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Written By ND

न हजारी हारे न सरताज

न हजारी हारे न सरताज -
फसलों के जरिए सोना उगलने वाले सिवनी मालवा इलाके में इस बार कांग्रेस और भाजपा दोनों को ही अपने वोटों की फसल लहलहाने के लिए कड़कड़ाती सर्दी में पसीना बहाना पड़ रहा है। यह लाजिमी भी है, क्योंकि पहली बार दो अजेय प्रत्याशियों के बीच मुकाबला है।

हजारीलाल इसलिए अजेय हैं, क्योंकि वे 1977 की जनता लहर के बाद से कभी नहीं हारे हैं। इसी तरह सरताजसिंह होशंगाबाद की लोकसभा सीट के अजेय योद्धा हैं। दोनों नेताओं के लंबे संसदीय कार्यकाल के बीच चुनाव नहीं लड़ने के मौके जरूर आए हैं। अब तक हजारीलाल रघुवंशी विधानसभा चुनाव आसानी से जीतते आए हैं तो लोकसभा में सरताजसिंह सिवनी मालवा विधानसभा सीट से आरामदायक बढ़त हासिल करते रहे हैं। लेकिन इस बार सिवनी मालवा का मुकाबला दिलचस्प बना है, तो इसकी वजह यही कि ये दोनों दिग्गज पहली बार आमने-सामने होंगे।

सरताज होशंगाबाद सीट से पाँचवीं बार सांसद हैं, लिहाजा इलाके की तासीर और कार्यकर्ताओं पर उनकी पकड़ लाजवाब है। इसीलिए उनके साथ काम करने में भाजपा कार्यकर्ताओं का उत्साह देखने काबिल है। भाजपा के पिटने की वजह प्रेमशंकर वर्मा को टिकट देने के अलावा यह भी रही है, क्योंकि भाजपा में अंदरुनी लड़ाई बहुत ज्यादा रही है।

यहाँ भाजपा प्रेमशंकर वर्मा और योगेन्द्र मंडलोई के धड़ों में बँटी है। भाजपा नेताओं का अब दावा है कि सरताज के नाम पर सब एक हो गए हैं, लेकिन कुछ कार्यकर्ता अब भी भाजपा की एकता की नाव में छेद देख रहे हैं। हालाँकि भाजपा ने प्रेमशंकर वर्मा को चुनाव के ठीक पहले ही निगम अध्यक्ष का पद देकर 'संतुष्ट' करने का प्रयास किया था।

दूसरी तरफ कांग्रेसी हजारीलाल रघुवंशी के करिश्मे पर आश्वस्त हैं। शायद इसीलिए कांग्रेस की कोई बड़ी सभा भी यहाँ नहीं हुई। वे इस बार भी चुनाव में पूरे दमखम से डटे हैं। रोज दर्जनभर सभाएँ कर रहे हैं, लेकिन इस बार उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती भाजपा द्वारा की गई घेराबंदी को तोड़ने की है।

सिवनी मालवा नगर पालिका, जनपद, सहकारी बैंक पर भाजपा नेताओं का ही कब्जा है। फिर भाजपा ने उनको घेरने हेतु नवजोतसिंह सिद्धू की सभाएँ भी कराई हैं। हालाँकि रघुवंशी का हौसला कायम है तो इसकी कई वजहें हैं। तीखड गाँव के प्रदीप मेहतो कहते हैं- हजारीलाल को ही लीड मिलेगी, हालाँकि सरताजसिंह के आने से लीड का अंतर कम हो जाएगा। इसी गाँव के बुजुर्ग कहते हैं कि मुकाबला जोरदार है लेकिन दादा भारी पड़ेंगे।

सरताज की चुनौती से दादा को राहत दी है उमा भारती की भाजश के लोवंशी समाज के प्रत्याशी सत्यनारायण लोवंशी ने। दादा के खिलाफ कई बार चुनाव लड़ चुके प्रेमशंकर वर्मा भी इसी समाज से हैं। लेकिन बसपा ने हरिशंकर पटेल को उतारकर कांग्रेस के खेमे में चिंता पैदा की है। फिर गोंडवाना भी है। गोंगपा के बदामीलाल के साथ समाजवादी जन परिषद के फागराम ने कांग्रेस के चुनावी समीकरणों को उलझाया है।

भाजपा के जिला मंत्री सुमेरसिंह रघुवंशी व नगर अध्यक्ष श्याममोहन शुक्ला का दावा है कि हर बार दो-ढाई हजार के अंतर से जीत-हार का फैसला करने वाली यह सीट इस बार 10 हजार से अधिक अंतर से फैसला करेगी। पलड़ा भाजपा के पक्ष में झुकेगा। वे कहते हैं कि कांग्रेस ने इलाके में भय व आतंक का माहौल बनाकर रखा है। इस बीच सिवनी के सरकारी अस्पताल के सामने पिंडखजूर बेचने वाले ओमप्रकाश कुशवाह का कहना है- 'कोई कुछ भी कह ले, लेकिन दावा तो कर ही नहीं सकता।' (नईदुनिया)