जारी है भारतीय क्रिकेट का अश्वमेध यज्ञ
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सुशील दोषी सपने सँजोना गलत नहीं है, गलत है तो सपनों को पूरा करने के लिए आवश्यक मेहनत न करना। खुशी की बात है कि भारतीय क्रिकेट टीम यह गलती नहीं कर रही है। जो सपना भारतीय क्रिकेटप्रेमियों ने सौरव गांगुली के नेतृत्व वाली भारतीय टीम से देखा था, वह सपना धोनी के नेतृत्व वाली टीम से पूरा होता दिखाई दे रहा है। गांगुली की बेमिसाल आक्रामकता की शैली को धोनी की कभी हार न मानने की धुन ने नई राह दी है।अभी दो वर्ष पहले तक पूरी क्रिकेट की दुनिया ऑस्ट्रेलिया की सकारात्मकता व आक्रामकता को आदर्श उदाहरण की तरह देखती थी। दो वर्षों में ही तस्वीर का रुख पलट गया है। आज भारत खेल रहा है दो वर्षों के पहले वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम की तरह और क्रिकेट की बाकी दुनिया उसके इस बढ़ते कद को बड़े रश्क के साथ देख रही है। क्रिकेट के जारी अश्वमेध यज्ञ में भारत ने पहले अपने घर में ऑस्ट्रेलिया व इंग्लैंड को हराया। तब समालोचकों ने कहा- 'अपने घर में तो सभी शेर होते हैं।' तब भारत ने श्रीलंका जाकर श्रीलंका को हराया और अब न्यूजीलैंड को न्यूजीलैंड जाकर हराना शुरू कर दिया है। अधिकृत रूप से अभी भी ऑस्ट्रेलिया व दक्षिण अफ्रीका भारत से आगे हो पर क्रिकेट के जानकार कहने लगे हैं कि भारत का विश्व क्रिकेट के सिंहासन पर बैठना अब औपचारिकता मात्र है। अब भारतीय टीम के जाँबाज बल्लेबाजों को न तो स्विंग के सुल्तान डिगा पाते हैं और न ही रफ्तार के सौदागर भयभीत कर पाते हैं।कहते हैं कि पराजय से भी ज्यादा घातक होता है पराजित होने का डर। पहले की भारतीय टीमें विदेशों में जाकर इसी डर से त्रस्त रहती थीं और इसीलिए बेहतर प्रतिभा के धनी होने के बावजूद पराजय हाथ लगती थी।डर तो अब भी मौजूद है, पर विपक्षी टीमों में। पहले डरते हम थे, पर अब डरती हैं विपक्षी टीमें। भारतीय क्रिकेट के इस नए तेवर ने क्रिकेट की दुनिया को हैरत में डाल दिया है। आइए, जीत की आदत का आवरण ओढ़ी हुई इस भारतीय क्रिकेट टीम के नए अंदाज का हम स्वागत करें।