अमेरिका के राष्ट्रपति-निर्वाचित डॉनल्ड ट्रंप ने कनाडा, मेक्सिको और चीन से आयात पर भारी टैरिफ लगाने का एलान किया है। इस फैसले से वैश्विक बाजारों में उथल-पुथल मच गई है।
ट्रंप ने घोषणा की है कि वह अपनी सरकार के पहले दिन कनाडा और मेक्सिको से आने वाले सामान पर 25 फीसदी और चीनी वस्तुओं पर 10 फीसदी अतिरिक्त शुल्क लगाएंगे। इस एलान से अमेरिकी उपभोक्ताओं को बड़ा झटका लग सकता है क्योंकि महंगाई बढ़ने और रोजमर्रा के इस्तेमाल की चीजों के दाम बढ़ने की संभावना है। प्रभावित देशों और उद्योगों ने चेतावनी दी है कि इससे महंगाई बढ़ेगी, कारोबार प्रभावित होगा और रोजगार पर बुरा असर पड़ेगा।
उपभोक्ताओं पर असर
विशेषज्ञों का कहना है कि टैरिफ से सबसे ज्यादा असर आम उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। कंपनियां आयात पर टैरिफ का बोझ ग्राहकों पर डालेंगी। आर्थिक विशेषज्ञ बर्नार्ड बॉमहोल ने कहा, "ये टैरिफ आखिरकार अमेरिका पर उल्टा असर डालेंगे। इससे महंगाई बढ़ेगी और ब्याज दरों में इजाफा होगा।" उन्होंने चेतावनी दी कि ट्रंप का यह कदम उनके महंगाई कम करने के वादे के विपरीत है।
नए टैरिफ का कृषि उत्पादों पर भी बड़ा असर पड़ेगा। मेक्सिको और कनाडा अमेरिका में कृषि उत्पादों के सबसे बड़े सप्लायर हैं। पिछले साल अमेरिका ने लगभग 86 अरब डॉलर के कृषि उत्पाद आयात किए थे। टैरिफ के कारण एवोकाडो, स्ट्रॉबेरी और मीट जैसी चीजों की कीमतें बढ़ सकती हैं। इससे हर घर का बजट प्रभावित होगा।
उद्योगों और अर्थव्यवस्था पर असर
कृषि के अलावा ऑटो और ऊर्जा क्षेत्र भी इस फैसले से प्रभावित हो सकते हैं। अमेरिकी ऑटोमोबाइल उद्योग कनाडा और मेक्सिको से आयात पर निर्भर है। उद्योग विशेषज्ञ डेनियल रोस्का ने इसे "अमेरिकी ऑटो उद्योग के लिए आपदा" करार दिया। उन्होंने कहा कि फोर्ड, जनरल मोटर्स और अन्य कंपनियां सबसे ज्यादा प्रभावित होंगी।
ट्रंप के एलान से ऊर्जा क्षेत्र भी परेशान है। ट्रंप की योजना में कच्चे तेल के आयात को छूट नहीं दी गई है। कनाडा अमेरिका का सबसे बड़ा तेल सप्लायर है, जो रोजाना 40 लाख बैरल तेल भेजता है। अमेरिकी पेट्रोलियम संस्थान के प्रवक्ता स्कॉट लॉरेमन ने कहा, "हमारे देशों के बीच ऊर्जा उत्पादों की मुक्त आवाजाही अमेरिकी ऊर्जा सुरक्षा और उपभोक्ताओं के लिए बहुत जरूरी है।"
व्यापक आर्थिक प्रभाव
टैरिफ के एलान से बाजारों में हलचल मच गई है। मेक्सिकन पीसो और कनाडाई डॉलर में गिरावट आई है। वहीं, अमेरिकी और यूरोपीय ऑटो कंपनियों के शेयर भी गिरे हैं। डॉयचे बैंक के विश्लेषकों ने अनुमान लगाया है कि टैरिफ से अमेरिकी महंगाई दर में बढ़ोतरी होगी। उन्होंने 2025 के लिए महंगाई दर का अनुमान 2.6 फीसदी से बढ़ाकर 3.7 फीसदी कर दिया है।
ट्रंप ने टैरिफ को अवैध प्रवासियों और ड्रग्स के खिलाफ अपनी रणनीति से जोड़ा है। उन्होंने कहा कि जब तक मेक्सिको और कनाडा इन मुद्दों पर सख्ती नहीं दिखाएंगे, तब तक ये शुल्क जारी रहेंगे। हालांकि, इस साल फेंटानाइल के कारण होने वाली मौतों में गिरावट आई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि टैरिफ दबाव बनाने की रणनीति हो सकती है। एक आर्थिक विश्लेषक थॉमस रायन ने कहा, "यह कनाडा और मेक्सिको के लिए एक मौका हो सकता है कि वे अगले दो महीनों में कोई ठोस योजना पेश करें।"
ट्रंप का यह कदम "अमेरिका फर्स्ट" नीति का हिस्सा है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान हो सकता है। कनाडा, मेक्सिको और चीन के साथ बातचीत का भविष्य अब इस नीति के असर को तय करेगा।
व्यापार युद्ध का डर
टैरिफ एलान के बाद प्रभावित देशों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। मेक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शीनबॉम ने अमेरिका पर बदले में टैरिफ लगाने की धमकी दी है। उन्होंने कहा, "एक टैरिफ के बाद दूसरा टैरिफ आएगा और ये सिलसिला चलता रहेगा। इससे हमारे सामान्य व्यापार को खतरा होगा।" उन्होंने कहा कि वह ट्रंप को पत्र लिखेंगी और उनसे फोन पर बात करेंगी।
कनाडा के केंद्रीय बैंक के डिप्टी गवर्नर रीस मेंडेस ने कहा, "अमेरिका में जो होता है, उसका हम पर बड़ा असर पड़ता है। इस तरह का कदम दोनों अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित करेगा।"
चीन के वॉशिंगटन स्थित दूतावास के प्रवक्ता ने कहा, "ट्रेड वॉर या टैरिफ वॉर में कोई नहीं जीतता।" ट्रंप की जीत के बाद से ही चीन और बाकी एशियाई देशों में चिंता बनी हुई है।
ये टैरिफ अमेरिका-मेक्सिको-कनाडा समझौते (यूएसएमसीए) के नियमों का उल्लंघन करते दिखते हैं। यह समझौता तीनों देशों के बीच शुल्क मुक्त व्यापार की गारंटी देता है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप राष्ट्रीय आपातकाल का एलान करके इस समझौते को दरकिनार कर सकते हैं।
वीके/सीके (एपी, रॉयटर्स)