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Written By DW
Last Modified: रविवार, 13 फ़रवरी 2022 (08:04 IST)

यूक्रेन संकट : बार-बार झगड़े में क्यों फंसती है नॉर्ड स्ट्रीम-2 गैस पाइपलाइन

यूक्रेन संकट : बार-बार झगड़े में क्यों फंसती है नॉर्ड स्ट्रीम-2 गैस पाइपलाइन - story of nord stream gas pipeline
जब भी रूस के साथ पश्चिमी देशों का तनाव बढ़ता है, नॉर्ड स्ट्रीम-2 गैस पाइपलाइन खतरे में पड़ जाती है। जानिए, इस पाइपलाइन की पूरी कहानी।
 
जर्मनी की भविष्य की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार की गई नॉर्ड स्ट्रीम-2 गैस पाइपलाइन, अमेरिका जैसे उसके सहयोगी देशों को विवादास्पद लगती है। रूस और पश्चिमी देशों के बीच ताजा टकराव के बीच इस परियोजना को बंद करने की मांग फिर से उठने लगी हैं।
 
नॉर्डस्ट्रीम-2 है क्या?
 
नॉर्ड स्ट्रीम-2 बाल्टिक सागर से होते हुए पश्चिमी रूस से उत्तरपूर्वी जर्मनी तक जाने वाली दूसरी प्राकृतिक गैस पाइपलाइन है। 2011 में चालू हुई अपनी पूर्ववर्ती नॉर्ड स्ट्रीम-1 के साथ नयी गैस पाइपालाइन में हर साल 55 अरब घन मीटर गैस ले जाने की क्षमता है।
 
नॉर्ड स्ट्रीम-2 गैस पाइपलाइन को बनाने में साढ़े नौ अरब यूरो (10।6 अरब डॉलर) का खर्च आया है। 1,230 किलोमीटर लंबी ये पाइपलाइन, दुनिया की सबसे बड़ी समुद्री पाइपलाइन है। एक दशक से भी ज्यादा समय पहले इसका खाका तैयार किया गया था।
 
2018 में इस पाइपलाइन का निर्माण प्रारंभ हुआ और सितंबर 2021 में पूरा हुआ। लेकिन नॉर्ड स्ट्रीम-2 से गैस भेजने का काम अभी शुरू नहीं हुआ है क्योंकि उसका परिचालन लाइसेंस अटक गया है।
 
नॉर्डस्ट्रीम-2 की जरूरत क्यों है?
 
जर्मनी कमोबेश पूरी तरह प्राकृतिक गैस के आयात पर निर्भर है। आईएचएस मार्किट के मुताबिक 2020 में जर्मनी को आधे से ज्यादा गैस आपूर्ति अकेले रूस से हुई थी।
 
यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश को ऊर्जा स्थानान्तरण के लिहाज से कोयला और एटमी ऊर्जा से छुटकारा पाना है। इसीलिए पर्याप्त मात्रा में अक्षय ऊर्जा उत्पादन या निर्यात शुरू न हो पाने तक वह प्राकृतिक गैस का उपयोग, एक पुल की तरह करना चाहता है।
 
जर्मनी में पिछले महीने आखिरी बचे छह एटमी ऊर्जा स्टेशनों में से तीन बंद किए जा चुके हैं। और ऐसे में गैस की जरूरत और तीव्र हो चुकी है। अगले तीन संयंत्र दिसंबर में बंद किए जाएंगे।
 
नॉर्ड स्ट्रीम-2 गैस पाइपलाइन से जर्मनी को अपनी सप्लाई को मजबूत करने में मदद मिलेगी। इस बीच प्राकृतिक गैस का अधिकांश हिस्सा ऑस्ट्रिया, इटली और दूसरे मध्य और पूर्वी यूरोप के देशों को भेजा जाएगा। कुछ पर्यावरणीय समूह शुरुआत से ही पाइपलाइन को गैरजरूरी बताते आए हैं।
 
नॉर्डस्ट्रीम-2 में कौन-कौन शामिल है?
 
रूस की सरकारी कंपनी गाजप्रोम, नॉर्ड स्ट्रीम-2 गैस पाइपलाइन की निर्माता है। पांच यूरोपीय ऊर्जा कंपनियों की मदद से इसे तैयार किया गया था। ये हैं- ऑस्ट्रिया की ओएमवी, ब्रिटेन की शेल, फ्रांस की एन्गी, जर्मनी की उनीपर और वहीं से बीएएसएफ की विंटरशॉल यूनिट। पांचों कंपनियों ने पाइपलाइन में करीब आधे का निवेश किया है।
 
नॉर्डस्ट्रीम-2 इतनी विवादास्पद क्यों है?
 
