भारत पर टिकी हैं श्रीलंका क्रिकेट की नजरें
भारतीय खिलाड़ियों को श्रीलंका प्रीमियर लीग में खेलने की स्वीकृति से बीसीसीआई के इंकार से देश का क्रिकेट बोर्ड भले ही हैरान और दुखी हो लेकिन बोर्ड ने स्वीकार किया कि वित्तीय मजबूती के लिए उसकी नजरें भारत पर ही टिकी हैं।श्रीलंका क्रिकेट (एसएलसी) ने आज इस बात से इंकार किया कि संस्था को पैसों की समस्या का सामना करना पड़ रहा है लेकिन स्वीकार किया कि अपने वित्त के प्रबंधन के लिए उसे टीम इंडिया के ‘दो या तीन दौरों’ की जरूरत है।एसएलसी के कोषाध्यक्ष सुजीव राजपक्षे ने कहा, ‘कोई वित्तीय संकट नहीं है।’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के हिस्से के विश्व कप मैच देश में स्थानांतरित किए जाने के बाद बोर्ड को टूर्नामेंट की मेजबानी पर अतिरिक्त खर्च करने के लिए बाध्य होना पड़ा था जिससे कुछ समय के लिए थोड़ी समस्या पैदा हुई थी।राजपक्षे ने कहा, ‘हमने शुरुआत में आठ मैचों की मेजबानी की योजना बनाई थी और पाकिस्तान मुद्दे के कारण हमें 12 मैचों की मेजबानी करनी पड़ी। इससे कारण बुनियादी ढांचे पर अतिरिक्त खर्च करना पड़ा।’श्रीलंका के तीन विश्वकप आयोजन स्थलों पर चार अरब 40 करोड़ रुपए खर्च हुए जो तीन अरब 20 करोड़ रुपए के शुरुआती आकलन से काफी अधिक है। राजपक्षे ने हालांकि स्वीकार किया कि उन्होंने सरकार से अनुदान की मांग की थी। उन्होंने कहा, ‘हम राष्ट्रीय संस्थान है जिससे कमाई होती है। सरकारी अनुदान की मांग करना हमारा अधिकार है।’ उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा, ‘हम ऐसा संस्थान नहीं है जो रोजाना कमाई करता है। अगले सात या आठ साल में भारत के दो या तीन दौरे हमारे निवेश की पूर्ति कर देंगे।’ (भाषा)