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Written By DW
Last Updated : बुधवार, 16 फ़रवरी 2022 (08:26 IST)

क्या पंजाब में 'आप' को मिल रही है आरएसएस की मदद?

क्या पंजाब में 'आप' को मिल रही है आरएसएस की मदद? - Is AAP getting help of RSS in Punjab election
बीजेपी पंजाब में सरकार बनाने की स्थिति में नजर नहीं आ रही है और कई जानकारों का मानना है कि ऐसे में आरएसएस और बीजेपी परोक्ष रूप से 'आप' को जिताने की कोशिश रहे हैं। लेकिन इसकी कितनी संभावना है?
 
पंजाब विधान सभा चुनावों में सत्ता पाने के संघर्ष के बहुकोणीय होने से राज्य में नए समीकरण भी उभर सकते हैं। वैसे भी इस समय राज्य की जो राजनीतिक तस्वीर है वो पिछले चुनावों की तस्वीर से बिल्कुल अलग है।
 
कांग्रेस और आम आदमी पार्टी एक दूसरे को पछाड़ने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। अकाली दल और बीजेपी पहली बार अलग अलग लड़ रहे हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने राजनीतिक जीवन में दूसरी बार कांग्रेस को छोड़ कर एक नई पार्टी बनाई है। बीजेपी के साथ गठबंधन उन्होंने पहली बार किया है।
 
'आप' की मदद?
इसके अलावा किसान आंदोलन से जुड़े कुछ संगठनों ने चुनाव लड़ने का फैसला ले कर मुकाबले में एक कोण और जोड़ दिया है। ऐसे में इस समय यह कहना मुश्किल है कि मुकाबले में कौन सबसे आगे निकल पाएगा।
 
लेकिन पंजाब की राजनीति के कुछ जानकारों का मानना है कि पहले स्थान के लिए मुकाबला मुख्य रूप से 'आप' और कांग्रेस के बीच में ही है और इन दोनों में से कौन आगे निकलेगा यह कई समीकरणों पर निर्भर करता है।
 
ऐसे में राज्य की राजनीति में जिस दिलचस्प पहलू पर चर्चा चल रही है वो है 'आप' और बीजेपी के रिश्ते की। नाम ना उजागर की करने की शर्त पर एक अज्ञात सूत्र ने डीडब्ल्यू को बताया कि आरएसएस ने अपने कार्यकर्ताओं से कहा है कि वो 'आप' की जीतने में मदद करें।
 
सूत्र ने बताया कि संघ को मालूम है कि बीजेपी सरकार नहीं बना पाएगी लेकिन वो भविष्य की तैयारी कर रहे हैं। सूत्र के मुताबिक संघ का मानना है कि उसकी और 'आप' की विचारधारा एक दूसरे से मिलती है, इसलिए बीजेपी को अगर भविष्य में अकाली दल की जगह नए साझेदार की जरूरत होगी तो 'आप' उस भूमिका में फिट बैठेगी।
 
वैचारिक समानता
लेकिन कई और जानकारों की राय इससे थोड़ी अलग है। पंजाब के वरिष्ठ पत्रकार अरुणदीप शर्मा ने बताया कि संघ ने अपने कार्यकर्ताओं को 'आप' को जिताने के लिए कहा है या नहीं इसकी तो उन्हें जानकारी नहीं है, "लेकिन इतना जरूर है कि पंजाब में कई लोग 'आप' को बीजेपी की 'बी टीम' मानते हैं।"
 
अरुणदीप कहते हैं कि इसके कई कारण हैं, जैसे यह साफ हो चुका है कि अरविंद केजरीवाल संघ के संगठन स्वदेशी जागरण मंच के साथ काम करते थे।
 
उन्होंने बताया, "इसके अलावा बीजेपी के लिए जो मुद्दे सबसे महत्वपूर्ण हैं उन पर वो बीजेपी के साथ ही खड़े नजर आते हैं, जैसे कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाना। साथ ही 2020 में हुए दिल्ली दंगों के समय भी केजरीवाल मौन रहे।"
 
पंजाब की राजनीति के जानकार राजीव खन्ना यह मानते हैं कि चूंकि बीजेपी जानती है कि वो सरकार नहीं बना सकती, इसलिए वो उस स्थिति का समर्थन करेगी जिसमें उसका हित हो।
 
दिल्ली जैसा मॉडल
राजीव कहते हैं, "आप को बीजेपी और आरएसएस से सक्रिय रूप से मदद मिलने के बारे में तो कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन इतना जरूर है कि 'कांग्रेस-मुक्त' भारत को जो नारा बीजेपी ने दिया है, उसके मुकम्मल होने के लिए तो पार्टी के हित में यही होगा कि पंजाब में या तो त्रिशंकु विधान सभा बने बने या 'आप' जीते।"
 
कुछ जानकार इस समीकरण में दिल्ली की मौजूदा राजनीति का प्रतिबिंब भी देखते हैं। हार्ड न्यूज पत्रिका के संपादक संजय कपूर मानते हैं कि 'आप' एक बिना विचारधारा की पार्टी है जो सिर्फ सिविक मुद्दों पर अपना ध्यान केंद्रित रखती है।
 
संजय कहते हैं, "इसलिए 'आप' ऐसे लोगों के लिए एक आकर्षक राजनीतिक विकल्प है जिनका विश्वास पंथ-निरपेक्षता की जगह 'मेजॉरिटेरियन राजनीति' में है। आरएसएस भी दिल्ली मॉडल को पंजाब, उत्तराखंड और गोवा में दोहरा कर खुश ही होगी, जहां कांग्रेस सत्ता में रह चुकी है और अभी भी सत्ता के मुकाबले में बीजेपी की प्रतिद्वंदी है।"
 
बहरहाल, मतदान बहुत नजदीक है और असली स्थिति जल्द ही सबके सामने आ जाएगी। लेकिन चुनावों के बाद देखना यह होगा कि पंजाब के नए समीकरणों का 2024 के लोक सभा चुनावों की तैयारियों पर क्या असर पड़ेगा।
रिपोर्ट : चारु कार्तिकेय
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