लोकसभा चुनाव में MP में मोदी के गारंटी के साथ विधायकों का दलबदल और नोटा का मुद्दा रहा छाया
भोपाल। मध्यप्रदेश में आज लोकसभा चुनाव का चुनावी शोर थम जाएगा। प्रदेश में चौथे और आखिरी चरण में 13 मई को आठ लोकसभा सीटों पर मतदान होगा। प्रदेश में लगभग दो महीने चले चुनाव प्रचार में जहां भाजपा पीएम मोदी के चेहरे और गारंटी पर चुनाव लड़ती नजर आई। भाजपा पूरे चुनावी अभियान में मोदी की गारंटी के साथ परिवारवाद, विरासत टैक्स और तुष्टीकरण के मुद्दें पर कांग्रेस को घेरती आई वहीं कांग्रेस न्याय गारंटी और महिलाओं को एक लाख रूपए सलाना देने के साथ चुनाव में स्थानीय मुद्दों को हवा देने की पूरी कोशिश की।
1-मोदी की गारंटी बनाम कांग्रेस की न्याय गारंटी-लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में मोदी की गारंटी और मोदी का चेहरा ही भाजपा का मुख्य मुद्दा रहा। भाजपा मोदी के गारंटी के साथ एमपी के मन में मोदी के मुद्दें पर सभी 29 सीटों पर चुनाव लड़ती आई। भाजपा ने चुनाव में केंद्र सरकार की योजनाओं के हितग्राहियों को टारगेट तक उनसे सीधा संवाद स्थापित किया। इसके साथ भाजपा ने हर लोकसभा सीट पर मोदी सरकार में उज्ज्वला, आयुष्मान, प्रधानमंत्री आवास योजना, नलजल योजना जैसी लोकलुभावनी योजना को टारगेट किया और उनके हितग्राहियों से सीधे भाजपा को वोट देने की अपील की। दूसरी और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र पर फोकस किया। कांग्रेस ने न्याय गारंटी के साथ हर साल महिलाओं को एक लाख रुपए देने के साथ बेरोजगारी औ महंगाई जैसे मुद्दों पर चुनाव में जोर शोर से उठाने की कोशिश की।
2-भाजपा के उम्मीदवारों की घेराबंदी-लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने भाजपा के उम्मीदवारों की घेराबंदी कर चुनाव को स्थानीय बनाने की पुरजोर कोशिश की। उदाहरण के तौर पर राजगढ़ लोकसभा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार दिग्गिवजय सिंह ने भाजपा उम्मीदवार और वर्तमान सांसद रोडमल नागर की क्षेत्र में निष्क्रियता को मुख्य मुद्दा बना डाला। राजगढ़ में रोडमल नागर के खिलाफ एंटी इंकमबेंसी का फायदा भी उठाने की दिग्विजय सिंह ने पूरी कोशिश की। इसके साथ मुरैना लोकसभा पर भाजपा उम्मीदवार शिवमंगल सिंह तोमर और मंडला में भाजपा उम्मीदवार फग्गन सिंह कुलस्ते की निष्क्रयता को भी कांग्रेस ने खूब मुद्दा बनाया।
3-इंदौर में नोटा बना मुद्दा- लोकसभा चुनाव में वैसे तो पार्टियां मुद्दों पर चुनाव लड़ते है लेकिन मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर में चुनाव में नोटा मुद्दा बन गया। संभवत लोकसभा चुनाव में पूरे देश में इंदौर एक मात्र सीट होगी जहां पर नोटा चुनाव में मुद्दा बन गया। दरअसल इंदौर में कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम के भाजपा में शामिल होने के बाद चुनावी मैदान से बाहर होने वाली कांग्रेस ने नोटा को मुद्दा बना और इंदौर के लोगों से नोटा पर वोट करने की अपील की है।
4-विधायकों का दलबदल सुर्खियों में रहा- लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस विधायकों का दल बदल भी सुर्खियों में छाया रहा। चुनाव के दौरान सागर की बीना विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे मुरैना के विजयपुर से कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत और छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक कमलेश शाह भाजपा में शामिल हुए। कांग्रेस विधायकों के साथ हजारों की संख्या में कांग्रेस के नेता औऱ कांगेस के महापौर भाजपा में शामिल हुए जिससे पूरे चुनाव के दौरान कांग्रेस बैकफुट पर दिखाई दी।
5-हिंदुत्व और भोजशाला का मुद्दा- लोकसभा चुनाव में हिंदुत्व और भोजशाला का मुद्दा भी खूब हावी रहा। चुनाव के एलान के साथ इंदौर हाईकोर्ट के आदेश पर धार के भोजशाला का सर्वे शुरु होने से मालवा-निमाड की 8 लोकसभा सीटों पर यह चुनावी मुद्दा बन गया। इसके साथ राममंदिर के सहारे भाजपा ने हिंदुत्व के मुद्दें को चुनाव में खूब जोर शोर से उठाया।