Lok Sabha Election 2024: रामपुर (Rampur) की सियासत का कभी पर्याय रहा नवाब खानदान (Nawab family) इस बार लोकसभा चुनाव (Lok Sabha) में अलग-अलग पार्टियों के साथ निष्ठा निभा रहा है। इस प्रभावशाली खानदान ने अब तक हुए 17 लोकसभा चुनावों में रामपुर को 9 बार सांसद दिए हैं लेकिन इस दफा चुनाव में उसकी सक्रियता बेहद सीमित है।
इतिहास पर नजर डालें तो रामपुर नवाब खानदान का यहां की सियासत में वर्चस्व वर्ष 1957 में हुए लोकसभा चुनाव में इस परिवार के दामाद एस. अहमद मेहंदी की जीत के साथ शुरू हुआ। रामपुर खानदान के नवाब पूर्व विधायक नवाब काजिम अली ने बताया कि मेहंदी लखनऊ के पास स्थित पीरपुर तालुके के राजा थे। वह उनकी सगी फूफी के शौहर थे। वर्ष 1962 में वह लगातार दूसरी बार रामपुर से कांग्रेस के सांसद चुने गए थे।
9 बार रामपुर सीट पर नवाब खानदान का प्रतिनिधित्व रहा : उसके बाद नवाब काजिम अली के पिता जुल्फिकार अली खां 1967, 1971, 1980, 1984 और 1989 के लोकसभा चुनाव में रामपुर से कांग्रेस के टिकट पर विजयी हुए। इसके अलावा उनकी पत्नी बेगम नूर बानो 1996 और 1999 में रामपुर से कांग्रेस की सांसद रहीं। कुल मिलाकर 17 लोकसभा चुनाव में 9 बार रामपुर सीट पर नवाब खानदान का प्रतिनिधित्व रहा।
नवाब खानदान हमेशा कांग्रेस के साथ रहा : लंबे अरसे तक रामपुर की सियासत में वर्चस्व बनाकर रखने वाला नवाब खानदान हमेशा कांग्रेस के साथ रहा लेकिन इस बार वह अलग-अलग पार्टियों के प्रति निष्ठा में बंटा हुआ है। जहां पूर्व सांसद बेगम नूर बानो कांग्रेस और सपा की मौजूदगी वाले इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (इंडिया) गठबंधन के उम्मीदवार मोहिबुल्लाह नदवी का समर्थन कर रही हैं, वहीं उनके पौत्र हैदर अली खां उर्फ हमजा मियां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ हैं।
नवाब खानदान की सक्रियता लगभग न के बराबर : नवाब खानदान द्वारा अलग-अलग दलों की हिमायत किए जाने के बारे में पूछे गए सवाल पर नवाब काजिम अली ने कहा कि मेरी मां पूर्व सांसद बेगम नूर बानो कांग्रेस में हैं। जाहिर है कि वह गठबंधन प्रत्याशी का समर्थन करेंगी। इसके अलावा मेरे बेटे नवाब हैदर अली खां भाजपा में हैं तो वह भाजपा उम्मीदवार का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि फिलहाल वह किसी का समर्थन नहीं कर रहे हैं। वह इन दिनों औरंगाबाद में है और वोट डालने के लिए रामपुर नहीं आ पाएंगे। लोकसभा चुनाव में इस बार नवाब खानदान की सक्रियता लगभग न के बराबर है।
रामपुर नवाब खानदान की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाएंगे : खानदान की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने का जिम्मा अब मुख्य रूप से नवाब काजिम अली के बेटे हैदर अली खां पर है जिन्होंने पिछले दिनों भाजपा के सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) से निष्कासित किए जाने के बाद भाजपा का दामन थामा है।
हैदर अली खां का कहना है कि वह रामपुर नवाब खानदान की राजनीतिक विरासत को जरूर आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा कि नवाब खानदान की सियासी विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी बहुत बड़ी है। हैदर ने 2022 में उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में रामपुर की स्वर टांडा सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें आजम खां के बेटे और सपा उम्मीदवार अब्दुल्लाह आजम से पराजय का सामना करना पड़ा था।
उन्होंने स्वीकार किया कि पिछले कुछ चुनाव में उनका प्रदर्शन आशा के अनुरूप नहीं रहा लेकिन वह मैदान नहीं छोड़ेंगे और अपने खानदान की पुरानी सियासी पहचान को फिर से कायम करेंगे। इस बार लोकसभा चुनाव में अपनी कम सक्रियता के बारे में पूछे जाने पर हैदर ने कहा कि कुछ पारिवारिक मसलों की वजह से ऐसा हुआ है लेकिन वह पिछले दो-तीन दिनों से भाजपा के लिए प्रचार कर रहे हैं।
रामपुर लोकसभा क्षेत्र मुस्लिम बहुत इलाका : रामपुर लोकसभा क्षेत्र एक मुस्लिम बहुत इलाका है। यहां तकरीबन 17 लाख 31 हजार मतदाता हैं। ताजा आंकड़ों के अनुसार इनमें से करीब 50.10 प्रतिशत मुस्लिम और 49.90 प्रतिशत गैर मुस्लिम हैं। मुसलमान मतदाताओं में शेख, अंसारी और पसमांदा मुसलमान कुल 27 प्रतिशत हैं। इसके अलावा तुर्क 9.5 प्रतिशत, पठान 9 प्रतिशत और अन्य 4.5 प्रतिशत हैं। हिन्दू मतदाताओं में दलित और सैनी मतदाता 9-9 प्रतिशत, लोध 8 प्रतिशत, ठाकुर 5 प्रतिशत, यादव और ब्राह्मण 4-4 प्रतिशत, सिख 3 प्रतिशत और जैन तथा ईसाई कुल 0.5 प्रतिशत हैं।
19 अप्रैल को मतदान होगा : रामपुर सीट पर लोकसभा चुनाव के पहले चरण में आगामी 19 अप्रैल को मतदान होगा। रामपुर लोकसभा क्षेत्र में 5 विधानसभा क्षेत्र हैं जिनमें बिलासपुर, रामपुर सदर और मिलक सीटों पर भाजपा का और स्वार टांडा सीट भाजपा के सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) का कब्जा है। जिले की चमरौवा सीट सपा के पास है।(भाषा)
Edited by : Ravindra Gupta