RGPV घोटाले में फरार कुलपति के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी, जांच में कई नए खुलासे
भोपाल। मध्यप्रदेश की बड़ी टेक्निकल यूनिवर्सिटी में शामिल राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में 19.48 करोड़ की आर्थिक अनियमितता के मामले में फरार चल रहे पूर्व कुलपति सुनील कुमार गुप्ता, तत्कालीन रजिस्ट्रार राकेश सिंह राजपूत सहित तत्कालीन वित्त नियंत्रक के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया गया है। इसके साथ इन सभी पर भोपाल पुलिस ने 3-3 हजार का इनाम भी घोषित किया है। वहीं पूरे मामले में आरोपी पूर्व कुलपति सुनील कुमार गुप्ता और तत्कालीन रजिस्ट्रार राकेश सिंह राजपूत की अग्रिम जमानत याचिका भी कोर्ट से खारिज हो गई है।
पूरे मामले में नए खुलासे-यूनिवर्सिटी के तत्कालीन कुलपति सुनील कुमार गुप्ता की अग्रिम जमानत याचिका का विरोध करते हुए एसआईटी ने कोर्ट में कई नए खुलासे किए। एसआईटी ने कोर्ट में बताया कि पूरे मामले में गिरफ्तार आरोपी मंयक ने पूछताछ में बताया कि तत्कालीन रजिस्ट्रार आरएस राजपूत के कहने पर उन्होंने तत्कालीन कुपपति के लिए एप्पल कंपनी का मैकबुक खरीदा था जिससे एक बुटिक में महिला को दिया गया था। इसके साथ एसआईटी जांच में खुलासा हुआ है कि यूनिवर्सिटी से जुड़े कई बिल आरोपी मयंक को भेजे गए थे।
क्या है पूरा मामला-पूरा मामला राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के 19.48 करोड़ रुपये निजी बैंक खाते में भेजने और 25-25 करोड़ की चार एफडी आरबीएल निजी बैंक में फर्जी दस्तावेज तैयार कर रखने सहित अन्य वित्तीय अनियमितता से जुड़ा है। यूनिवर्सिटी में करोड़ों का गबन के आरोप में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के आदेश पर कुलपति समेत 8 के खिलाफ FIR दर्ज की गई।
यूनिवर्सिटी के तत्कालीन कुलपति प्रो. सुनील कुमार, तत्कालीन रजिस्ट्रार आरएस राजपूत, तत्कालीन वित्त नियंत्रक ऋषिकेश वर्मा, लाभार्थी मयंक कुमार और दलित संघ सोहागपुर और चार अन्य के खिलाफ भोपाल के गांधी नगर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया है। इसमें पुलिस मयंक कुमार को गिरफ्तार कर चुकी है। पुलिस में दर्ज एफआईआर के मुताबिक यूनिवर्सिटी ने भोपाल और पिपरिया के एक निजी बैंक में नियमों को ताक पर रख एफडी कार्रवाई। विश्विद्यालय की ओर आरबीएल (निजी बैंक) की पिपरिया शाखा में आरजीपीवी के 100 करोड़ रुपये की एफडी बनवाकर जमा किए गए हैं। जिस आरबीएल की शाखा में रुपये जमा किए गए हैं, वह बैंक की बहुत छोटी शाखा है, लेकिन आरजीपीवी के कुलपति और तत्कालीन रजिस्ट्रार ने बैंक के फर्जी स्टेटमेंट तैयार करवाकर बैंक को फायदा पहुंचाने के लिए विवि की राशि के 25-25 करोड़ की चार एफडी बनवाकर पिपरिया शाखा में जमा कराई।
इसके साथ ही एक एनजीओ को भी अनियमितता बरतते हुए करीब नौ करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। वहीं पूरे मामले में तकनीकी शिक्षा विभाग ने शिकायत के बाद तीन सदस्यीय समिति जांच के लिए गठित की थी. समिति ने शनिवार को अपनी रिपोर्ट दी। इसमें यूनिवर्सिटी के 19.48 करोड़ रुपये आपराधिक षड्यंत्र कर निजी खातों में ट्रांसफर करने की पुष्टि हुई थी।