इंदौर के योगगुरु कृष्णा मिश्रा का नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में
इंदौर। सातवें विश्व योग दिवस के उपलक्ष्य में शहर के कृष्णा मिश्रा (कृष्णा गुरुजी) द्वारा अपने देश-विदेश के साथियों के साथ सम्पूर्ण विश्व को 'योगा फॉर वेलनेस' का संदेश एक अद्भुत अंदाज़ में दिया। इस ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन विश्व के प्रथम सूर्योदय स्थान और से लेकर अंतिम सूर्यास्त स्थान के समय तक किया गया। इस आयोजन के लिए कृष्णा मिश्रा का नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है।
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की योग यात्रा न्यूजीलैंड के गिसवोर्न में विश्व के प्रथम सूर्योदय की पहली किरण के साथ आरंभ हुई जिसमें सुमन कपूर ने वहां से सूर्योदय दर्शन करवाए। प्रभात वंदना सिएटल अमेरिका से कृष्णन जी ने की और योग गीत कृष्ण गुरुजी ने गाकर आसन प्राणायाम के साथ इस योग यात्रा का शुभारंभ किया। अगला सत्र चंडीगढ़ के दिव्यांग फौजी भाइयों के लिए हुआ, जिसमें योग फॉर वेलनेस का संदेश आसन-प्राणायाम के साथ दिया गया।
आध्यात्मिक नगरी उज्जैन के त्रिवेणी शनि नवग्रह मंदिर के बटुक ब्राह्मण भी इस ऑनलाइन योग दिवस यात्रा का हिस्सा बने। इसके पश्चात अनेकानेक सत्र अनवरत पूरे दिन तक चलते रहे जिसमें कोरोना योद्धा, सीएचएल हॉस्पिटल एवं दिव्यांगजन, रोटरी क्लब मंडल और फाइनेंशियल प्रोफेशनल शामिल हुए। इस कार्यक्रम का समापन सत्र योग प्राक्षिक संजीव चतुर्वेदी (बैंकॉक, भारतीय एंबेसी के पूर्व राजदूत) के सान्निध्य में हुआ।
इस आयोजन का अंतिम सत्र 22 जून को 2.14 सुबह IST ओस्लो-नॉर्वे में हुआ जहां सूर्यास्त दर्शन अविनाश बोथली ने करवाए। इस सतत चलने वाले ऑनलाइन योग दिवस समारोह में भारत, न्यूजीलैंड, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया, सिंगापुर, दुबई, थाईलैंड, इंग्लैंड, नॉर्वे आदि देशों के योग साधक एवं डिवाइन एस्ट्रो हीलिंग परिवार के लोग शामिल थे।
इस प्रकार योग का यह संदेश योग दिवस के दिन विश्व में सूर्योदय से सूर्यास्त तक चला और जिसे गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में सबसे अधिक दूरी वाले योग दिवस समारोह (17 हजार 478 किलोमीटर) के रूप में दर्ज किया गया। इस आयोजन के लिए गिनीस बुक्स और वर्ल्ड बुक ऑफ लंदन में भी इस रिकॉर्ड का दावा प्रस्तुत किया गया है|
योगगुरु कृष्ण गुरुजी ने बताया कि हर वर्ष योग दिवस पर योग का संदेश कुछ अलग तरीके से पेश करने का उनका जुनून एक बार फिर रंग लाया। उनके इस अनोखे योग दिवस समारोह की श्रृंखला में गत वर्षों में उन्होंने इसका आयोजन चलती ट्रेन में, भिक्षुकों के साथ, उड़ते हवाई जहाज में, एयरपोर्ट पर, कैलाश मानसरोवर में सबसे अधिक ऊंचाई पर, अमेरिका में चलते क्रूज पर और किन्नरों के साथ किया है।