गुरुवार, 28 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. मध्यप्रदेश
  4. Amitabh Bachchan bhawana somaaya
Written By
Last Updated : शनिवार, 30 दिसंबर 2017 (17:05 IST)

जब मैंने ‍अमितजी से कहा, क्या आप कैसेट बदल देंगे...

जब मैंने ‍अमितजी से कहा, क्या आप कैसेट बदल देंगे... - Amitabh Bachchan bhawana somaaya
भावना सोमैया जितनी अच्छी फिल्म समीक्षक हैं, उतने ही रोचक तरीके से अपनी बात भी रखती हैं। इंदौर लिटरेचर फेस्टीवल में एक सत्र के दौरान चर्चा करते हुए उन्होंने श्रोताओं को कई बार गुदगुदाया भी। इस दौरान उन्होंने अपनी जीवन और फिल्म पत्रकार के रूप में 38 साल के करियर के बारे में खुलकर भी चर्चा की। 
 
उन्होंने चर्चा की शुरुआत इंदौर से ही की। उन्होंने कहा कि यहां की सड़कें साफ हैं। हवा भी साफ है। यहां के लोग भी उतने ही अच्छे हैं, बंबई में तो काटने को दौड़ते हैं। वहां मौजूद बच्चों की ओर मुखातिब होते हुए भावना जी ने कहा कि बच्चों को सबसे ज्यादा ध्यान अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए। फिर देखना चाहिए कि उनकी रुचि डांस, म्यूजिक या फिर किस चीज में है। समय के बाद उनके माता-पिता को भी पता चल जाएगा कि उन्हें क्या करना चाहिए। क्योंकि बहुत सारी चीजें एक साथ नहीं हो सकतीं। 
 
खुद के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि मैंने लॉ और पत्रकारिता की पढ़ाई एक साथ की थी। मैं लेखक और पत्रकार बनना चाहती थी, जबकि मेरे पिता चाहते थे कि मैं वकील बनूं। क्योंकि उनका मानना था कि पत्रकारिता के क्षेत्र में ज्यादा पैसा नहीं है। जब मैंने लेखन को अपने पेशा बनाया तो इससे उन्हें काफी निराशा भी हुई। 
 
बहुत ही रोचक अंदाज में उन्होंने बताया कि मुझे पहला जॉब फिल्म पत्रकार का मिला, लेकिन परिवार वाले आसानी से तैयार नहीं हुए। संपादक से बात करने के बाद ही मेरी मां बड़ी मुश्किल से मानीं। फिर भी उन्होंने शर्त रखी कि मैं शाम छह बजे के बाद काम नहीं करूंगी, रणजीत और अमजद खान जैसे खलनायकों के इंटरव्यू नहीं करूंगी। परंपरागत परिवार होने के नाते हम पर घर में नजर भी रखी जाती थी।
 
 
हालांकि आज हालात बदल गए हैं। अब बाहर भी जाती हूं, शाम छह बजे के बाद इंटरव्यू भी करती हूं और पार्टियों में भी जाती हूं। वे कहती हैं कि मैं काम करना नहीं चाहती थी, लेकिन चीजें अपने आप होती हैं। ऊपर वाला जो चाहता है वही होता है। उन्होंने कहा कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती। मेरी हिन्दी कमजोर थी, लेकिन रेडियो के लिए मैंने हिन्दी सीखी। इतना ही नहीं हाल ही में मैंने भरत नाट्‍यम सीखा और स्टेज पर प्रस्तुति भी दी। 
 
खुद पद्‍मश्री मिलने के बारे में उन्होंने बताया कि मैंने सुना है कि इसके लिए काफी प्रयास करने पड़ते हैं, लेकिन मैंने ऐसा कुछ नहीं किया। मुझे ये भी नहीं मालूम कि मैं इसके लायक हूं भी या नहीं। जिस समय पद्‍मश्री से नवाजे जाने का समाचार मिला मैं ऋतिक रोशन की काबिल और एक अन्य बड़ी फिल्म की समीक्षा लिखने में व्यस्त थी, इसलिए मैंने सूचना प्रसारण मंत्रालय का फोन भी काफी समय तक नहीं उठाया था। बाद में सिर्फ उन्हें शुक्रिया कह पाई। 
फिल्म वालों का नमक : पहले ऐसी धारणा थी कि यदि हम फिल्म के सेट पर कुछ खा लेंगे तो उनके समर्थन में लिखना पड़ेगा। यदि उनके खिलाफ लिखते थे कि कलाकर नमक हराम कहते थे। एडिटर्स भी सेट पर कुछ खाने के लिए मना करते थे। इसलिए मैं चाय ज्यादा पीती थी ताकि भूख नहीं लगे। आज के पत्रकारों को नसीहत देते हुए सोमैया कहती हैं कि वे कलाकारों और फिल्मकारों से व्यक्तिगत संबंध नहीं बनाते, जबकि हम कलाकारों को जानते थे और वे भी हमें अच्छे से जानते थे। 
 
