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Written By WD

मनीषा कुलश्रेष्ठ का नया कहानी-संग्रह 'अनामा'

वाणी प्रकाशन के स्टॉल पर पुस्तकों का लोकार्पण समारोह

मनीषा कुलश्रेष्ठ
विश्व पुस्तक मेले में वाणी प्रकाशन के स्टॉल पर नॉर्वीजी लेखिका इन्ग्रिड स्टूरहुल्मेन का सुल्ट पुरस्कार से सम्मानित उपन्यास ‘चेर्नोबिल की आवाजें’ व प्रसिद्ध लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ का नया कहानी-संग्रह 'अनामा' लोकार्पित किया गया।

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कार्यक्रम में महात्मा गांधी हिन्दी विश्वविद्यालय (वर्धा) के कुलपति प्रो. विभूति नारायण राय, लेखिका विजय शर्मा, वाणी प्रकाशन की निदेशक अदिति माहेश्वरी, पुस्तक के अनुवादक मदन सोनी, प्रख्यात भाषाविद शम्भुनाथ और नॉर्वीजी लेखिका अत्री दास व प्रसिद्ध पत्रकार वर्तिका नंदा उपस्थित रहे।

‘चेर्नोबिल की आवाजें’ लोकार्पण समारोह में लेखिका इन्ग्रिड स्टूरहुल्मेन ने वाणी प्रकाशन को पुस्तक के प्रकाशन के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि इस पुस्तक को पढ़ने से पाठकों को परमाणु ऊर्जा से जुड़े खतरों और दुष्प्रभावों को समझने में मदद मिलेगी। साथ ही एक नई सोच भी विकसित होगी। कार्यक्रम में वक्ता के रूप में उपस्थित विभूति नारायण राय ने कहा कि चेर्नोबिल त्रासदी को कई पर्दों के पीछे छुपाया गया। इस पुस्तक के माध्यम से हमें इसके विषय में नई बातें पता चलेंगी। चूंकि भारत में भी आज कई परमाणु प्लांट बन रहे हैं और उन पर भी विमर्श और अनुसंधान किए जाने की जरुरत है। जबकि कई देशों में परमाणु ऊर्जा और हथियारों से अब दूरी बनाई जा रही है।

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लेखिका विजय शर्मा ने कहा कि इस अनूदित पुस्तक की भाषा सरल और काव्यात्मक है। जिससे यह किसी दूसरे देश और विदेशी लेखक का उपन्यास नहीं लगता। ज्यादा से ज्यादा पाठकों को इससे पढ़ना चाहिए ताकि सत्ता और सत्ताधारियों की हवस को हम समझ सकें। इसी क्रम में आगे शम्भुनाथ ने कहा कि यह पुस्तक बहुत उपयोगी है, यह इतिहास का एक छुपा हुआ दस्तावेज है, भारतीय लेखकों को भी यहां की ऐसी ही समस्याओं पर लिखने को प्रेरित करेगी।

'अनामा' के लोकार्पण समारोह में प्रसिद्ध लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ ने अपनी पुस्तक के सन्दर्भ में कहा कि 'अनामा' कहानी की नायिका एक आम भारतीय लड़की है जो विदेश से शिक्षा प्राप्त कर वापस भारत लौटती है। यहां की विषमताएं उसे परेशान करती हैं, फिर भी इन सबके बीच वह सामान्य बने रहकर सुकून खोजती है। मनीषा ने 'अनामा' का एक अंश भी पढ़ा। इस अवसर पर विभूति नारायण ने कहा कि मनीषा की कहानियां असल में उनके द्वारा समाज का एक मनोवैज्ञानिक अध्ययन है। घुमंतू प्रवृति की होने के कारण मनीषा की कहानियों में विविधता दिखती है।

पुस्तक : ‘चेर्नोबिल की आवाजें
लेखिका : इन्ग्रिड स्टूरहुल्मेन

पुस्तक : ' अनामा'
लेखिका : मनीषा कुलश्रेष्ठ