क्या है फॉर्म 17-C जो कांग्रेस अपने हर पोलिंग एजेंट को काउंटिंग से पहले देगी?
भोपाल। लोकसभा चुनाव में वोटिंग के आंकड़े को लेकर मचे सियासी घमासान के बीच सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को मतदान खत्म होने के 48 घंटे के भीतर वोटिं का अंतिम आंकड़ा और मतदान का रिकार्ड यानि फॉर्म 17c को वेबसाइट पर अपलोड करके सार्वजनिक करने का आदेश देने से इनकार कर दिया।
इस बीच मध्यप्रदेश कांग्रेस आज अपने पोलिंग एजेंट को भोपाल में ट्रेनिंग देने जा रही है। इसके साथ पार्टी अब हर लोकसभा सीट पर यह सुनिश्चित कर रही है कि मतगणना के दिन हर टेबल पर तैनात पोलिंग एजेंस के पास पहले से फॉर्म 17C उपलब्ध है, इसको लेकर पीसीसी चीफ ने उम्मीदवारों और जिला कांग्रेस अध्यक्ष को पत्र लिखा है। इसके साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने पार्टी उम्मीदवारों और जिला अध्यक्षों को निर्देश दिए है कि पोलिंग एजेंट मतगणना के दिन काउंटिंग शुरु होने से पहले ईवीएम और वीवीपैट के नंबरों की जांच करने के साथ काउंटिंग से जुड़ी हर बरीकियों पर पूरी नजर रखने के निर्देश दिए है। कांगेस ने अपने हर एजेंट को अंतिम रिजल्ट घोषित होने तक काउंटिंग स्थल पर डटे रहने के निर्देश दिए है।
क्या होता है फॉर्म 17C?- चुनाव आयोग जो भारत में कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स 1961 के तहत चुनाव प्रक्रिया का संचालन करता है, वह वोटिंग के दिन प्रत्येक पोलिंग बूथ पर दो प्रकार के फॉर्म उपलब्ध कराता है, जिनमें वोटरों का डेटा होता है। इसमें एक होता है फॉर्म 17A और दूसरा होता है फॉर्म 17C।
फॉर्म 17A में पोलिंग ऑफिसर पोलिंग बूथ पर वोट डालने आने वाले हर वोटर की डिटेल दर्ज करता है,जबकि फॉर्म 17C में मतदान खत्म होने के बाद पोलिंग बूथ पर ही वोटर टर्नआउट का डेटा दर्ज किया जाता है। फॉर्म 17C में एक बूथ पर कुल रजिस्टर्ड वोटर्स और वोट देने वाले वोटर्स का डेटा होता है। इसी से पता चलता है कि पोलिंग बूथ पर कितने प्रतिशत वोटिंग हुई।
फॉर्म 17C पर प्रत्याशियों की ओर से बनाए गए पोलिंग एजेंट के साइन होते है और फॉर्म 17C की एक कॉपी हर उम्मीदवार के पोलिंग एजेंट को भी दी जाती है। चुनाव के दौरान धांधली और EVM से छेड़छाड़ रोकने के लिए फॉर्म 17C जरूरी होता है। फॉर्म 17C के दो भाग होते हैं. पहले भाग में तो वोटर टर्नआउट का डेटा भरा जाता है. जबकि दूसरे भाग में काउंटिंग के दिन रिजल्ट भरा जाता है। काउंटिंग वाले इसी में पोलिंग बूथ पर उम्मीदवार को मिलने वोटर की डिटेल दर्ज की जाती है।
वोटिंग परसेंट पर क्यों मचा घमासान?- देश में सात चरणों में हो रहे लोकसभा चुनाव में अब तक पांच चरण की वोटिंग हो चुकी है। 2019 की तुलना में इस बार जहां हर चरण वोटिंग प्रतिशत कम रहा है। वहीं वोटिंग के कई दिनों बाद चुनाव आयोग की ओर से वोटिंग के फाइनल आंकड़े जारी करने को लेकर सवाल उठ रहे है। चुनाव आयोग ने पहले चरण की वोटिंग प्रतिशत का फाइनल डेटा 11 दिन बाद जारी किया। इसके बाद चुनाव आयोग ने दूसरे चरण की वोटिंग के बाद वोटिंग प्रतिशत के फाइनल आंकड़े चार दिन बाद जारी किए।
19 अप्रैल को पहले चरण की वोटिंग वाले दिन शाम 7.55 बजे चुनाव आयोग ने प्रेस रिलीज जारी कर बताया कि शाम 7 बजे तक 102 सीटों पर 60% से ज्यादा वोटिंग हुई। वहीं 26 अप्रैल को दूसरे चरण की वोटिंग वाले दिन रात 9 बजे चुनाव आयोग ने प्रेस रिलीज जारी की, इसमें बताया कि दूसरे चरण में 60.96% वोटिंग हुई। इसके बाद 30 अप्रैल को चुनाव आयोग ने पहले चरण और दूसरे चरण के वोटिंग प्रतिशत का फाइनल डेटा जारी किया। इसमें बताया कि पहले चरण में 66.14% और दूसरे चरण में 66.71% वोटिंग हुई। इस तरह चुनाव आयोग ने तीसरे और चौथे चरण की वोटिंग का फाइनल आंकड़ा चार दिन बाद जारी किया, इसी को लेकर अब सवाल उठ रहे है।