कोरोना की बढ़ती रफ्तार के बीच वैक्सीन का टोटा, केंद्र की दो टूक, राज्य खुद खरीदें टीका
भोपाल। देश में एक बार फिर कोरोना के मामलों में तेजी से बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। देशभर में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 11,692 नए केस सामने आए हैं, वहीं देश में कोरोना के कुल एक्टिव केसों की संख्या 66,170 पहुंच गई है। बीते कुछ दिनों से देश में एक दिन में 10 हजार से अधिक कोरोना के नए केस आ रहे है। देश के आठ राज्यों केरल, दिल्ली, महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और राजस्थान में कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी से बढ़ोत्तरी देखी जा रही है।
कोरोना के बढ़ते संक्रमण ने एक बार फिर लोगों की चिंता बढ़ा दी है। कोरोना के हल्के लक्षणों के साथ पीड़ितों की संख्या में लगातार इजाफे ने देश के कई राज्यों में मास्क की वापसी कर दी है। वहीं कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर एक बार बैठकों को दौर शुरु हो गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय की उच्चस्तरीय बैठक में कोरोना संक्रमण की समीक्षा करने के साथ कोरोना से लड़ाई के सभी इंतजामों खासकर कोरोना वैक्सीन पर भी बड़े फैसले किए गए।
राज्य सीधे खरीदेंगे कंपनियों से वैक्सीन-देश में कोरोना के बढ़ते मामलों के बाद एक बार फिर सरकार का ध्यान कोरोना वैक्सीनेशन की ओर गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों से सीधे वैक्सीन खरीदने की छूट दे दी है। कोरोना के बढ़ते मामलों की समीक्षा के लिए बुलाई गई उच्चस्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया। नए फैसले के बाद अब कोरोना वैक्सीन की खरीद के लिए अब राज्यों को केंद्र सरकार की अनुमति नहीं लेनी होगी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि वे फार्मा कंपनी से टीका सीधे बिना किसी पूर्व अनुमति के खरीद सकते हैं। इसी तरह प्राइवेट अस्पताल भी सीधे कंपनियों से कोविड वैक्सीन खरीद सकते है। वहीं कोरोना वैक्सीनेशन पहले से तय गाइडलाइन के अनुसार ही होगा।
मध्यप्रदेश में नहीं है कोरोना वैक्सीन- केंद्र सरकार ने भले ही राज्यों को सीधे कोरोना वैक्सीन खरीदने की छूट दे दी हो लेकिन देश के कई राज्यों में कोरोना वैक्सीन नहीं है। मध्यप्रदेश में बीते 6 फरवरी से कोरोना वैक्सीन का स्टॉक खत्म हो चुका है और अभी कोरोना वैक्सीन खरीदने में सरकार ने कोई रूचि भी नहीं दिखा रही है। कोरोना वैक्सीन का नया स्टॉक नहीं मांगने का कारण अधिकारी वैक्सीन की डिमांड नहीं होना बता रहे है। कोरोना संक्रमण की दर कम होने और लक्षणों के हल्का होने के बाद लोगों में वैक्सीनेशन के प्रति कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई दे रही है। वैक्सीनेशन से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक लोगों को बूस्टर डोज नहीं लगाने की वजह कोरोना बीमारी का एपिडेमिक रुप में होना और संक्रमित व्यक्तियों में हल्के लक्षण के साथ होम आइसोलेशन में ठीक होना है।
मध्यप्रदेश में 25% लोगों को लगा बूस्टर डोज-अगर मध्य प्रदेश में अब तक हुए कोरोना वैक्सीनेशन के आंकड़ों पर नजर डाले तो प्रदेश में प्रदेश में कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लेने वालों की संख्या 6 करोड़ 7 लाख से अधिक लोगों ने ली थी। वहीं वैक्सीनेशन के पात्र मात्र 25 फीसदी (25.6%) लोगों ने प्रिकॉशन डोज ली है। वहीं कोरोना वैक्सीन का प्रिकॉशन डोज लेने वालों की कुल संख्या एक करोड़ 39 लाख से कुछ अधिक है। जिसमें 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की संख्या में लगभग 39 लाख और और 18 से 59 आयु वर्ग के लोगों की संख्या एक करोड़ के करीब है।
अगर देश में कोरोना वैक्सीनेशन आंकड़ों पर नजर डालें तो देश में बूस्टर डोज लेने वालों की संख्या काफी कम है। अगर स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों को देखा जाए तो देश में बूस्टर डोज लगाने वालों की संख्या पहली डोज लगाने वालों की तुलना में मात्र 27 फीसदी लोगों ने प्रिकॉशन डोज ली है। कोविन के आंकड़ों के मुताबिक देश में मात्रा 22 करोड़ 72 लाख लोगों ने वैक्सीन का प्रिकॉशन डोज लिया है। ऐसे में अब जब कोरोना संक्रमण के बाद फिर तेजी से बढ़ने लगा है, तब सरकार भले ही अलर्ट हो गई हो लेकिन लोग अभी भी कोरोना को लेकर उतने फिक्रमंद नहीं दिख रहे है।