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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : शनिवार, 2 मई 2020 (14:21 IST)

शर्मनाक : श्रमिक स्पेशल ट्रेन में मजदूरों से वसूले गए टिकट के पैसे

शर्मनाक : श्रमिक स्पेशल ट्रेन में मजदूरों से वसूले गए टिकट के पैसे - Migrants workers tickets charged in  Shramik special trains
भोपाल। लॉकडाउन में पिछले 40 दिनों से नसिक में फंसे मजूदरों को वापस लाने के लिए भोपाल तक जो ट्रेन चलाई गई थी उसमें यात्रियों से पैसे वसूलने का शर्मनाक मामला सामने आया है। नसिक से भोपाल पहुंचे प्रवासी मजदूरों ने बताया के उनसे यात्रा के लिए टिकट के पैसे लिए गए। 
 
लॉकडाउन के बीच शनिवार सुबह मिसरोद रेलवे स्टेशन पर नसिक से करीब चार सौ मजूदरों को लेकर श्रमिक स्पेशल ट्रेन पहुंची। जहां पर सभी यात्रियों की स्क्रीनिंग करने के बाद उनको बसों से उनके गृह शहर रवाना कर दिया। स्टेशन पहुंचे मजदूरों ने कहा कि उनसे इस यात्रा के लिए जो टिकट दिया गया उसके पैसे भी लिए गए, जबकि पहले से ही रोजगार छीनने के चलते वह तंगी हालात में जी रहे थे। 
 
भोपाल पहुंचे मजदूरों ने कहा कि लॉकडाउन में रोजगार छीनने के बाद से वह अपने घर वापस लौटना चाह रहे थे, इस बीच कुछ मजदूर जब पैदल ही अपने घर लौटने लगे तो नसिक में स्थानीय प्रशासन ने उनको क्वारेंटाइन सेंटर में रख दिया था। 
कोरोना संकट और उसके बाद हुए लॉकडाउन ने पहले से ही मजूदरों को दाने - दाने के लिए मोहताज कर दिया है ऐसे में उनसे घर वापसी के लिए टिकट के  पैसा वसूलना कई सवाल खड़े कर रहा है। सवाल यह भी है कि जब मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार खुद आगे बढ़कर दूसरे राज्य में फंसे मजदूरों को लाने की पहल कर रही है तब उनसे इस यात्रा का पैसा वसूलना कितना उचित है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद मजदूरों को हर संभव सहायता  देने का आश्वासन दे चुके है और लॉकडाउन के दौरान ही राज्य के बाहर फंसे प्रवासी मजदूरों के खाते में शिवराज सरकार ने एक-एक हजार रुपए डाले थे।   
 
मजूदरों से टिकट के पैसा वसूलना सरकार के उन नियमों को धज्जियां उड़ता है जिसमें उसने मजूदरों से पैसा नहीं वसूलने की बात की थी। लॉकडाउन के बीच राज्यों के अनुरोध पर चलाई गए श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने पर रेलवे ने साफ किया था कि यात्रियों को रेलवे से कुछ भी खरीदने की जरूरत नहीं है राज्य सरकार उनकी ओर से समन्वय स्थपाति करेगी। यह राज्य सरकारों पर निर्भर होगा कि वह श्रमिकों से किराया लेती है या नहीं।  
 
 
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