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बॉलीवुड हस्तियों ने चुनावी रण में कई राजनीतिक दिग्गजों को चटाई है धूल

बॉलीवुड हस्तियों ने चुनावी रण में कई राजनीतिक दिग्गजों को चटाई है धूल - Lok Sabha election history
नई दिल्ली। अपनी अदाकारी से लोगों के दिलों पर राज करने वाली बॉलीवुड हस्तियां चुनाव मैदान में भी अपने जलवे दिखाने में पीछे नहीं रहीं हैं और उन्होंने कई बार राजनीति के बड़े-बड़े धुरंधरों को पछाड़ा है। लोकप्रियता और प्रशंसकों की पसंदगी की बदौलत चुनावी राजनीति में अपना असर दिखाने वाले बॉलीवुड कलाकारों में सुनील दत्त, महानायक अमिताभ बच्चन, ड्रीमगर्ल हेमा मालिनी, विनोद खन्ना, शत्रुघ्न सिन्हा, राजेश खन्ना, धर्मेंद्र, जयाप्रदा, राज बब्बर, गोविंदा, स्मृति ईरानी, परेश रावल, किरण खेर प्रमुख हैं।

सत्तर के दशक में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा देश में आपातकाल लगाए जाने पर अन्य क्षेत्रों की तरह मुंबइया फिल्मों के लोग भी आपातकाल के विरोध में सामने आए। ‘एवरग्रीन’ हीरो के नाम से मशहूर देव आनंद ने बॉलीवुड के साथी कलाकारों और समर्थकों के साथ 1977 के चुनाव में सरकार के खिलाफ खुलकर प्रचार किया। देव आनंद ने राजनीति में सक्रिय भागीदारी के उद्देश्य से एक नए राजनीतिक दल ‘नेशनल पार्टी’ का भी गठन किया, हालांकि इस पार्टी को अपेक्षित सफलता नहीं मिली और बाद में इसे भंग कर दिया गया।

सिनेमा के रूपहले परदे के साथ ही राजनीति के पटल पर अपनी आभा बिखेरने वाली बॉलीवुड हस्तियों में सुनील दत्त का नाम प्रमुख है। फिल्मों के अलावा समाजसेवा के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें एक वर्ष के लिए मुंबई का शेरिफ नियुक्त किया। सुनील दत्त 1984 में कांग्रेस में शामिल हुए तथा मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा सीट का पांच बार प्रतिनिधित्व किया। वह केंद्र की मनमोहन सरकार में खेल एवं युवा कल्याण मामलों के मंत्री रहे। उनके निधन के पश्चात रिक्त मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा सीट पर 2005 में हुए उपचुनाव में सुश्री प्रिया दत्त निर्वाचित हुईं।

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के सखा रहे बॉलीवुड महानायक अमिताभ बच्चन अपने मित्र का साथ देने राजनीति में उतरे और कांग्रेस में शामिल हुए। कांग्रेस ने उन्हें 1984 के चुनाव में राजनीति के पुरोधा हेमवती नंदन बहुगुणा के खिलाफ मैदान में उतारा। रील लाइफ के साथ रियल लाइफ में भी ‘छोरा गंगा किनारे वाला’ की विरासती छवि और पिता हरिवंश राय बच्चन की प्रसिद्धि के साथ अमिताभ के सामने बहगुणा की राजनीतिक चमक फीकी साबित हुई और वे चुनाव हार गए। अमिताभ का राजनीतिक करियर हालांकि लंबा नहीं रहा। बोफोर्स तोप घोटाले में नाम घसीटे जाने से अमिताभ इतने व्यथित हुए कि उन्होंने सांसद के रूप में कार्यकाल पूरा करने से पहले ही इस्तीफा दे दिया।

राजनीति के महारथियों को शिकस्त देने के लिए कांग्रेस ने ऐसा ही एक प्रयोग देश की राजधानी नई दिल्ली में किया। वर्ष 1991 में नई दिल्ली लोकसभा सीट के लिए चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा के स्तंभ माने जाने वाले लालकृष्ण आडवाणी के खिलाफ अपने जमाने के सुपरस्टार रहे राजेश खन्ना को उम्मीदवार बनाया। दोनों के बीच जबरदस्त टक्कर हुई लेकिन किस्मत ने आडवाणी का साथ दिया और राजेश खन्ना 1589 मतों से चुनाव हार गए। इसी सीट पर 1992 में हुए उपचुनाव में भाजपा ने कांग्रेस की ही चाल चलते हुए राजेश खन्ना के खिलाफ उनके समकालीन अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा को मैदान में उतारा, लेकिन राजेश खन्ना ने शत्रुघ्न सिन्हा को करीब 25 हजार से अधिक मतों से हरा दिया।

‘खामोश’ की जबरदस्त संवाद अदायगी और ‘शॉटगन’ के नाम से मशहूर शत्रुघ्न सिन्हा को भाजपा ने 2009 में बिहार की पटना साहिब लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया। यहां भी एक सिनेमा हस्ती शेखर सुमन कांग्रेस की ओर से उनके सामने थे। भाग्य ने इस बार शत्रुघ्न का साथ दिया और उन्होंने शेखर सुमन को परास्त किया। शत्रुघ्‍न सिन्हा ने 2014 में भी इस सीट पर कब्जा बरकरार रखा। वह अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री के अलावा जहाजरानी मंत्री रहे तथा भाजपा की संस्कृति एवं कला प्रकोष्ठ के प्रमुख रहे। केंद्रीय नेतृत्व के प्रति उनके विद्रोही तेवर के मद्देनजर उन्हें इस बार भाजपा ने पटना साहिब से टिकट नहीं दिया। बाद में शत्रुघ्न सिन्हा ने पार्टी छोड़ दी और कांग्रेस में शामिल हो गए। वे इसी सीट से अब कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं।

