अस्पताल में इलाज करवा रहे केंद्रीय मंत्री प्रियरंजन दासमुंशी की छवि और परिसीमन से पश्चिम बंगाल के रायगंज लोकसभा सीट का बदला समीकरण कांग्रेस के लिए एक बड़ा मुद्दा है जबकि माकपा को जनता से जुड़ाव वाला प्रत्याशी नहीं होने का नुकसान हो सकता है।
1999 में रायगंज उत्तरी बंगाल में शामिल हुआ तथा केंद्रीय मंत्री प्रियरंजन दासमुंशी दो बार यहाँ से सांसद रहे हैं। 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्हें 39157 वोटों से विजय मिली थी। परिसीमन के बाद हिम्मतबाद तथा चकुलिया दो विधानसभा रायगुंज में जुड़ गई हैं तथा कालीगुंज पहले से ही इस क्षेत्र में है जो उससे पहले बलुरघाट क्षेत्र में था।
उल्लेखनीय है कि सात विधानसभा सीटों में से तीन कालीगंज, इस्लामपुर तथा करणदिघी पर माकपा और उसकी सहयोगी पार्टियों का कब्जा है जबकि रायगंज और गोलपोखर कांग्रेस के कब्जे में हैं। इनमें से एक सीट का दासमुंशी की पत्नी दीपा दासमुंशी प्रतिनिधित्व कर रही हैं जो इस बार रायगंज से कांग्रेस की उम्मीदवार हैं। हिम्मतबाद तथा चकुलिया नव सृजित विधानसभा सीट हैं।
इस सीट से भाजपा प्रत्याशी गोपेशचंद्र सरकार समेत 12 प्रत्याशी मैदान में हैं। इस चुनाव में कांग्रेस को नुकसान का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि परिसीमन से रतुआ तथा हरिशचंद्रपुर सीट मालदा सीट में मिल गई हैं। इन क्षेत्रों से 2004 के चुनाव में दासमुंशी को बढ़त मिली थी।
गौरतलब है कि दासमुंशी के अस्पताल में भर्ती होने तथा चुनाव नहीं लड़ने के कारण कांग्रेस ने इस बार रायगंज से उनकी पत्नी को अपना उम्मीदवार बनाया है। परिसीमन के बाद बदले समीकरण से माकपा खुश है तथा उसे इसका लाभ होने का अनुमान है।