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Written By WD

काम न करने के उपाय

व्यंग्य

Literature | काम न करने के उपाय
मुरली मनोहर श्रीवास्तव
ND
काम न करना भी एक बहुत बड़ा काम है। काम न करके आप चैन से नहीं बैठ सकते। सच तो यह है कि काम न करने वाला बड़ा ही बेचैन रहता है। पेश हैं कुछ ऐसे ठोस उपाय जिन्हें अपनाकर आप काम न करते हुए चैन की बँसी बजा सकते हैं।

सर्वप्रथम काम न करने का दर्शन समझिए। एक बार दार्शनिक स्तर पर मानसिक मजबूती आ गई तो काम न करते हुए झिझक नहीं होगी।

कहते हैं, 'लेस वर्क लेस मिस्टेक, मोर वर्क मोर मिस्टेक, नो वर्क नो मिस्टेक' अर्थात जितना अधिक काम करेंगे गलतियाँ उतनी अधिक होंगी। ऐसे में कम काम करेंगे तो कम गलती होगी और काम नहीं करेंगे तो गलती होगी ही नहीं। अतः काम न करना ही श्रेयस्कर है।

काम न करने के संदर्भ में एक और थ्योरी मुझे मिली। यह चौपाई रूप में है - 'रघुपति राघव राजा राम, जितना पैसा उतना काम।'

हम सभी जानते हैं काम के मुकाबले वेतन कम ही मिलता है सो कम काम करके वेतन के प्रति पनप रहे आत्मिक असंतोष से छुटकारा पाया जा सकता है। मुझे विश्वास है अब तक आप काम न करने के प्रति मानसिक रूप से मजबूत हो चुके होंगे। इसके बाद का कदम काम न करने के लिए व्यावहारिक उपाय अपनाना है।

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काम न करने के लिए पहला व्यावहारिक उपाय यह है कि काम समझते हुए भी उसे न समझ पाने का अभिनय करना। वह भी उस सीमा तक कि काम बताने वाला यह सोचने लगे कि इस शख्स से काम कराने से बेहतर है खुद काम कर लेना है।

काम न करने का दूसरा सफल उपाय दिए हुए काम की जलेबी बनाना है अर्थात काम करने के बजाय इतना उलझा देना है कि काम बताने वाला अपनी ही बात का ओर-छोर न ढूँढ़ पाए।

ऐसे ही काम न करने का तीसरा उपाय है - 'ना करनी नहीं और फली तोड़नी नहीं।' इस उपाय में काम करने के लिए मना नहीं किया जाता और काम भी नहीं किया जाता। बस हर समय काम में लगे रहने का नाटक किया जाता है। अंत में काम देने वाले को यह भ्रम पैदा हो जाता है कि बेचारा काम करने वाला बड़े परिश्रम और लगन से काम में लगा तो है पर यह काम इसकी क्षमता से बाहर है। ऐसे में वह या तो स्वयं साथ लग कर काम पूरा करवा देता है या फिर उसे कोई सहयोगी दे देता है जो मिल-जुलकर काम निपटवा देता है। इस उपाय में काम कोई और करता है और नाम उसका होता है। सच पूछिए तो काम न करने का यह एक बड़ा ही लाभकारी उपाय है।

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कुछ लोग काम न करने के लिए बीमारी का बहाना बनाते हैं लेकिन काम से बचने का यह एक बेहद लचर और घटिया उपाय है। यह अधिक समय तक प्रभावी नहीं रहता और कई बार इसमें लेने के देने पड़ जाते हैं। काम न करने का 'नौ मन तेल और राधा' उपाय भी एक श्रेष्ठ उपाय है। इसमें काम करने से पहले ऐसी-ऐसी शर्तें रखना है कि काम बताने वाला पानी माँग जाए।

इस उपाय को अपनाने के लिए आपको बाल की खाल निकालनी आनी चाहिए। ऐसे में नियमों की उलटी-सीधी व्याख्या करने में पारंगत होना बड़ा काम आता है। वैसे कहते हैं जो इस कला में निपुण हो जाते हैं उनसे काम खुद घबराता है। ऐसे लोगों से काम को डर लगा रहता है कि उनके हाथ में पहुँचते ही अर्थ का अनर्थ होकर रहेगा।

यहाँ तक कि वह काम देने वाले से कहता है कि हे प्रभु मुझे ऐसे आदमी से बचाओ। ऐसे लोग हैंडपंप को कुआँ और चौपहिया वाहन को बैलगाड़ी बना देते है। ये कलियुग के अनुकरणीय चरित्र हैं इन पर कामचोर होने का ठप्पा भी नहीं लगता और इनसे काम दूर भी रहता है। मुझे विश्वास है अब तक आप अपने देश में काम की गति कम होने का कारण समझ गए होंगे।