नई दिल्ली। टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) ने शुक्रवार को बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि जब मैं 2014 के इंग्लैंड दौरे में बुरी तरफ फ्लॉप रहा था, तब मास्टर सचिन तेंदुलकर से मैंने मदद मांगी थी। उनके द्वारा दिए गए गुरुमंत्र का ही चमत्कार था कि मैं खराब फॉर्म से उबर गया।
इंग्लैंड दौरे में जहां एक ओर विराट कोहली 10 पारियों में बुरी तरह नाकाम रहे थे, तब वे स्वदेश लौटने के बाद सचिन तेंदुलकर से मिले और अपनी समस्या को साझा किया। सचिन ने तेज गेंदबाजों के खिलाफ 'फॉरवर्ड प्रेस' करने का गुरुमंत्र दिया। यही नहीं मुख्य कोच रवि शास्त्री ने भी उन्हें सलाह दी कि वे क्रीज से बाहर खड़े रहे।
सचिन और शास्त्री की बताई तकनीक का जल्दी ही रंग देखने को मिला। विराट आक्रामक तेवर के साथ 2014 के अंत में ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गए जहां उन्होंने 4 मैचों में 4 शतक जड़ डाले। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के तेज आक्रमण के खिलाफ 2 शतक तो एडिलेड में जड़े थे।
मयंक अग्रवाल से 'बीसीसीआई डॉट टीवी' में बातचीत करते हुए भारतीय कप्तान ने इंग्लैंड दौरे के बाद अपनी तकनीक में बदलाव का खुलासा किया। कोहली ने 'ओपन नेट्स विद मयंक' शो में अग्रवाल से कहा कि 2014 का दौरा मेरे करियर के लिए मील का पत्थर होगा। काफी लोग अच्छे दौरों को अपने करियर का 'मील का पत्थर' कहते हैं लेकिन मेरे लिए 2014 मील का पत्थर होगा।
उन्होंने कहा कि मैं इंग्लैंड से लौटा और मैंने सचिन (तेंदुलकर) पाजी से बात की और मुंबई में उनके साथ कुछ सत्र लिए। मैंने उन्हें बताया कि मैं अपने कूल्हे की पोजिशन पर काम कर रहा हूं। उन्होंने मुझे बड़े कदमों और तेज गेंदबाजों के खिलाफ 'फॉरवर्ड प्रेस' की अहमियत महसूस कराई।
कोहली ने कहा कि मैंने अपनी पोजिशन के साथ जैसे ही ऐसा करना शुरू किया, चीजें अच्छी तरह होनी शुरू हो गईं और फिर ऑस्ट्रेलिया दौरा हुआ। उन्होंने बताया कि इंग्लैंड में क्या गलत हुआ और उन्हें इसका अहसास कैसे हुआ।
कोहली ने कहा कि इंग्लैंड दौरे के दौरान मेरी 'हिप पोजिशन' मुद्दा थी। यह परिस्थितियों के अनुरूप सांमजस्य नहीं बिठा पाना था और जो करना चाह रहा था, वो नहीं कर पा रहा था। इसलिए सख्त होने से आप कहीं नहीं पहुंचते। यह महसूस करना काफी लंबा और दर्दनाक था लेकिन मैंने इसे महसूस किया।
कोहली को महसूस हुआ कि 'हिप पोजिशन' की वजह से उनकी शॉट लगाने की काबिलियत सीमित हो रही थी। उन्होंने कहा कि इसे संतुलित रखना चाहिए ताकि आप ऑफ साइड और लेग साइड दोनों ही ओर बराबर नियंत्रण बनाकर खेल सको जो काफी महत्वपूर्ण है। जेम्स एंडरसन उन्हें बाहर जाती गेंदबाजों पर ही आउट कर रहे थे।
कोहली ने कहा कि मैं गेंद के अंदर आने को लेकर सोचकर कुछ ज्यादा ही चिंतित हो रहा था। मैं इस संदेह की स्थिति से नहीं निकल सका। हालांकि उनकी तकनीक में जरा से बदलाव से उनके 'स्टांस' में भी बदलाव आया, जो शास्त्री (204-15 में टीम निदेशक) के सुझाव से हुआ और यह 2014-15 ऑस्ट्रेलिया दौरे के शुरू होने से पहले ही हुआ था और फिर सबकुछ बदल गया, जो इतिहास ही है।
कोहली ने कहा कि उन्होंने (शास्त्री) मुझे एक चीज बताई, वो थी क्रीज के बाहर खड़े होने की। उन्होंने इसके पीछे की मानसिकता को भी बताया। आप जिस जगह खेल रहे हो, आपका उस पर नियंत्रण होना चाहिए और गेंदबाज को आपको आउट करने का मौका नहीं देना चाहिए। इसलिए मैंने उसी साल से इसका अभ्यास करना शुरू किया और इसके नतीजे अविश्वसनीय थे। उन्होंने पूर्व भारतीय कोच डंकन फ्लेचर को भी श्रेय दिया जिन्हें बल्लेबाजी की अपार जानकारी है।
कोहली ने कहा कि मैंने डंकन फ्लेचर के बातचीत के बाद ही अपने 'स्टांस' को बड़ा किया जिन्हें खेल की बेहतरीन समझ है। उन्होंने मुझसे एक ही सवाल पूछा कि क्या मैं 'फॉरवर्ड प्रेस' और चौड़े 'स्टांस' से शॉर्ट बॉल को खेल पाऊंगा। तो मैंने कहा कि मैं कर सकता हूं।
शास्त्री के साथ दिलचस्प बातचीत के बारे में कोहली ने हंसते हुए बताया कि रवि भाई ने मुझे पूछा कि क्या मैं शॉर्ट गेंद से डरता था? तो मैंने कहा कि मैं डरता नहीं हूं, मुझे चोट लगने से भी परेशानी नहीं है लेकिन मैं आउट नहीं होना चाहता। (भाषा इनपुट के साथ)