फिल्मों में खलनायक से नायक और फिर अभिनेता से नेता का सफर तय करने वाले विनोद खन्ना ने पंजाब के गुरदासपुर लोकसभा क्षेत्र से चार बार 1998, 1999, 2004 और 2014 में चुनाव जीता। जुलाई 2002 में वे अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री बने तथा छह महीने बाद विदेश राज्यमंत्री बनाए गए थे।
रंगमंच से फिल्मी दुनिया में कदम रखने वाले राज बब्बर 1989 में जनता दल में शामिल हुए और अपनी राजनीति की पारी शुरू की, लेकिन बाद में वे समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। समाजवादी पार्टी ने उन्‍हें 1999 और 2004 में आगरा लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया और दोनों बार निर्वाचित हुए। राजनीतिक कारणों से समाजवादी पार्टी ने उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया। इसके बाद वे कांग्रेस में शामिल हो गए।

वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने राज बब्बर को फिरोजाबाद सीट से उम्मीदवार बनाया जहां उन्होंने समाजवादी नेता अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को पराजित किया। कांग्रेस ने 2014 के चुनाव में गाजियाबाद लोकसभा सीट से जनरल वीके सिंह के खिलाफ राज बब्बर को चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन वे चुनाव में मात खा गए। इस समय वे उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष हैं और इस बार भी चुनाव मैदान में हैं। ‘हीमैन’ के नाम से मशहूर धर्मेंद्र को भाजपा ने 2004 के चुनाव में राजस्थान की बीकानेर सीट से मौका दिया। अपनी लोकप्रियता के बल पर उन्‍होंने चुनाव परिणाम अपने पक्ष में कर जीत हासिल की।

‘हीमैन’ के नाम से मशहूर धर्मेंद्र को भाजपा ने 2004 के चुनाव में राजस्थान के बीकानेर सीट से मौका दिया। इसी वर्ष कांग्रेस ने मुंबई लोकसभा सीट से अभिनेता गोविंदा को अपना उम्मीदवार बनाया। अपनी लोकप्रियता के बल पर दोनों अभिनेताओं ने चुनाव परिणाम अपने पक्ष में किया।

बॉलीवुड अभिनेताओं के साथ अभिनेत्रियों की लोकप्रियता को भी भुनाने में विभिन्न राजनीतिक दल पीछे नहीं रहे। ‘ड्रीमगर्ल’ के रूप में प्रशंसकों के दिलों में घर कर चुकी हेमा मालिनी 2004 से 2009 की अवधि में भाजपा की ओर से राज्यसभा सांसद के रूप में अपनी सेवाएं दीं। वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा ने हेमा को मथुरा लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया जहां उन्होंने राष्ट्रीय लोक दल के जयंत चौधरी को पराजित किया। वह इस बार भी भाजपा के टिकट पर मथुरा से चुनाव लड़ रही हैं।

दक्षिण भारतीय फिल्मों से बॉलीवुड में कदम जमाने वाली अभिनेत्री जयाप्रदा के ग्लैमर से भी राजनीतिक दल अछूते नहीं रहे। आंध्र प्रदेश में तेलुगुदेशम पार्टी (तेदेपा)के संस्थापक एनटी रामाराव ने 1994 में राज्य विधानसभा चुनाव के दौरान जयाप्रदा को पार्टी में शामिल होने का आमंत्रण दिया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। बाद में तेदेपा में दोफाड़ हो गया और वह चंद्रबाबू नायडू के खेमे में चली गईं, लेकिन नायडु के साथ मतभेदों के चलते उन्होंने तेदेपा छोड़ दी और समाजवादी पार्टी में शामिल हो गईं।

समाजवादी पार्टी की ओर से वह 2004 और 2009 के आम चुनाव में उत्तर प्रदेश की रामपुर सीट से निर्वाचित हुईं। बदली परिस्थिति में 2014 के चुनाव में जयाप्रदा ने राष्ट्रीय लोकदल की ओर से बिजनौर सीट से चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। वर्तमान में जयाप्रदा भाजपा में शामिल हैं तथा रामपुर से चुनाव लड़ रही हैं।

टेलीविजन धारावाहिकों की सुपरस्टार स्मृति ईरानी को भाजपा ने चुनावी रथ पर सवार किया और 2004 के आम चुनाव में दिल्ली के चांदनी चौक लोकसभा सीट से चुनाव लड़ाया, लेकिन स्मृति को यहां कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल के हाथों शिकस्त मिली।

इसके बाद भाजपा ने स्मृति को उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के गढ़ अमेठी सीट से राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा। उन्हें वहां भी हार का सामना करना पड़ा। मोदी सरकार में वह पहले मानव संसाधन विकास मंत्री बनीं। मंत्रिमंडल में फेरबदल के बाद उन्हें कपड़ा मंत्रालय सौंपा गया। भाजपा ने उन्हें इस बार भी अमेठी से गांधी के खिलाफ खड़ा किया है। बॉलीवुड हस्तियों में परेश रावल, किरण खेर जैसी और भी शख्सियतें हैं जिनकी लोकप्रियता के चलते राजनीतिक दलों ने उन्हें चुनाव में उतारा है और वे चुनाव जीतने में सफल रहे।
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