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Last Modified: बुधवार, 3 अप्रैल 2024 (12:30 IST)

राजगढ़ में EVM की जगह बैलेट से चुनाव कराने का दिग्विजय सिंह का नया दांव

राजगढ़ में EVM की जगह बैलेट से चुनाव कराने का दिग्विजय सिंह का नया दांव - Digvijay Singh new bet to conduct elections through ballot instead of EVM in Rajgarh.
ईवीएम पर लगातार सवाल उठाने वाले मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अब ईवीएम से चुनाव नहीं कराने की एक नई काट निकाली है। मध्यप्रदेश की राजगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह अब चुनाव प्रचार के दौरान लोगों से चुनाव लड़ने की अपील करते हुए 400 से अधिक नामांकन दाखिल करने की अपील कर रहे है।

चुनावी सभा में दिग्विजय सिंह मंच से लोगों से पूछ रहे है कि वह क्या चाहते हैं, चुनाव ईवीएम से हो या मतपत्र से। जैसे ही लोग मतपत्र से चुनाव की बात कहते है दिग्विजय सिंह कहते हैं कि इसके लिए एक ही रास्ता है अगर चुनाव के लिए 400 से अधिक लोग नामांकन करे। मैं इसके लिए तैयारी कर रहा हूं। सामान्य वर्ग के उम्मीदवार को 25,000 रुपये की जमानत राशि जमा करनी होगी, जबकि आरक्षित श्रेणियों के लोगों को 12,500 रुपये जमा करने होंगे।

दिग्विजय सिंह ने यह भी दावा किया कि 400 से अधिक उम्मीदवार होने पर राजगढ़ में मतपत्र के माध्यम से चुनाव होंगे। वह कहते है कि प्रत्येक ईवीएम में प्रति निर्वाचन क्षेत्र नोटा सहित अधिकतम 384 उम्मीदवार हो सकते हैं। एक बैलेट यूनिट में नोटा सहित कुल 16 उम्मीदवार आ सकते हैं और 24 ऐसी बैलेट यूनिट को एक साथ नियंत्रण इकाई से जोड़ा जा सकता है।

राजगढ़ में दांव पर दिग्विजय की प्रतिष्ठा-दरअसल राजगढ़ लोकसभा सीट के पहचान पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के गढ़ के रूप में होती रही है। मध्यप्रदेश की सियासत में राजा के नाम से पहचाने जाने वाले दिग्विजय सिंह राघौगढ़ रियासत से ताल्लुक रखते है, जो राजगढ़ संसदीय क्षेत्र में आती है। 1984 में दिग्विजय सिंह पहली बार राजगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव जीते थे। वहीं 1991 में दिग्विजय सिंह आखिरी बार राजगढ़ लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे। करीब तीस साल (1984 से 2014) 2014 तक राजगढ़ लोकसभा सीट कांग्रेस के गढ़ के रूप में पहचानी जाती थी तो इसका कारण दिग्विजय सिंह ही थे। दिग्विजय सिंह खुद दो बार राजगढ़ लोकसभा सीट से सांसद चुने गए तो उनके भाई लक्ष्मण सिंह पांच बार सांसद चुने गए।

2014 में मोदी लहर में राजगढ़ के किले पर भाजपा ने अपना कब्जा जमाया। 2014 और 2019 में लगातार दो बार भाजपा प्रत्याशी रोडमल नागर ने राजगढ़ लोकसभा सीट पर जीत हासिल की। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी रोडमल नागर ने दिग्विजय सिंह के करीबी नारायण सिंह आमलाबे को दो लाख से अधिक वोटों से हराया। वहीं 2019 लोकसभा चुनाव में एक बार फिर भाजपा प्रत्याशी रोडमल नागर ने दिग्विजय सिंह के करीबी मोना सुस्तानी को चार लाख से अधिक वोटों से हराया।

चुनाव प्रचार की स्पेशल रणनीति- मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस उम्मीदवार दिग्विजय सिंह ने राजगढ़ लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए स्पेशल रणनीति बनाई है। जिसके तहत वह राजगढ़ लोकसभा सीट की सभी विधानसभा में पदयात्रा कर रहे। दिग्विजय सिंह की पदयात्रा के द्वारा हार विधानसभा के वोटर्स से जनसंपर्क कर रहे हैं। इतना ही नहीं दिग्विजय सिंह के साथ पार्टी कार्यकर्ता भी अलग-अलग क्षेत्रों में पदयात्रा के जरिए वोटर्स से जनसंपर्क कर रहे है।

 

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