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Written By DW
Last Modified: गुरुवार, 9 दिसंबर 2010 (16:29 IST)

सुखी रिश्ते के लिए सेक्स नहीं, खाना जरूरी

सुखी दांपत्य जीवन
अक्सर दलील दी जाती है कि दांपत्य जीवन में दरार आने का एक मुख्य कारण शारीरिक संबंधों में कमी या निरसता होती है, लेकिन यही एक कारण नहीं हैं जो रिश्तों को अजनबी बना देता है।

फोर्सा नाम की एक संस्था 14 साल से ऊपर के एक हजार से ज्यादा लोगों के सामने एक सवाल रखा और उनसे हाँ या ना में जवाब देने के लिए कहा। जवाब देने वाले दो तिहाई लोगों का जवाब था हाँ।

सवाल था, 'सहजीवन या सुखी दांपत्य के लिए कभी-कभी साथ बैठ कर खाने का आनंद उठा सकना सेक्स से ज्यादा जरूरी होता है।' 65 फीसदी लोगों ने इस वाक्य का हाँ में उत्तर दिया।

50 साल से ज्यादा उम्र के करीब 75 प्रतिशत लोगों ने साथ रहकर आनंद उठाने को शारीरिक संबंधों से ज्यादा महत्व दिया। जबकि पार्टनर के साथ रहने वाली महिलाओं और पुरुषों में 70 फीसदी ने साथ खाने का आनंद उठा सकने की अहमियत का समर्थन किया। जबकि सिंगल्स में 58 प्रतिशत लोग ही इसके समर्थन में रहे।

ब्रिगिटे बैलेन्स के इस सर्वे में सामने आया कि 39 फीसदी महिलाएँ इस बात पर ध्यान देती हैं कि उनका साथी क्या और कितना खा रहा है जबकि कैलोरी नियंत्रण के मामले में 28 फीसदी पुरुष ही ध्यान देते हैं।

भारत के लिए इससे भी रोचक बात यह है कि सर्वे में हर तीसरे पुरुष या महिला ने इस वाक्य पर राइट का निशान लगाया कि वह किसी वेजिटेरियन महिला या पुरुष के साथ नहीं रह सकते। सर्वे में 50 साल से ज्यादा उम्र के लोग और पूर्वी जर्मनी के लोगों ने अक्सर खुद को शाकाहार (माँस रहित भोजन) का दुश्मन बताया। कुल 42 प्रतिशत लोगों का विचार था कि स्वस्थ खाने के बारे में बहस अतिशयोक्ति है और मेरा दिमाग खराब करती है।

- एजेंसियां/आभा एम