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Written By Author पं. अशोक पँवार 'मयंक'

आइए ज्योतिष सीखें

ज्योतिष मयंकजी
ND
ज्योतिष - ज्योति = लो (प्रकाश) ज्योतिष = जो अंधकार को दूर कर प्रकाशवान बने उसे ज्योतिषी कहते हैं। ज्योतिष में तभी पारंगत बना जा सकता है जब हमें जन्मपत्रिका का निर्माण करना आता हो। जिन व्यक्तियों को पत्रिका निर्माण करना नहीं आता, इसका मतलब वे ज्योतिषी नहीं हैं, ऐसा भी नहीं है। कोई फलित का जानकार उत्तम होता है, लेकिन पत्रिका बनाना नहीं आती।

पहले के ज्योतिषी रोल वाली, कलात्मक पत्रिका बनाते थे। लेकिन आज का युग कम्प्यूटर का होने से जन्मपत्रिका भी कम्प्यूटर से सटीक बनती है। पूर्व में स्थानीय शोधन की गड़बड़ी से पत्रिका गलत भी बन जाती थी लेकिन आज कम्प्यूटर की गणना व सही सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर पत्रिका बनाई जाती है। आइए हम एन.सी. लहरी की ऐफिमेरिज से बनाना बताएँ ताकि आप स्वयं सही जन्म लग्न निकाल सकें व आपके पास आने वाली पत्रिका को सही है या नहीं, जाँच सकें।

जन्मपत्रिका बनाने के लिए हमें तारीख, मास एवं जन्म का सन् मालूम होना आवश्यक है, वहीं जन्म समय रात्रि बारह बजे के बाद ए.एम. (A.M.) एवं दोपहर बारह बजे से रात्रि बारह बजे के बीच को पी.एम. (P.M.) कहते हैं, यह ज्ञात होना चाहिए। जन्म स्थान का विशेष महत्व होता है, क्योंकि स्थानीय समय से ही शुद्ध पत्रिका निर्माण संभव है।
  ज्योतिष - ज्योति = लो (प्रकाश) ज्योतिष = जो अंधकार को दूर कर प्रकाशवान बने उसे ज्योतिषी कहते हैं। ज्योतिष में तभी पारंगत बना जा सकता है जब हमें जन्मपत्रिका का निर्माण करना आता हो। जिन व्यक्तियों को पत्रिका निर्माण करना नहीं आता।      


हमें लग्न सारणी की आवश्यकता पड़ेगी, जसमें लग्न का साम्पतिक काल भी ज्ञात करना पड़ेगा, जो एन.सी. लहरी की पुस्तक टेबलस ऑफ असेन्डेण्ट्‍स में है। साइडरीयल टाइम भी उसी में मिल जाएगा। इस प्रकार यह पुस्तक हमारे लिए परम आवश्‍यक है एवं जिस सन् की पत्रिका बनानी हो उस समय का पंचांग होना आवश्यक है।

सबसे पहले हम जानें स्टैंडर्ड समय क्या है। भारतीय समय जैसे दोपहर के इंदौर में बारह बजे हैं, वहीं दिल्ली‍, मुंबई, कश्मीर, हैदराबाद, चेन्नई, कोलकाता आदि शहरों, गाँवों में बारह ही बजे होंगे, यह समय 82.30 रेखांश पर आ‍धारित है।

हमें इंदौर का स्थानीय समय बनाना है तो क्या करें। इंदौर का रेखांश 75.51 है, अप 82.30 से घटाएँगे-
82.30
- 75.51
___________
6.39

6 अंश 39 कला आया। 1 अंश बराबर 4 मिनट 1 सेकंड बराबर 4 सेकंड।
6 * 4 = 24

39 कला * 4 = 156.60 = 2 मिनट 36 सेकंड प्राप्त हुआ। 24 मिनट में 2 मिनट जोड़े तो 26 मिनट आए, बाकी के 36 सेकंड वैसे ही लिए। इस प्रकार इंदौर का स्थानीय मिनट जानने के लिए हम भारतीय स्टैंडर्ड समय में करीब 26 मिनट 36 सेकंड घटाएँगे तभी स्थानीय समय आएगा।

