वर्षों से लंबित पदोन्नति के मामले का निराकरण किया गया। सरकार के इस फैसले के बाद  प्रदेश में कर्मचारियों की पदोन्नति से 2 लाख पद रिक्त होंगे। प्रदेश में पदोन्नति  से रिक्त होने वाले पदों पर नए सिरे से भर्ती की संभावनाएं बनेगी।

क्या है मध्यप्रदेश लोक सेवा पदोन्नति नियम- 2025?- कैबिनेट की बैठक में जिस लोक सेवा पदोन्नति नियम को मंजूरी मिली है, उसमें अनुसूचित जनजाति के लिये 20% एवं अनुसूचित जाति के लिये 16% आरक्षण का प्रावधान किया गया है। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोकसेवकों को भी मेरिट के आधार पर पदोन्नति प्राप्त करने का अवसर दिया गया है।

वर्तमान वर्ष में ही आगामी वर्ष की रिक्तियों के लिए पदोन्नति समिति की बैठक कर चयन सूची बनाये जाने का प्रावधान किया गया है। पदोन्नति के सूत्र में वरिष्ठता का पर्याप्त ध्यान रखा गया है। वरिष्ठ लोक सेवकों में से मेरिट के अनुसार न्यूनतम अंक लाने वाले लोक सेवक पदोन्नति के लिए पात्र होंगे, प्रथम श्रेणी के लोक सेवकों के लिए merit cum seniority का प्रावधान किया गया है।

पदोन्नति के सूत्र में कार्यदक्षता को प्रोत्साहित किया जाना लक्षित है, पदोन्नति के लिए अपात्रता का स्पष्ट निर्धारण किया गया है। किन परिस्थितियों में कोई लोक सेवक अपात्र होगा एवं दण्ड का क्या प्रभाव होगा यह स्पष्ट रूप से लेख किया गया है। किसी भी विभागीय पदोन्नति समिति बैठक के सन्दर्भ में निर्णय के पुनर्विलोकन के लिए रिव्यू डी.पी.सी. की बैठक आयोजित किये जाने के लिये स्पष्ट प्रावधान किये गये है। नवीन पदोन्नति नियमो में परिभ्रमण की व्यवस्था समाप्त की गई है। इससे पदोन्नति के लिए अधिक पद हो सकेंगे। पदोन्नति समिति को शासकीय सेवक की उपयुक्तता निर्धारण करने का अधिकार दिया गया है

चतुर्थ श्रेणी के लिये अंक व्यवस्था नहीं होगी, केवल पदोन्नति के लिए उपयुक्त होने पर ही पदोन्नति प्राप्त हो सकेगी। अर्हकारी सेवा के लिए किसी वर्ष में की गई आंशिक सेवा को भी पूर्ण वर्ष की सेवा माना जायेगा, यदि वर्ष के एक भाग की सेवा भी की गई है तो उसे पूर्ण वर्ष की सेवा माना जाएगा। यदि किसी वर्ष में 6 माह का ही गोपनीय प्रतिवेदन उपलब्ध है तो उसे पूर्ण वर्ष के लिये मान्य किया जा सकेगा। यदि गोपनीय प्रतिवेदन उपलब्ध नहीं होने के कारण किसी की पदोन्नति रुकती है तो उसे पदोन्नति प्राप्त होने पर पूरी वरिष्ठता दी जायेगी। अप्रत्याशित रिक्तियों को चयन सूची/प्रतीक्षा सूची से भरे जाने का स्पष्ट प्रावधान किया गया है।

प्रतिनियुक्ति पर भेजे गए शासकीय सेवक (जो आगामी वर्ष अर्थात पदोन्नति वर्ष में उपलब्ध नहीं होंगे) के पद के विरुद्ध पदोन्नति का प्रावधान किया गया है। गोपनीय प्रतिवेदनों में से यदि कोई गोपनीय प्रतिवेदन एन.आर.सी (नो रिपोर्ट सर्टिफिकेट), सक्षम स्तर से स्वीकृत अवकाश, पदग्रहण काल अथवा प्रशिक्षण के कारण है अथवा गोपनीय प्रतिवेदन में निर्धारित समय पर स्वमूल्यांकन के साक्ष्य है तो ऐसी स्थिति में गोपनीय प्रतिवेदन की अनुपलब्धता के आधार पर पदोन्नति नहीं रोकी जायेगी।

विभागीय पदोन्नति समिति के बैठक से पूर्व केवल कारण बताओ सूचना पत्र के आधार पर बंद लिफाफा की कार्यवाही नहीं की जायेगी, जिससे अधिक लोक सेवकों को पदोन्नति के अवसर प्राप्त होंगे। कुल मिलाकर पदोन्नति के पद जिस दिन उपलब्ध हो उसी दिन उपयुक्त योग्य एवं आरक्षित वर्गों के प्रतिनिधित्व को ध्यान में रखकर भरे जा सके। इस तरह से लगभग 2 लाख नए पद निर्मित होंगे। इससे प्रशासन में सुधार एवं कार्यक्षमता बढ़ेगी।