35-ए पर कश्मीरी राजनीतिक दल एकजुट, अफवाहों का बाजार गर्म, 4 माह के राशन भंडारण का आदेश
जम्मू। कश्मीर में किसी बड़े फैसले की सुगबुगाहट के बीच श्रीनगर शहर की सभी मस्जिदों और उनके प्रबंधकों की लिस्ट मांगी गई है। इससे एक बार फिर कयास तेज हो गए हैं कि आने वाले समय में जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे से जुड़े कुछ बड़े फैसले लिए जा सकते हैं।
पहले से ही 10 हजार अतिरिक्त जवानों की तैनाती को लेकर अफवाहों और चर्चाओं का बाजार गर्म था। इसमें रेलवे का वह आदेश भी अपनी अहम भूमिका निभा रहा था जिसमें कर्मचारियों को 4 माह का राशन भंडारण करने के लिए कहा गया था। हालांकि हालात की नजाकत को समझते हुए कश्मीर के कई प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दल एक होने लगे हैं।
श्रीनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने 28 जुलाई की रात श्रीनगर के 5 जोनल पुलिस अधीक्षकों को ये आदेश जारी किया है। आदेश में लिखा गया है कि कृपया दिए गए प्रारूप में अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाली मस्जिदों और प्रबंध समितियों के बारे में ब्योरा ऑफिस को तत्काल उपलब्ध कराएं।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस आदेश के बाद उन अटकलों को बल मिला है कि केंद्र की योजना 35ए को खत्म करने की हो सकती है जिसके तहत राज्य के निवासियों को सरकारी नौकरियों और जमीन से जुड़े मामलों में खास अधिकार मिले हुए हैं।
इससे पहले 27 जुलाई को बडगाम में रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के एक अधिकारी ने अपने कर्मचारियों से कहा था कि कश्मीर घाटी में 'लंबे समय के लिए हालात खराब होने के पूर्वानुमान' को देखते हुए वो कम से कम 4 महीने के लिए अपने घरों में राशन का भंडारण कर लें और दूसरे कदम उठा लें। इससे भी इन चर्चाओं को बल मिला। रेलवे ने हालांकि साफ किया कि इस लेटर का कोई आधार नहीं है और किसी अधिकारी को इसे जारी करने का अधिकार नहीं है।
राज्य में अनुच्छेद 35-ए को बरकरार रखने के लिए वैसे तो सभी क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की एक ही सोच है लेकिन कभी भी यह दल एकसाथ एक मंच पर नहीं आए हैं। एक दिन पहले ही 35-ए के साथ छेड़छाड़ को बारूद को हाथ लगाने के बराबर बताने वाली पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती अब इस मुद्दे पर और मुखर हो गई हैं।
महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को ट्वीट किया कि कश्मीर में हाल ही में जो घटनाक्रम हुए हैं, उससे स्थानीय लोगों में भय का माहौल व्याप्त हो गया है। उन्होंने कहा कि मैंने डॉ. फारुक अब्दुल्ला साहब से सर्वदलीय बैठक बुलाने का अनुरोध किया है। समय की जरूरत है कि सभी एकसाथ आएं और एकजुट होकर सरकार को इस मुद्दे पर जवाब दें। कश्मीर के लोगों को इस मुद्दे पर एकजुट होने की जरूरत है।
इस मुद्दे पर नेकां पीडीपी समेत कई कश्मीर स्थित राजनीतिक और सामाजिक दल एक ही मंच पर आने लगे हैं। ऐसा पहली बार हुआ है। हालांकि यह बात अलग है कि फिलहाल अलगाववादी नेताओं की ओर से इस मामले पर कोई वक्तव्य जारी नहीं किया गया है।