अमेरिका और जर्मनी के कई यूरोपीय साझेदार शुरुआत से ही नॉर्ड स्ट्रीम-2 गैस पाइपलाइन के खिलाफ रहे हैं। उन्होंने जर्मनी की पूर्व चांसलर अंगेला मैर्केल की सरकार पर समझौता तोड़ने के लिए दबाव भी डाला था।
 
इन सहयोगियों ने आगाह किया है कि नॉर्ड स्ट्रीम-2 गैस पाइपलाइन यूरोप को रूसी गैस पर बहुत ज्यादा निर्भर बना देगी। और यही निर्भरता रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन को पश्चिम के साथ विवाद के मामलों में फायदा उठाने का अवसर दे सकती है।
 
यूरोप की अधिकांश गैस यूक्रेन से होते हुए आती है, जिसे रूस से ट्रांजिट शुल्क मिलता है। पोलैंड भी इस रूप में नॉर्ड स्ट्रीम-2 का विरोध करता है। रूस से आने वाली गैस के परिवहन में ट्रांजिट देश के रूप में, वह अपनी बढ़ी हुई भूमिका देखना चाहता है। जर्मनी लंबे समय से इस पर जोर देता आया है कि पाइपलाइन एक खालिस आर्थिक मुद्दा है।
 
नॉर्डस्ट्रीम-2 बंद होने के कगार पर क्यों थी?
 
2018 में जब यह पाइपलाइन बन ही रही थी, तब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने इसके निर्माण में शामिल तमाम कंपनियों पर प्रतिबंध थोप दिए थे। इसके चलते 18 यूरोपीय कंपनियों ने अपने हाथ पीछे खींच लिए। इनमें जर्मनी की विंटरशॉल कंपनी भी शामिल थी। उसे वित्तीय दंड भुगतने का डर था।
 
रूसी कंपनी गाजप्रोम ने कहा था कि वो खुदबखुद ये पाइपलाइन बिछाना जारी रखेगी। और परियोजना आखिरकार पूरी भी हो गई। पिछले साल मई में बाइडेन प्रशासन ने नॉर्ड स्ट्रीम-2 के खिलाफ तमाम प्रतिबंध वापस ले लिए। वह जर्मनी के साथ रिश्ते नहीं बिगाड़ना चाहते।
 
नॉर्डस्ट्रीम-2 पर फिर से खतरा क्यों?
 
यूक्रेन के मुद्दे पर रूस और पश्चिम के बीच जारी तनाव और संकट के बीच अब ये पाइपलाइन केंद्र में आ गई है। अमेरिका और नाटो ने कहा है कि रूस ने यूक्रेन से लगती अपनी सीमा पर एक लाख से ज्यादा की तादाद में सैनिकों का जमावड़ा लगा दिया है। और रूसी फौज यूक्रेन पर हमला करने को तैयार है। रूस ने इससे इंकार किया है। पश्चिमी देशों ने रूस पर नये प्रतिबंध लगान की चेतावनी दी है। इस बार उनके निशाने पर रूसी बैंक हैं।
 
उनके सामने एक तरीका ये है कि स्विफ्ट नाम से प्रचलित वैश्विक भुगतान प्रणाली से रूसी बैंकों को बाहर कर दिया जाए। स्विफ्ट के तहत पूरी दुनिया में हर रोज करीब पांच खरब डॉलर धनराशि के साढ़े तीन करोड़ की संख्या में वित्तीय लेनदेन होते हैं।
 
दूसरा प्रस्ताव नॉर्ड स्ट्रीम-2 को चालू करने की औपचारिक मंजूरी को अभी और लटकाए रखने का है जिससे रूसी सेना को पीछे हटने के लिए मजबूर किया जा सके। मैर्केल पश्चात की सरकार, पाइपलाइन परियोजना को बंद करने को लेकर अब और इंकार भी नहीं कर रही है। लेकिन यूरोप सर्दियों की ऊर्जा की किल्लत से जूझ रहा है। हाल के महीनों में प्राकृतिक गैस की कीमतों में बड़ा उछाल आया है। और यूरोपीय देशों का भंडार भी पांच साल में सबसे कम है।
 
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सात फरवरी को चेतावनी के अंदाज में कहा था कि अगर रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो वो नॉर्ड स्ट्रीम-2 गैस पाइपलाइन को रुकवा देंगे। उन्होंने कहा था, "हम उसका अंत कर देंगे।”  इस बीच, जर्मन सरकार के ऊर्जा नियामक विभाग ने कहा है कि नॉर्ड स्ट्रीम-2 गैस पाइपलाइन को गर्मियों से पहले मंजूरी मिलने से तो रही।
रिपोर्ट : निक मार्टिन
 
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