अक्षांश का भी जानना आवश्‍यक है। हमारे इंदौर का अक्षांश 22.43 है यानी इंदौर का 22.43 विषुवत रेखा से उत्तर में है। इसका टेबलस ऑफ असेन्डेण्ट्‍स में देखकर लग्न ‍निकालने के लिए महत्व होगा। इसी प्रकार हम स्थानीय समय निकाल सकते हैं। हाँ, यदि 83.30 से अधिक रेखांश पर जन्म हो तो स्टैंडर्ड समय में जोड़ना पड़ेगा। जैसे किसी का जन्म 3 जनवरी 1983 में भारतीय समय 6.30 ए.एम. में हुआ तो लोकल समय क्या होगा।
6.30
ए.एम. आई.एस.टी. स्टैंडर्ड समय
26.36 स्थानीय समय है तो घटाएँगे
______________
6.3. 24 यानी स्थानीय समय सुबह के 6 बजकर 3 मिनट 24 सेकंड हुए।

अब साम्पतिक काल जानना है तो दोपहर 12 बजे में 6 घंटा 3 मिनट 24 सेकंड घटाना पड़ेगा, क्योंकि यह समय सुबह का है H = घंटा M = मिनट S = सेकंड।

H M S
12.00.00
- 6 03 24
______________
5. 54. 36

दोपहर बारह बजे से पहले जन्म हुआ समय।

साम्पतिक काल टेबलस ऑफ असेन्डेण्ट्‍स के प्रारंभ में पृष्ठ संख्या 2-4 पर देखें। हम वहाँ से 3 जनवरी का साम्पतिक काल निकालेंगे। - घ.मि.से.
3 जनवरी का साम्पतिक काल 18.45.45 निकाला

1983 का शोधन- 00 मिनट 25 सेकंड है।
इंदौर के लिए संस्कार + 4 सेकंड है।

18.45.45
- 25
______________
18.45.25
+ 4
______________
18.45.29 शुद्ध साइडरीयल टाइम हुआ।

शुद्ध साम्पतिक काल
H M S
18.45. 29
- 5 54 36
______________
12. 05.53
तारामंडल 12 घंटे 50 मिनट 53 सेकंड हुआ।

अब 22.43 अक्षांश लग्न सारिणी में से देखा तो इस प्रकार है। पेज नं. 36 पर 22.35 नार्थ में देखा।
S से राशि 0अंश' से कला जाने।
12 घंटे 48 मिनट के लिए
S 0,
8.8.29 मिला
2 मिनट के लिए निकालना है
12 घंटे 52 मिनट मिला 8.9.24
12 घंटे 48 मिनट का - 8.29
_____
00.55
_____
पेज 36 से नीचे पाया। मिनट है तो 14, 2 मिनट है हेतु 28 कला अत:
8.8.29
+ 28
_____
8.8.57 में 12 घंटे 50 मिनट का हुआ।
अब 53 सेंकड के लिए लगभग 12 कला होगा

8.8.52
+ 12
_____
8.9.04

अब इसमें अमन मांश संशोधन करेंगे यह पेज नं. 5 पर सन् 1983 पर 38 कला देखा।

8.9.04
_ 38
_____
8.8.26

यानी शुद्ध लग्न धनु 8 अंश 26 कला आया। यह शुद्ध लग्न हुआ।

इस प्रकार रात्रि बारह बजे के बाद से दोपहर बारह बजे के पहले शुद्ध लग्न निकाल सकते हैं। आगे हम दोपहर से रात्रि बारह बजे के मध्य की लग्न निकालना बताएँगे।