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Written By DW
Last Modified: शुक्रवार, 9 जून 2023 (07:58 IST)

700 भारतीय छात्रों को कनाडा क्यों वापस भेजना चाहता है

700 भारतीय छात्रों को कनाडा क्यों वापस भेजना चाहता है - 700 indian students in canada face deportation risk
आमिर अंसारी
कनाडा में पढ़ने गए सैकड़ों भारतीय छात्र इस बात को लेकर परेशान हैं कि कहीं उन्हें वहां का प्रशासन भारत न लौटा दे। दरअसल ये छात्र पढ़ाई के लिए शिक्षा वीजा पर कनाडा गए थे। जांच में उनका एडमिशन ऑफर लेटर फर्जी पाया गया। मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है ऐसे छात्रों की संख्या 700 के करीब है जिनपर भारत वापस भेजे जाने का खतरा मंडरा रहा है। लेकिन सवाल ये है कि आखिर 700 छात्रों के साथ कैसे इतना बड़ा फर्जीवाड़ा हो गया और उन्हें पता तक नहीं चला।
 
भारत से बाहर किसी भी देश में पढ़ने जाने के लिए छात्रों को लंबी कागजी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। उनकी स्कूली पढ़ाई से लेकर सारे दस्तावेज वेरिफाई किए जाते हैं, तभी जाकर कॉलेज या यूनिवर्सिटी में दाखिले के लिए ऑफर लेटर मिलता है।
 
लेकिन अब कनाडा में करीब 700 भारतीय छात्रों का भविष्य अधर में नजर आ रहा है। कनाडा की सरकार ने इन्हें भारत वापस लौटाने का फैसला किया है।
 
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा
इन छात्रों में ज्यादातर पंजाब के रहने वाले हैं। इन्होंने तीन या चार पहले कनाडा में एंट्री ली थी। जब इस साल मार्च में इन छात्रों ने कनाडा में स्थायी निवास के लिए आवेदन किया तो यह मामला सामने आया। फर्जी ऑफर लेटर के चलते इन छात्रों को दाखिला देने से इनकार कर दिया गया और कनाडा की सरकार ने इन्हें डिपोर्ट करने का फैसला किया।
 
समाचार चैनल एनडीटीवी से एक छात्र चमनदीप सिंह ने कहा, "जब हम कनाडा पहुंचे, तो हमारे एजेंट ने हमें बताया कि जिन कॉलेजों के लिए हमें दाखिला पत्र प्राप्त हुए थे, उनमें सीटें भरी हुई थीं। उन्होंने हमें बताया कि यूनिवर्सिटी में ओवरबुकिंग हो रही है, इसलिए वह हमें दूसरे कॉलेज में ट्रांसफर कर सकते हैं। चूंकि हम मौका खोना नहीं चाहते थे, इसलिए सहमत हो गए।"
 
ट्रैवल एजेंट्स पर फर्जी दस्तावेज बनाने का आरोप
एक और छात्रा ने एक अखबार को बताया कि ट्रैवल एजेंट ने कनाडा के कॉलेज में दाखिले का फर्जी लेटर बनाया था। यहीं नहीं इस छात्रा ने दावा किया कि उसे इमिग्रेशन लेटर भी फर्जी दिया गया। लवप्रीत नाम की इस छात्रा का कहना है कि धोखाधड़ी पकड़ी ना जाए, इसके लिए एजेंट ने कहा था कि पहुंचने के पहले कॉलेज से संपर्क न करूं।
 
अब भारत वापस भेजे जाने के डर से छात्र 29 मई से कनाडा बॉर्डर सर्विस एजेंसी के मुख्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए हैं। भारतीय छात्रों का कहना है कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है और वे फर्जीवाड़े के शिकार हैं।
 
मामला कनाडा की संसद में भी उठ चुका है। वहां के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो ने कहा है कि धोखाधड़ी के शिकार लोगों को अपनी स्थिति का प्रदर्शन करने और अपने मामले का समर्थन करने के लिए सबूत पेश करने का अवसर मिलेगा। संसद में सिख मूल के सांसद जगमीत सिंह ने इस मुद्दे को उठाया था।
 
अब इस मामले पर पंजाब के एनआरआई मामलों के मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने केंद्र सरकार से दखल की मांग की है। उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर को एक पत्र लिखकर कहा है कि इन छात्रों को डिपोर्ट नहीं किया जाना चाहिए और उनके वीजा पर विचार करते हुए वर्क परमिट दिया जाना चाहिए।
 
पंजाब सरकार का कहना है कि केंद्र सरकार को ऐसे ट्रैवल एजेंटों पर कार्रवाई करने में सहयोग देना चाहिए जो छात्रों को धोखा देते हैं। धालीवाल ने राज्य के लोगों से अपील की है कि वे विदेश जाने या अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए भेजने से पहले कॉलेज या यूनिवर्सिटी की पड़ताल कर लें और साथ ही साथ ट्रैवल एजेंट का रिकॉर्ड भी जांच लें।
 
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