Last Modified: नई दिल्ली ,
शुक्रवार, 5 अक्टूबर 2012 (17:15 IST)
सचिन के बिना टीम की कल्पना कठिन- कुंबले
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पूर्व भारतीय कप्तान और दुनिया के महान स्पिनरों में से एक अनिल कुंबले ने शुक्रवार को कहा कि मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर के बिना भारतीय टीम की कल्पना ही नहीं की जा सकती और संन्यास के बारे में कोई भी फैसला करने का हक सिर्फ सचिन को ही है।
कुंबले ने यहां रोहिणी में रेयान इंटरनेशनल स्कूल में अपनी कंपनी टेनविक स्पोर्ट्स की क्रिकेट अकादमी शुरू करने के बाद संवाददाता सम्मेलन में सचिन के नवंबर में भविष्य की योजनाओं के बारे में सोचने के मुद्दे पर कहा कि मैंने अभी तक यह स्टोरी नहीं पढ़ी है कि सचिन ने अपने लिए क्या कहा है।
इसलिए मैं इस पर ज्यादा टिप्पणी नहीं कर सकता। लेकिन मेरा मानना है कि सचिन के बिना भारतीय टीम की कल्पना ही नहीं की जा सकती है। वे 23 वर्षों से भारतीय क्रिकेट टीम का एक अभिन्न हिस्सा बने हुए हैं।
पूर्व कप्तान और अब कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ के अध्यक्ष कुंबले ने कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि मैं लंबे समय तक ड्रेसिंग रूम में सचिन के साथ रहा। हमने काफी समय साथ-साथ गुजारा है। संन्यास लेना किसी व्यक्ति का निजी फैसला होता है।
मैं इतना जरूर कहना चाहता हूं कि लंबे समय से खेल से जुड़े रहने के बाद किसी भी खिलाड़ी के लिए यह फैसला करना बहुत मुश्किल काम होता है। उल्लेखनीय है कि सचिन ने एक समाचार-पत्र के साथ साक्षात्कार में कहा था कि वे अपनी भविष्य की योजनाओं के बारे में नवंबर में सोचना शुरू करेंगे।
सचिन इस समय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी पसंद के हिसाब से सिरीज चुनकर खेल रहे हैं। न्यूजीलैंड के खिलाफ पिछली घरेलू टेस्ट सीरीज में उनका प्रदर्शन खास नहीं रहा था। उसके बाद से ही इस बात को लेकर जबर्दस्त बहस चल रही है कि 39 वर्षीय मास्टर ब्लास्टर को अपने संन्यास को लेकर जल्द ही कुछ फैसला कर लेना चाहिए।
सचिन अब तक यही कहते आ रहे थे कि जब तक उन्हें खेलने में मजा आता रहेगा, वे खेलेंगे। जिस दिन उन्हें यह महसूस होगा कि अब वो आनंद नहीं रहा तभी वे बल्ला टांग देंगे। यह पहला मौका है जब सचिन ने कहा है कि वे अपनी भविष्य की योजनाओं के बारे में विचार करेंगे।
कुंबले ने भारतीय टीम के खिलाड़ियों के मौजूदा प्रदर्शन को लेकर कुछ खास नहीं कहा लेकिन उन्होंने अपने जोड़ीदार स्पिनर हरभजन सिंह की वकालत करते हुए कहा कि उन्हें अभी खारिज नहीं किया जा सकता।
पूर्व लेग स्पिनर ने कहा कि हरभजन की उम्र अभी 32 साल ही है। वे 400 से ज्यादा विकेट ले चुके हैं और इस समय वे उम्र के उस दौर में हैं जब स्पिनर पूरी तरह परिपक्व हो जाता है।
भज्जी के सामने अभी लंबा करियर पड़ा है और भारतीय टीम को उनकी अभी बहुत जरूरत है। उभरते ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन के लिए कुंबले ने कहा कि उनमें भी काफी संभावनाएं हैं। अश्विन ने अब तक जितनी क्रिकेट खेली है उसमें उन्होंने खुद को साबित किया है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्पिन गेंदबाजी के भविष्य को बेहतर बताते हुए कुंबले ने कहा कि इंग्लैंड के आफ स्पिनर ग्रीम स्वान और पाकिस्तान के ऑफ स्पिनर सईद अजमल शानदार गेंदबाजी कर रहे हैं। ऐसे गेंदबाजों को देखते हुए स्पिन गेंदबाजी का भविष्य सुरक्षित माना जा सकता है।
युवा क्रिकेटरों को ट्वेंटी-20 से दूर रखने के सवाल पर कुंबले ने कहा कि पहले तो क्रिकेट से ही शुरुआत होनी चाहिए और जब आप क्रिकेट की कुछ बारीकियां सीख जाओ तब उसके बाद सोचा जाना चाहिए कि कौन सी क्रिकेट खेलनी है। सबसे पहले मैदान में आकर खेलना जरूरी है।
अपनी अकादमी और इसमें युवा क्रिकेटरों को मिलने वाली सुविधाओं का जिक्र करते हुए कुंबले ने कहा कि खेल और शिक्षा को साथ-साथ चलना चाहिए। इससे अच्छा करियर बनाने में मदद मिलती है। खेल तो अब सिर्फ मनोरंजन नहीं रह गए हैं बल्कि जीने और करियर का नया नजरिया बन गए हैं।
खेल में अब युवाओं के लिए शानदार करियर है और आधुनिक समय की जरूरत खेल भी है, लेकिन हमें ओलिंपिक खेलों के साथ-साथ अन्य खेलों में भी ऑइकन बनाने की जरूरत है तभी युवा वर्ग ज्यादा से ज्यादा संख्या में खेलों से जुड़ पाएगा।
क्रिकेट प्रशासक के रूप में अपने करियर की दूसरी पारी को बेहद चुनौतीपूर्ण बताते हुए कुंबले ने कहा कि यह पारी भी बिलकुल क्रिकेट मैचों जैसी ही है। क्रिकेट खेलते समय हम खुद को रोजाना नई परिस्थितियों और नई चुनौतियों के लिए तैयार करते थे।
ठीक उसी तरह खेल प्रशासक के रूप में भी रोजाना ही नई चुनौतियों से दो-चार होना पड़ता है। उन्होंने साथ ही कहा कि मुझे खुशी है कि जिस तरह क्रिकेट में मैंने देश के लिए कुछ योगदान दिया, उसी तरह खेल प्रशासन में भी मैं अपना योगदान दे रहा हूं। (वार्ता)