छिंदवाड़ा को 'कमल' नहीं कमलनाथ पसंद, भाजपा के लिए जीत हासिल करना टेढ़ी खीर
छिंदवाड़ा। आजादी के बाद से ही कांग्रेस का गढ़ रही मध्यप्रदेश की छिंदवाड़ा संसदीय सीट पर पिछले 4 दशक से कमलनाथ का कब्जा है और राज्य के मुख्यमंत्री बन जाने के बाद वे इस बार भले ही लोकसभा चुनाव नहीं लड़ें, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए यहां जीत हासिल करना टेढ़ी खीर साबित होगी।
कमलनाथ 1980 में यहां से पहली बार जीत हासिल कर लोकसभा में पहुंचे थे। वे इस सीट से 9 बार चुनाव जीत चुके हैं। पिछले चुनाव में मोदी लहर के बावजूद वे 1 लाख से अधिक मतों से जीते थे और लोकसभा में सबसे वरिष्ठ सदस्य होने के नाते अस्थायी अध्यक्ष बने थे। इस सीट पर आम चुनाव में कांग्रेस को कभी हार का सामना नहीं करना पड़ा। सिर्फ एक बार उपचुनाव में भाजपा को जीत मिली थी।
महाराष्ट्र से लगी छिंदवाड़ा संसदीय सीट 1977 के लोकसभा चुनावों से चर्चा में आई थी, जब सारे उत्तर भारत में कांग्रेस का सफाया हो जाने के बाद भी यहां से कांग्रेस को विजय हासिल हुई थी। इस सीट पर कमलनाथ ने 1980 से 1991 तक लगातार 4 चुनावों में जीत हासिल की।
हवाला डायरी कांड में नाम आ जाने के कारण 1996 में कांग्रेस ने उन्हें चुनाव नहीं लड़वाया, तब उनकी पत्नी अलका नाथ ने यहां से चुनाव जीता था। 1 वर्ष बाद उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इस पर 1997 में हुए उपचुनाव में भाजपा की ओर से चुनाव लड़ने आए राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा ने कमलनाथ को पराजित कर दिया था लेकिन 1 साल बाद हुए आम चुनाव में कमलनाथ ने सुंदरलाल पटवा को पराजित कर अपनी हार का बदला ले लिया।
मध्यप्रदेश में उमा भारती के नेतृत्व में 2003 में भाजपा की सरकार बनने पर 2004 के चुनाव में कमलनाथ के सामने प्रह्लाद पटेल को चुनाव में उतारा गया लेकिन उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद 2009 के संसदीय चुनाव में कमलनाथ को 4 लाख 9 हजार 736 वोट मिले, तो वहीं भाजपा के उम्मीदवार मारोतीराव खवसे को 2 लाख 88 हजार 616 वोट मिले।
पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी लहर का भी यहां असर नहीं हुआ। भाजपा ने तीसरी बार चौधरी चन्द्रभान सिंह को कमलनाथ के खिलाफ चुनाव में उतारा। इस चुनाव में चौधरी चन्द्रभान सिंह को 4 लाख 43 हजार 218 वोट मिले। कमलनाथ को 5 लाख 59 हजार 755 वोट मिले। इस तरह कमलनाथ नौवीं बार 1 लाख 16 हजार 537 मतों से चुनाव जीत गए।
छिंदवाड़ा संसदीय सीट में कांग्रेस और भाजपा 2 ही प्रमुख राजनीतिक दल हैं, लेकिन क्षेत्रीय राजनीतिक दलों में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी 2003 से जिले में सक्रिय हुई। इस पार्टी के प्रत्याशी मनमोहन शाह बट्टी ने 2004 के चुनाव में 11.31 प्रतिशत मत लेकर अपना प्रभाव दिखाया था। इस संसदीय सीट के अंतर्गत आने वाली सभी 7 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है।
प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के चलते कमलनाथ इस बार छिंदवाड़ा से विधानसभा का उपचुनाव लड़ेंगे। यह उपचुनाव आम चुनाव के साथ ही होगा। संसदीय सीट पर कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ सक्रिय हो गए हैं। उम्मीद है कि कांग्रेस नकुलनाथ को ही छिंदवाड़ा से टिकट देगी।
छिंदवाड़ा के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो यहां कांग्रेस का पलड़ा हमेशा ही भारी रहा है। पहला चुनाव 1951 में हुआ था जिसमें कांग्रेस के रायचंद भाई शाह सांसद चुने गए थे। इसके बाद 1957 और 1962 में हुए दूसरे और तीसरे संसदीय चुनाव में भी कांग्रेस को जीत मिली। लगातार 2 बार बीकूलाल लखीमचंद्र चांडक ने संसद में क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद 1967, 1971 और 1977 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के गार्गीशंकर मिश्रा यहां से 3 बार सांसद चुने गए। (वार्ता)