Last Modified: नई दिल्ली ,
रविवार, 3 जून 2007 (22:03 IST)
रिचर्ड्स भी भारतीय कोच की दौड़ में
नया कोच चुनने के क्रम में भारतीय क्रिकेट बोर्ड की नजरें टॉम मूडी, डेव व्हाटमोर और विवियन रिचर्ड्स पर खास तौर से हैं। हालाँकि बीसीसीआई ने इस तीनों नामों से अलावा भी तलाश बंद नहीं की है।
बीसीसीआई ने सोमवार को ग्रेग चैपल का उत्तराधिकारी चुनने के लिए सात सदस्यीय समिति गठित करके साफ कर दिया कि क्रिकेट मैनेजर का विचार अधिक दिन तक नहीं बना रहेगा। रवि शास्त्री बांग्लादेश दौरे के लिए टीम मैनेजर हैं, लेकिन इसके बाद वह इस पद पर नहीं बने रहेंगे।
भारतीय कोच की दौड़ में मूडी सबसे आगे लगते हैं। मूडी अभी श्रीलंका के कोच हैं, जो उन्हें आगे भी इस पद पर बनाये रखने की इच्छुक हैं। हालाँकि अपनी अमीरी के दम पर भारतीय बोर्ड श्रीलंका को पीछे छोड़ सकता है।
इस पूर्व ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं और साफ किया है कि वह विश्व कप के बाद ही अपने भविष्य का फैसला करेंगे। व्हाटमोर का मई में बांग्लादेश के साथ कार्यकाल समाप्त हो जाएगा और अपनी कोचिंग के कारण अधिक मशहूर रहे इस शख्स ने चैपल के इस्तीफे के बाद ही खुद को भारतीय कोच की दौड़ में शामिल कर दिया था।
अपने जमाने के धाकड़ बल्लेबाज रिचर्ड्स को कोचिंग का अनुभव हासिल नहीं है लेकिन उनके शब्दों में मैं भारतीय क्रिकेट का हिस्सा बनना चाहूँगा। मेरा मानना है कि मैं मानसिक पहलू में काफी मददगार साबित हो सकता हूँ। मैं खिलाड़ियों को बल्लेबाजी और टकराव जैसे पहलुओं पर तैयार करने की कोशिश करूँगा।
इन विदेशी दावेदारों के अलावा कुछ भारतीय भी दौड़ में हैं, जिनमें मोहिंदर अमरनाथ, अंशुमन गायकवाड़ और संदीप पाटिल प्रमुख हैं। बीसीसीआई के सूत्रों के अनुसार बोर्ड हालाँकि किसी विदेशी को ही यह जिम्मेदारी सौंपने पर विचार कर रहा है।
बीसीसीआई के वर्तमान सत्तारूढ़ गुट के करीबी और पूर्व बोर्ड अध्यक्ष राजसिंह डूंगरपुर तो पहले ही कह चुके हैं कि कोई भी भारतीय इस पद को संभालने लायक नहीं हैं। यह इस बात का संकेत है कि अगले कुछ वर्षों में कोई विदेशी और पूरी संभावना है कि कोई ऑस्ट्रेलियाई ही भारतीय ड्रेसिंग रूम में बैठा हुआ दिखाई देगा।
अब यह साफ हो चुका है कि भारत ने दो साल पहले मूडी को नकार करके बहुत बड़ी भूल की थी। मूडी अपनी कोचिंग क्षमता को साबित कर चुके हैं। कोचिंग की बेहतर समझ के अलावा वह एक कड़क और संवेदनशील व्यक्ति भी हैं।
ऑस्ट्रेलिया की तरफ से आठ टेस्ट और 76 एकदिवसीय मैच खेलने के बाद वह कोचिंग की तरफ मुड़े। मूडी ने पहले ऑस्ट्रेलिया फिर इंग्लिश काउंटी वूस्टरशायर को कोचिंग दी और अब श्रीलंका की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
मूडी के कोच बनने के बाद श्रीलंका ने 18 टेस्ट मैच खेले, जिसमें से उसने दस जीते और केवल पाँच हारे। इस बीच श्रीलंका की टीम ने वेस्टइंडीज, इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड जैसी टीमों को मात दी। यदि एकदिवसीय मैचों की बात की जाए तो श्रीलंका ने मूडी के रहते हुए 68 वन डे में 36 जीते और 28 हारे हैं।
श्रीलंका की सबसे बड़ी मजबूती टीम के दो प्रमुख व्यक्तियों कप्तान और कोच के संबंधों में निहित है। मूडी किसी भी व्यक्ति के साथ बहुत अच्छे संबंध बना लेते हैं, जबकि चैपल अधिकतर भारतीय खिलाड़ियों के दिल नहीं जीत पाए।
व्हाटमोर की भी दिली इच्छा है कि वह भारतीय टीम के कोच बने। उन्होंने हाल में अपना दावा पेश करते हुए एक साक्षात्कार में कहा था कि मैं पिछले लंबे समय से भारतीय उप-महाद्वीप में काम कर रहा हूं और यहां के माहौल को अच्छी तरह से समझता हूँ।
श्रीलंका में जन्में और ऑस्ट्रेलिया की तरफ से खेलने वाले व्हाटमोर को कोचिंग का बहुत अच्छा अनुभव है। उनके रहते हुए ही श्रीलंका ने 1996 में विश्व कप जीता था। व्हाटमोर की कोचिंग में श्रीलंका ने विश्व कप में 14 मैच जीते और केवल 4 में वह पराजित हुआ था।
व्हाटमोर ने अप्रैल 2003 में बांग्लादेश का कोच पद संभाला और इस नौसिखिया टीम में वह काफी सुधार करने में सफल रहे। विश्व में भारत और दक्षिण अफ्रीका को हराने वाले बांग्लादेश ने उनके रहते हुए अपनी पहली टेस्ट जीत हासिल की।
यही नहीं, इस बीच बांग्लादेश ने 91 एकदिवसीय मैच में से 33 जीते और 58 हारे और उसका सफलता प्रतिशत 36 रहा। उनके आने से पहले तक बांग्लादेश ने 67 मैच में केवल तीन जीते थे और जबकि 62 हारे थे और उसका प्रतिशत केवल पाँच था।