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Written By ND

हस्तरेखा और योग

हस्तरेखा और योग
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हाथ में हस्तरेखा को देखने पर हथेली में स्थित ग्रहों को पहचाना जा सकता है, जैसे 1. बृहस्पति, 2. शनि, 3. सूर्य, 4. बुध, 5. शुक्र, 6. मंगल, 7. चंद्र, 8. हर्षल-प्रजापति, 9. नेप्च्यून-वरुण, 10. प्लूटो-इंद्र, 11. राहू, 12. केतु। ये ग्रह अपने-अपने क्षेत्र पर स्थित होते हैं, जिनके अपने-अपने प्रभाव होते हैं और ग्रहों के यहाँ स्थित पर्वत युग्मों से भी काफी जानकारी मिलती है।

हथेली पर रेखा के साथ कुछ चिह्न पाए जाते हैं, जिनके शुभ व अशुभ फल होते हैं। मुख्य चिह्न 1. मुख्य रेखाएँ, 2. अधिक रेखाएँ, 3. आपस में कटती हुईं रेखाएँ, 4. बिंदु, 5.क्रॉस, 6. नक्षत्र, 7. वर्ग, 8. वृत्त, 9. त्रिकोण, 10. जाली, 11. पर्वत क्षेत्रों पर स्थित मुद्रिका आदि चिह्न होते हैं और हाथ में रेखाओं का महत्वपूर्ण महत्व रहता है, जैसे- 1. जीवन-रेखा, 2. मस्तिष्क-रेखा, 3. हृदय-रेखा, 4. सूर्य-रेखा, 5. मणिबंध-रेखा, 6. भाग्य-रेखा, 7. स्वास्थ्य-रेखा, 8. विवाह-रेखा, 9. गौण-रेखाएँ, 10. वासना-रेखा आदि होते हैं। हस्त में स्थित हर रेखा का विशेष महत्व होता है, जब उसका ध्यानपूर्वक निर्धारण हो तो हर स्थिति पूर्ण रूप से साफ, स्पष्ट हो जाती है। अब हम यदि और गहराई में जाएँ तो हाथ में 238 से अधिक महत्वपूर्ण योग होते हैं, जिनसे भूत व भविष्य का स्पष्ट ज्ञान होता है।

संक्षिप्त में कुछ योगों के बारे में जानकारी यहाँ दी जा रही है।

भाग्यवान योग- जिस व्यक्ति के हाथ में कहीं पर भी छत्री जैसा चिह्न दिखाई दे (विशेषतः सूर्य के नीचे) तो वहाँ भाग्यवान योग होता है। फल : जिसके हाथ में यह योग होता है, वह व्यक्ति प्रसिद्ध, चतुर तथा बंधु-बांधवों का सहायक होता है। ऐसा व्यक्ति पूर्णतः भाग्यशाली कहा जाता है।

धार्मिक योग- यदि मणिबंध से कोई रेखा गुरु पर्वत तक जाती हो तथा उँगलियों के सिरे नुकीले हों तो धार्मिक योग होता है। फल : जिसके हाथ में यह योग होता है वह धार्मिक क्षेत्र में उच्च पद को प्राप्त करता है तथा धार्मिक ग्रंथ लिखकर प्रसिद्धि तथा सम्मान प्राप्त करता है।
  जिस व्यक्ति के हाथ में कहीं पर भी छत्री जैसा चिह्न दिखाई दे (विशेषतः सूर्य के नीचे) तो वहाँ भाग्यवान योग होता है। जिसके हाथ में यह योग होता है, वह व्यक्ति प्रसिद्ध, चतुर तथा बंधु-बांधवों का सहायक होता है। ऐसा व्यक्ति पूर्णतः भाग्यशाली कहा जाता है।      


पूर्ण आयु योग- यदि हथेली में जीवन-रेखा पूर्ण रूप से विकसित होकर अपने उद्गम स्थान से मणिबंध तक जाती हो और उस पर किसी प्रकार का क्रॉस, बिंदु, धब्बा या रेखा न हो तो पूर्ण आयु योग होता है व तीन मणिबंध रेखा अपने आप में पूर्ण हो तथा पहला मणिबंध जंजीरदार हो व स्वास्थ्य-रेखा पूरी लंबी हो तथा उस पर किसी प्रकार का बिंदु या क्रॉस न हो तो ये भी पूर्ण आयु योग होते हैं।

भाग्य योग - यदि हथेली में भाग्य-रेखा पुष्ट सूर्य पर्वत पर पहुँचती हो तो यह भाग्य योग होता है। ल: जिसके हाथ में यह योग हो तो वह प्रबल भाग्यशाली व्यक्ति माना जाता है। यदि भाग्य-रेखा चंद्र पर्वत से प्रारंभ हो तो तथा हृदय-रेखा व मस्तिष्क-रेखा गुरु पर्वत के नीचे मिलती हो तो भी भाग्य योग होता है।

संतानहीन योग- यदि हथेली में स्वास्थ्य-रेखा पर तारे का चिह्न हो तो संतानहीन योग होता है। इसी प्रकार मध्यमा अँगुली के तीसरे पर्व पर भी तारक चिह्न ऐसा ही योग बनाता है। जिसके हाथ में यह योग होता है, उसे जीवन में संतान सुख प्राप्त नहीं होता। यदि पति तथा पत्नी दोनों ही के हाथों में ऐसा योग है तो संतान सुख का अभाव रहता है।

