मतगणना के लिए आई गोपनीय सील
जिले की नौ विधानसभा सीटों पर 8 दिसंबर को होने वाली मतगणना के लिए भारत निर्वाचन आयोग ने दिल्ली से गोपनीय सील भेजी है। इन सीलों का उपयोग मतगणना के दौरान मशीनों व पेटियों की सिलिंग के लिए किया जाएगा।चुनाव में आयोग की सीलों का विशेष महत्व होता है। इन सीलों की मुहर लगने के बाद सक्षम न्यायालय के आदेश पर ही पेटियाँ खोली जाती हैं। पीतल की 9 सीलें आयोग ने दिल्ली से भेजी हैं। इन्हें गोपनीय सील कहा जाता है। इस मोहर का उपयोग न हो तो निर्वाचन सामग्री सील नहीं मानी जाती है।48
घंटे में भेजना आवश्यक : गोपनीय सीलों को मतगणना के 48 घंटों के भीतर फिर आयोग को भेजना जरूरी होता है। इसके लिए शासकीय डाक सेवा का उपयोग किया जाता है। यदि तय समय के भीतर सील पते पर न पहुँचे तो फिर संबंधित अधिकारियों से कारण पूछा जाता है। लापरवाही पाए जाने पर कार्रवाई भी हो सकती है। इन सीलों को मतगणना अवधि तक संभलकर रखने व उपयोग के लिए 9 अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है। उन अधिकारियों के नाम भी आयोग को भेजे गए हैं। (नईदुनिया)