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Written By WD Feature Desk
Last Updated : गुरुवार, 28 नवंबर 2024 (12:23 IST)

Bangladesh; बांग्लादेश में क्यों इस्कॉन है निशाने पर, लगाया जा रहा है प्रतिबंध?

Bangladesh; बांग्लादेश में क्यों इस्कॉन है निशाने पर, लगाया जा रहा है प्रतिबंध? - Why is ISKCON a target in Bangladesh
ISKCON in Bangladesh: बांग्लादेश में पिछले कई सालों से इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णाकांशसनेस अर्थात इस्कॉन को एक कट्टरपंथी और आंतकवादी संगठन बताकर प्रतिबंध लगाने की बात कही जा रही है। पिछले साल ही इस्कॉन मंदिरों पर हमले की खबरें मीडिया में छाई रही। जब से बांग्लदेश में तख्ता पलट हुआ है तब से इस्कॉन और तमाम हिंदुओं पर हमले हो रहे हैं। आखिर बांग्लादेश में इस्कॉन अचानक से निशाने पर क्यों आ गया है?
 
चिन्मय कृष्ण दास को क्यों किया गिरफ्तार:- बांग्लादेश में इस्कॉन के 77 से ज्यादा मंदिर हैं। देश के लगभग हर जिले में एक इस्कॉन मंदिर है। हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के विरोध में 25 अक्टूबर को चटगांव के लालदीघी मैदान में नातन जागरण मंच ने अपनी 8 सूत्री मांगों को लेकर शांतिपूर्ण मार्च निकाला था, इस दौरान न्यू मार्केट चौक पर कुछ लोगों ने आजादी स्तंभ पर जहां पर बांग्लादेश का राष्ट्रीय ध्वज लगा था उसी के पास किसी ने भगवा ध्वज फहराया था। इस ध्वज पर आमी सनातनी लिखा हुआ था। इसे लेकर चिन्मय कृष्ण दास पर राष्ट्रीय झंडे की अवमानना और अपमान करने का आरोप लगाकर उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। उल्लेखनीय है कि चिन्मय कृष्ण दास हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के विरोध का नेतृत्व करने वाले सबसे मुखर व्यक्ति रहे हैं।
 
क्या है इस्कॉन : दुनिया में कृष्ण भक्ति का सबसे बड़ा आंदोलन और संगठन है इस्कॉन, जो अपनी स्थापना से ही विवादों में रहा है लेकिन इस संगठन की सचाई बहुत कम लोग ही जानते हैं। इस आंदोलन की शुरुआत श्रीमूर्ति श्री अभयचरणारविन्द भक्तिवेदांत स्वामी श्रील प्रभुपादजी ने की थी। स्वामी प्रभुपादजी ने ही इस्कॉन की स्थापना 1966 में न्यूयॉर्क सिटी में की थी। इस संगठन का उद्येश्य गीता का प्रचार करना और सभी को श्रीकृष्‍ण की भक्ति से जोड़ना है।
 
भक्त स्वरूप : पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण ने कहा था कि कलयुग में धर्म की स्थापना के लिए मेरे कई अवतार होंगे जिसमें से एक अवतार भक्ति स्वरूपा होगा। यानी श्रीकृष्ण का कहना था कि मैं मेरे एक अवतार में मैं भक्त बनकर भक्ति का प्रचार करूंगा। इस्कॉन के लोगों का मानना है कि प्रभुपादजी श्री कृष्‍ण के भी भक्ति स्वरूप अवतार हैं। जिस तरह श्रीकृष्ण ने उद्धव को भक्ति का पाठ पढ़ाया था। उसी तरह प्रभुपादजी पुरी दुनिया को भक्ति का पाठ पढ़ाकर चले गए और अब उनका संगठन यह काम कर रहा है। इस्कॉन से जुड़े लोग सिर्फ और सिर्फ कृष्ण भक्ति का ही प्रचार प्रसार करते हैं। उनके भक्त सकड़कों पर नाचते और गाते हुए कृष्ण की गीता का प्रचार प्रसार करते हैं।
 
क्यों लगाया जा रहा इस्कॉन पर प्रतिबंध : इस वक्त दुनियाभर में धार्मिक कट्टरता और सांप्रदायिकता अपने चरम पर है। विज्ञान के युग में प्रत्येक धर्म खुद को बचाने में लगा है। नए विचारों को ग्रहण करना मुश्‍किल है। इसी के चलते दुनियाभर में इस्कॉन के प्रति खुद सनातन धर्मियों और अन्य धर्मों के लोगों के बीच नफरत की भावना को फैलाया जा रहा है। इसका सीधा-सा कारण है कि इस्कॉन के माध्यम से संपूर्ण दुनिया में लोग गीता और श्रीकृष्‍ण से जुड़ते जा रहे हैं। देश और दुनिया में इनके हजारों मंदिर हैं जहां पर लोग अपनी स्वेच्छा से आकर भजन करते और शांतिपूर्ण जीवन की तलाश करते हैं। ईसाई, मुस्लिम और अन्य सभी धर्मों के लोग श्रीकृष्ण की भक्ति की ओर अपनी स्वेच्छा से मुड़ते जा रहे हैं। बांग्लादेश में भी ऐसे कई मुस्लिम इंफ्लूएंसर हैं जो इस्कॉन और हिंदुओं का समर्थन करने लगे हैं। ज्ञान के विस्फोट और इंटरनेट के दौर में बांग्लादेश में भी एक्स मुस्लिमों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है।

ऐसे कई कारणों के चलते बांग्लादेश में कट्टरपंथी जमातों में चिंता की लहर फैल गई है। इसी कारण से एक ओर जहां इंफ्लूएंसरों पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है, वहीं पर हिंदुओं के सबसे सक्रिय संगठन इस्कॉन को भी कुलचने का कुचक्र रचा जा रहा है। अब इस्लामी कट्टरपंथी खुलेआम इस्कॉन के अहिंसक और शांतिप्रिय भक्तों को सताने और फिर उन्हें मारने की धमकी दे रहे हैं। आने वाले समय में बांग्लादेश में हम अराजकता और आंदोलन को देखने के लिए तैयार हैं, क्योंकि बांग्लादेश में लोकतंत्र जब तक चलना था चल गया अब सिर्फ तानाशाह या इस्लामिक कट्टरता ही देखने को मिलेगी।