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Last Modified: बुधवार, 31 जुलाई 2019 (12:02 IST)

छह महीनों में कश्मीर में मारे गए 121 चरमपंथी और 71 सुरक्षाकर्मी

छह महीनों में कश्मीर में मारे गए 121 चरमपंथी और 71 सुरक्षाकर्मी - Jammu Kashmir
इंडियन एक्सेप्रेस में छपी खबर के मुताबिक कश्मीर में मारे गए चरमपंथियों में से 82 प्रतिशत कश्मीर के ही रहने वाले थे। इनमें भी अधिकतर दक्षिण कश्मीर के थे। सीमापार कर आने वाले चरमपंथियों की संख्या में कमी आई है।
 
साल 2019 के पहले छह महीनों में जम्मू कश्मीर में मारे गए चरमपंथियों की संख्या 121 है। इन 121 में से 21 चरमपंथी पाकिस्तान के रहने वाले थे। बाकी 100 कश्मीर के अलग-अलग इलाकों से थे। चरमपंथियों और सुरक्षाबलों के बीच अधिकांश मुठभेड़ें दक्षिण कश्मीर के इलाकों में हुई। सबसे ज्यादा चरमपंथी पुलवामा में मारे गए। पुलवामा में 36, शोपियां में 34 और अनंतनाग में 16 चरमपंथी मारे गए।
 
इंडियन एक्सेप्रेस में छपी खबर के मुताबिक 2019 में आतंकी समूहों में शामिल होने वाले कश्मीरियों की संख्या में कोई गिरावट नहीं आई है। 2019 के पहले छह महीनों में 76 कश्मीरी चरमपंथी गुटों में शामिल हो गए। इनमें से 39 हिज्बुल मुजाहिद्दीन और 21 जैश ए मोहम्मद में शामिल  हुए हैं।  इनमें भी अधिकांश दक्षिण कश्मीर के ही रहने वाले हैं। इनमें पुलवामा के 20, शोपियां के 15, अनंतनाग और कुलगाम के रहने वाले 13-13 लोग शामिल हैं। ये जानकारी सरकार द्वारा जारी किए गए एक दस्तावेज से मिली है।
 
कश्मीर में पहले छह महीने में करीब 100 चरमपंथी हमले हुए, जिनमें से 32 पुलवामा, 23 शोपियां, 15 अनंतनाह और 10 श्रीनगर जिले में हुए। इन हमलों में सुरक्षाबलों पर फायरिंग, आईइडी धमाके, पेट्रोल बम फेंकना, हथियार लूटना और अपहरण की घटनाएं शामिल हैं। इन छह महीनों में सुरक्षाबलों के 71 सिपाहियों ने अपनी जान गंवाई और 115 घायल हुए। मृतकों में भारतीय सेना के 15, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 48 और कश्मीर पुलिस के 8 जवान शामिल हैं।
 
इन्हीं छह महीनों में सुरक्षाबलों पर पत्थर फेंकने के 228 मामले सामने आए। साथ ही आम नागरिकों द्वारा प्रदर्शन करने के 346  और अलग-अलग संगठनों द्वारा बुलाए गए 10 बंद के मामले सामने आए। इन छह महीनों के बीच लोकसभा चुनाव भी हुए। लोकसभा चुनावों के दौरान कश्मीर में हिंसा और बंद के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई।
 
इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक और रिपोर्ट के मुताबिक गर्मियों के समय में पाकिस्तान से सीमापार कर आने वाले आतंकियों की संख्या में कमी आई है। भारत और पाकिस्तान के बीच बनी निंयत्रण रेखा में पीर पंजाल के इलाके में कुछ घुसपैठों के अलावा कोई बड़ी घुसपैठ सामने नहीं आई है। इसके अलावा सीजफायर उल्लंघन के मामले भी कम सामने आए हैं। सीजफायर उल्लंघन के अधिकांश मामलों में छोटे हथियारों का ही इस्तेमाल किया गया है।
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