विवाह योग- यदि शुक्र पर्वत तथा गुरु पर्वत विकसित हों तो विवाह योग बनता है। पर विद्वानों ने इसके अलावा अन्य तथ्य इस प्रकार से स्पष्ट किए हैं- यदि भाग्य रेखा का उद्गम चंद्र पर्वत हो, यदि गुरु पर्वत पर क्रॉस हो, यदि भाग्य-रेखा, हृदय-रेखा पर समाप्त हो तो सुखमय विवाह योग होता है।

Devendra SharmaND
ब्रह्मचर्य योग- यदि कनिष्ठिका उँगली के पहले पर्वत पर क्रॉस का चिह्न हो तो ब्रह्मचर्य योग होता है। जिसके हाथ में ब्रह्मचर्य योग होता है वह व्यक्ति जीवन भर स्त्रियों से दूर रहता है, विवाह नहीं करता तथा साधुवत जीवन ही व्यतीत करने में सफल होता है।

सर्पदंश योग- यदि शुक्र वलय हो तथा उसमें त्रिकोण का चिह्न हो तो सर्पदंश योग होता है। यह योग होने पर व्यक्ति की मृत्यु साँप डसने से होती है।

अस्वाभाविक मृत्यु योग- जिस व्यक्ति के दोनों हाथों में जीवन-रेखा पर क्रॉस चिह्न हो तो अस्वाभाविक मृत्यु योग बनता है। चंद्र पर त्रिकोण हो तथा जीवन-रेखा बीच में टूटी हुई हो आदि अस्वाभाविक मृत्यु योग होते हैं।

अभिनेता/अभिनेत्री- यदि हाथ की सभी उँगलियाँ कोमल तथा ढलवी हों तथा सूर्य की उँगली विशेष तौर पर लंबी हो तथा ऊपर नोकदार हो और मस्तिष्क-रेखा एवं भाग्य-रेखा पूरी लंबाई लिए हुए हो तो वह व्यक्ति सफल अभिनेता या अभिनेत्री होता है। यदि सूर्य-रेखा पर नक्षत्र का चिह्न हो तो वह कलाकार या अभिनेत्री विश्वविख्यात होते हैं।

शिक्षक- जिसके हाथ में जीवन-रेखा, भाग्य-रेखा तथा सूर्य-रेखा विकसित हो तथा गुरु पर्वत विकसित हो और उस पर क्रॉस का चिह्न हो तथा अनामिका से तर्जनी उँगली लंबी हो तो वह सफल शिक्षक होता है।

डॉक्टर- जिसकी हथेली में बुध पर्वत क्षेत्र पूर्ण विकसित हो तथा कनिष्ठिका पूरी लंबाई लिए हुए हो, जिसका सिरा अनामिका के ऊपरी पोर के मध्य तक जाता हो तथा बुध क्षेत्र पर तीन बार खड़ी रेखाएँ हों तो ऐसा व्यक्ति एक सफल डॉक्टर बनता है।

साथ ही मंगल पर्वत अत्यंतविकसित हो तथा मंगल रेखा भी पुष्ट एवं प्रबल हो तो वह व्यक्ति एक सफल सर्जन होता है तथा मंगल पर्वत यदि दबा हो उक्त सभी गुण हथेली में हों तथा बृहस्पति पूर्ण विकसित हो और उस पर वर्ग का चिह्न हो तो वह व्यक्ति ख्यातिप्राप्त वैद्य होता है।

आई.ए.एस.- जिनके हाथों में बुध की उँगली अर्थात कनिष्ठिका लंबाई लिए हुए हो और उसका अंतिम सिरा अनामिका के तीसरे पोर से आगे अर्थात आधे से अधिक हिस्से तक पहुँच चुका हो तथा सूर्य-रेखा अत्यंत उच्च कोटि की हो तो वह व्यक्ति आई.ए.एस. अधिकारी होता है। भाग्य-रेखा तथा गुरु पर्वत बहुत अधिक श्रेष्ठ हों तो वह व्यक्ति केंद्रीय सेवा में उच्च पदस्थ व्यक्ति होता है, जिसके कार्यों का प्रशासन पर पूरा-पूरा प्रभाव पड़ता है।

वैज्ञानिक- यदि किसी मनुष्य की सभी उँगलियाँ पूरी लंबाई लिए हुए हों तथा शनि पर्वत विकसित हों तथा उस पर भाग्य रेखा निर्दोष रूप से आकार ठहरी हुई हो एवं बुध पर्वत पर तीन-चार खड़ी रेखाएँ हों तो वह व्यक्ति एक सफल वैज्ञानिक होता है।

भूमि योग- यदि मंगल तथा शुक्र पर्वत के बीच परस्पर रेखा संबंध हो तथा शुक्र पर्वत पर भाग्य रेखा की कोई सहायक रेखा आकर मिलती हो तो भूमि योग होता है। जिसके हाथ में यह योग होता है वह भूमि से संबंधित सभी कार्यों में विशेष लाभ उठाता है और वह भू-स्वामी भी होता है।

रुद्र योग- यदि हथेली में गुरु मुद्रिका तथा शनि मुद्रिका हो, साथ ही सूर्य से कोई रेखा निकलकर इन दोनों मुद्राओं को स्पर्श करती हो, तो रुद्र योग होता है। जिसके हाथ में यह योग होता है, वह मस्त तबीयत वाला और धन उपार्जितकर्ता, साथ ही दोनों हाथों से खर्च करना भी जानता है। शान-शौकत, वैभव, भौतिकता में इनका विश्वास ज्यादा होता है।