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Written By ND
Last Modified: दंतेवाड़ा , शुक्रवार, 20 मार्च 2009 (10:49 IST)

अब सरकार से बातचीत नहीं

सरकार नहीं चाहती शांति बहाली

अब सरकार से बातचीत नहीं -
नक्सलियों ने अब सरकार से बातचीत करने से इनकार कर दिया है। भाकपा माओवादी दरभा डिविजनल कमेटी के सचिव गणेश उइके ने कहा कि सरकार की मंशा प्रदेश में शांति बहाली की नहीं है। बातचीत की पेशकश को ठुकराकर सरकार ने अपने इरादे जाहिर कर दिए।

नक्सल कमांडर ने कहा कि हमने शांति के लिए वार्ता की पेशकश की थी मगर सरकार ने कोई गंभीरता नहीं दिखाई। सीजफायर व पुलिस में नई भर्ती बंद करने की शर्तों की अनदेखी करते हुए सरकार हमें घेरने का प्रयास कर रही है। हमारी चार शर्तों में से एक भी शर्त नहीं मानकर सरकार ने अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है।

उन्होंने कहा कि जनता का ध्यान बँटाने के लिए सरकार समस्या बनाए रखना चाहती है। नक्सली तालिबान या रामसेना जैसे कट्टर नहीं हैं विकास कार्यों का वे कभी भी विरोध नहीं करते।

बस्तर में ब्लैक आउट करने से आम जनता को होने वाली परेशानी को देखते हुए संगठन ने ब्लैकआउट पर अपनी गलती मानते हुए जनपितुरी सप्ताह के दौरान संभाग को इससे दूर रखने का फैसला किया है।

लघु उद्योगों को समर्थन : कमांडर ने कहा कि नक्सलियों की औद्योगिक घरानों का विरोध की नीति जारी रहेगी। बड़े उद्योग विदेशी पूँजी लगाकर पूँजीवाद को बढ़ावा देते हैं।

राजनीतिक पार्टियाँ भी उनकी पिठ्ठू बनी हुई है। उद्योगों को लेकर लोगों का विस्थापन गलत है। उन्होंने कहा कि नक्सली लघु उद्योगों का समर्थन करेंगे जिसमें स्थानीय संसाधन व पूँजी का उपयोग होगा। मशीन की जगह हाथों को काम मिले। विस्थापन से पहले व्यवस्थापन की बात को उन्होंने आवश्यक बताया।

चुनाव बहिष्कार का ऐलान : नक्सलियों ने आम चुनाव का उग्र व हिंसक विरोध करने का आह्‍वान किया है। कमांडर ने कहा है कि किसी भी दल को गाँव में घुसने की इजाजत नहीं दी जाएगी। कांग्रेस व भाजपा को भगाया जाएगा। सीपीआई को भी प्रचार नहीं करने दिया जाएगा।

सीपीआई के साथ खुद के संबंधों को नकारते उन्होंने कहा कि बंगाल में वामपंथी सरकार ही नक्सलियों पर दमन अभियान चला रही है। सीपीआई के साथ अगर समर्थन की बात होती तो विधानसभा चुनाव के नतीजे ऐसे नहीं होते।-अनिल मिश्रा (नईदुनिया)