प्यार में कमियों को भी स्वीकारें
मानसी
हेलो दोस्तो! कई बार आप ऐसे लोगों से आजिज आ जाते हैं जो अपना गुस्सा या प्यार जस का तस आपके सामने उड़ेल देते हैं। अगर आप पर प्यार आया तो अपनी भावना इस प्रकार प्रदर्शित करते हैं कि समझ में नहीं आता कि उसके बदले आप अपना प्यार किस प्रकार पेश करें। उनकी गर्मजोशी, उतावलापन, अपनापन, समर्पण, खुलापन आपको खुशी व आनंद से भर देता है। उस प्यार की बारिश में सराबोर होना आपको बहुत अच्छा लगता है और आप भी अपना ठंडेपन वाला अंदाज त्याग कर उनके रंग में रंगने की कोशिश करते हैं पर उस समय आप हक्के-बक्के से रह जाते हैं जब किसी बात से नाराज होकर सामने वाला उसी तूफानी अंदाज में आप पर बरस पड़ता है। उसकी जुबान से इतने खरे-खोटे शब्द निकलते हैं कि आपके लिए उन शब्दों को सुन पाना भी अत्यंत कष्ट भरा लगता है। आप विश्वास नहीं कर पाते हैं कि इस शख्स के भीतर आपके बारे में इतने गंदे, भयानक, अपमानजनक विचार थे। आप असमंजस में पड़ जाते हैं कि क्या यह संभव है कि जिसके दिल में इतना गुबार भरा हो वह कभी प्यार का सागर लेकर खड़ा हो आपको लगता है यह रिश्ता आगे नहीं चल सकता है पर इस खौफनाक भावनात्मक तूफानी हमले के बाद थोड़ा समय ही बीतता है और आप उस व्यक्ति को और भी शिद्दत से चाहने लगते हैं। दरअसल, उसके बाद वह व्यक्ति बेहद सहज, सामान्य सा व्यवहार करने लगता है। आपको ठेस पहुंची है इसके लिए मांफी मांगता है।धीरे-धीरे आपको भी यकीन हो जाता है कि सच यही है कि उसके भीतर का सब कुछ पारदर्शी है। पर, इस रस्साकशी में आपको यही महसूस होता रहता है कि अगर व्यक्ति थोड़ा व्यावहारिक हो और अपना प्यार व गुस्सा दोनों ही संतुलित व सहज ठंग से व्यक्त करता तो कितना अच्छा होता। पर आप उस समय और भी विचलित हो जाते हैं जब साथी किसी मामूली मतभेद के बाद उस विषय पर बात करने से कतराता है। उस विषय को बदलकर वह अन्य बातें करता है पर दिल खोलकर अपनी नाराजगी नहीं दिखाता। वह एक गांठ जो वह अपने दिल में रखता है उसे वह कभी खोलना नहीं चाहता है। उस एक गांठ के कारण सहज, सामान्य प्रेम अचानक औपचारिकता मात्र लगने लगता है। उस औपचारिकता से उपजे प्रेम में इतनी घुटन भरी होती है कि उस रिश्ते का रहना या न रहना एक समान लगता है। प्यार की बारिश में सराबोर होना आपको बहुत अच्छा लगता है पर उस समय आप हक्के-बक्के से रह जाते हैं जब किसी बात से नाराज होकर सामने वाला उसी तूफानी अंदाज में आप पर बरस पड़ता है।
ऐसे ही औपचारिक संबंध की घुटन से परेशान हैं सचिन (बदला हुआ नाम)। मैनेजमेंट की पढ़ाई करने वाले सचिन को ऐसी लड़की से प्रेम हो गया जो आगरा में एक होटल में काम करती है। पूरे एक वर्ष तक दोनों प्यार में डूबे रहे पर एक छोटी सी तकरार के बाद प्यार में वह सहजता नजर नहीं आती जो पहले थी। दरअसल, सचिन ने अपनी दोस्त की मेल पर किसी तीसरे व्यक्ति के दोस्ताना पत्र को देखकर पूछताछ कर डाली। उससे उसकी दोस्त थोड़ी खफा हो गई। उस तकरार के बाद से सचिन जब भी उस विषय पर बात करना चाहता है तो वह बड़ी उदासीनता से टाल देती है। उस विषय पर वह अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाती है। यूं तो सचिन को उसका यह सुलझा हुआ व्यवहार समझदारी भरा लगना चाहिए। उसे उस रवैये से राहत मिलनी चाहिए पर ऐसा नहीं हुआ। सचिन यह सोचकर बेकरार हो जाता है कि उसके दिल में क्या है। पर उसकी दोस्त कभी भी अपना विचार उसके सामने व्यक्त नहीं करती है।एक गंभीर और लंबा रिश्ता केवल मीठी-मीठी बातें करने का नाम नहीं है। व्यक्तित्व के हर पहलू के साथ आत्मसात करने के बाद ही कोई रिश्ता संपूर्ण कहलाता है और उस पर भरोसा होता है। दो भिन्न शहरों में रहते हुए किसी के स्वभाव को पूरी तरह जान पाना संभव नहीं है। अलग रहते हुए जिस प्रकार की दोस्ती होती है उसमें केवल सतही स्वभाव ही सामने आ पाता है। हर व्यक्ति की फितरत में कई प्रकार की पेचीदिगियां होती हैं जो समय पर परिस्थितियों के अनुसार उजागर होती हैं। और, ऐसे ही हालात में स्वभाव का विभिन्न रूप से दो-चार होने का मौका मिलता है। जिसके कारण सामने वाले की शख्सियत की बारीकी को समझना आसान हो जाता है। कई बार बिल्कुल ही उलट कल्पना के विपरीत स्वभाव से आपका सामना होता है। तब आप विचलित तो होते हैं पर उस नए रूप से परिचित होकर उससे संवाद भी बनाते हैं। थोड़ी तकरार, बहस के बाद उस स्वभाव को जीवन में शामिल करते हुए गाड़ी आगे निकल पड़ती है। पर, दूर रहने पर बहुत सारी बातों को रोज-रोज सुलझाना मुश्किल है। मन में आई कड़वाहट दूर करनी मुश्किल हो जाती है। आपकी दोस्त यदि उस विषय पर बात नहीं करना चाहती है, इसका मतलब यही हुआ कि अभी वह आपको इतना निकट नहीं मानती है। दूसरा, वह अपने लिए थोड़ा स्पेस चाहती है यानी उसकी अपनी निजी जिंदगी भी होनी चाहिए। यदि इस रिश्ते को बनाए रखना है तो आपको उस घटना को भूलना पड़ेगा। एक बात और याद रखनी होगी कि अभी इस रिश्ते को परिपक्व होने में बहुत समय लगने वाला है। इसलिए, जल्दबाजी में जीवनभर की कसमें खाना नादानी होगी।