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Written By वार्ता

राजसमंद क्षेत्र में जातीय समीकरण की भूमिका

राजसमंद क्षेत्र
राजस्थान में आगामी सात मई को होने वाले लोकसभा चुनावों में राजसमंद संसदीय क्षेत्र में जातीय समीकरण चुनाव परिणाम में अहम भूमिका निभाएँगे।

परिसीमन के बाद श्रीनाथजी और द्वारकाधीश की नगरी नाथद्वारा-कांकरोली से अस्तित्व में आए राजसमंद लोकसभा क्षेत्र के रावत मतदाताओं को लेकर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने चुनावी चौसर पर रावत और राजपूत जाति का चुनावी पत्ता चल दिया है। इस कारण कांग्रेस ने अपने सामान्य कार्यकर्ता राजपूत उम्मीदवार गोपालसिंह शेखावत और भाजपा ने रावत प्रत्याशी अजमेर के सांसद रासासिंह रावत को इस क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतारा है।

कांग्रेस के स्थानीय कार्यकर्ता रावत बहुल सीट पर राजपूत उम्मीदवार को पचा नहीं पा रहे हैं। मेवाड़ और मारवाड़ के क्षेत्रों से बनी राजसमंद सीट में नागौर (अजमेर) राजसमंद और पाली जिलों की विधानसभा क्षेत्रों को शामिल किए जाने के बाद वह संभवत: राजस्थान का सबसे लम्बा क्षेत्र बन गया है।

भाजपा ने रावत मतदाताओं की बहुलता को देखते हुए अजमेर के दमदार सांसद को चुनावी मैदान में उताकर कांग्रेस के शेखावत के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।