ऐसे हैं अमिताभ बच्चन : अमिताभ बच्चन के संबंध में चर्चा करते हुए सोमैया कहती हैं कि वे भी हमारे जैसे सामान्य इंसान ही हैं। चूंकि आम आदमी और उनके बीच दूरियां होती हैं इसलिए वे नॉर्मल नजर नहीं आते। अमिताभ से जुड़े प्रसंग का उल्लेख करते हुए भावना जी ने कहा कि मुझे तकनीक की ज्यादा समझ नहीं है। एक बार मैं अमितजी का साक्षात्कार कर रही थी। बीच में टेप रिकॉर्डर रखा हुआ था। मुझे नहीं मालूम था कि कैसेट कैसे बदली जाती हैं। जैसे ही एक तरफ से कैसेट पूरी हुई मैंने कहा कि क्या आप कैसेट बदल देंगे? उन्होंने कैसेट को पलट दिया। एक बार फिर मैंने ऐसा ही कहा। इस पर अमितजी ने कहा कि तुमको क्या लगता है कि मुझे नहीं मालूम कि तुम्हें कैसेट लगाना नहीं आता। 
 
अमिताभ बच्चन पर तीन किताबें लिख चुकीं भावनाजी ने कहा कि अमिताभ पर मेरे पास इतनी सामग्री थी कि एक किताब पर प्रकाशित हो सकती थी। मैंने पूरी सामग्री अमितजी को बताई तो वे थोड़े उदास हो गए। जब मैंने उनसे कहा कि आप इसे देख लें यदि इसमें कुछ भी आपत्तिजनक होगा तो आप इसे नष्ट भी कर सकते हैं क्योंकि मेरे पास इसकी दूसरी कॉपी नहीं है। लेकिन, उसे पढ़ने के बाद उन्होंने सहर्ष पुस्तक प्रकाशित करने की अनुमति दे दी। 
 
मेरा पहला इंटरव्यू : मुझे सबसे पहले उस जमाने के सुपर सितारे राजेश खन्ना का इंटरव्यू लेने के लिए भेजा गया। उस दौर में सभी लोग राजेश खन्ना से डरते थे, लेकिन परिस्थितियां ऐसी बनीं कि मैं उनका साक्षात्कार ले पाई। इतना ही नहीं मैंने उनकी उम्र के आखिरी दौर में इंटरव्यू किया, जब जन्मदिन पर कोई उन्हें फूल भी नहीं भेजता था। 
 
शशि कपूर जैसा कोई नहीं : हाल ही में दिवंगत शशि कपूर के संबंध में भावनाजी ने कहा कि उनके जैसा कोई नहीं है। उनका इंटरव्यू करने के लिए तो महिला पत्रकारों में होड़ रहती थी, साथ ही इसके लिए तो वे लड़ भी पड़ती थीं। वे बहुत प्यार से मिलते थे। उनसे तो पूरी फिल्म इंडस्ट्री ही प्यार करती थी। वे हमें उठने-बैठने से लेकर किसी शब्द को कैसे बोलना है यह भी सिखाते थे। उन्होंने जुनून, विजेता और उत्सव जैसी सार्थक फिल्में भी बनाईं साथ ही पृथ्वी थियेटर को भी जिंदा रखा। 
 
शशि से जुड़े एक प्रसंग को याद करते हुए भावनाजी ने कहा कि उनसे मुलाकात के दौरान भारत भूषण जी आए तो उन्होंने पूछा कि क्या इन्हें जानती हो तो मैंने कहा कि कभी मिली नहीं। इस पूरे उन्होंने कहा कि मिली नहीं से क्या मतलब, क्या वे तुमसे मिलेंगे। चलो उनसे नमस्कार करो। फिर वे मुझे सेट पर ले गए और मैंने सबका अभिवादन किया। इस सत्र को अपर्णा कपूर ने मॉडरेट किया।