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Last Updated : गुरुवार, 16 दिसंबर 2021 (14:31 IST)

2015 में भारत दौरे पर डीविलियर्स ने अश्वेत खिलाड़ी को नहीं दिया मौका, बाउचर बने नस्लवाद के दोषी

SJN रिपोर्ट में ख़ुलासा : CSA ने नस्ल के आधार पर खिलाड़ियों से किया भेदभाव

2015 में भारत दौरे पर डीविलियर्स ने अश्वेत खिलाड़ी को नहीं दिया मौका, बाउचर बने नस्लवाद के दोषी - Top south african cricketers including AB De villiers and Mark Bourcher under scanner in racism row
जोहानसबर्ग:मार्क बाउचर ने स्वीकार किया कि वह उन लोगों में से थे जिन्होंने एक गाना गाया था जिसमें पॉल एडम्स के ख़िलाफ़ एक गाली भी शामिल थी।

सामाजिक न्याय और राष्ट्र-निर्माण (एसजेएन) आयोग की अंतिम रिपोर्ट के अनुसार, क्रिकेट साउथ अफ़्रीका में खिलाड़ियों के साथ नस्ल के आधार पर भेदभाव किया गया है। 235 पन्नों की सीएसए को सौंपी गई रिपोर्ट में लोकपाल दुमिसा नत्सेबेजा ने निष्कर्ष निकाला कि पूर्व कप्तान और वर्तमान निदेशक ग्रीम स्मिथ , मौजूदा प्रमुख कोच मार्क बाउचर और पूर्व बल्लेबाज़ एबी डीविलियर्स सभी पूर्वाग्रही आचरण में लिप्त थे।

रिपोर्ट में कहा गया है कि नस्ल और लिंग आधारित शिकायतों से निपटने के लिए सीएसए के पास एक स्थायी लोकपाल की नियुक्ति, उनका वित्त पोषण और संसाधन देने का अधिकार है। इसके अलावा सीएसए को एक गुमनाम शिकायत नीति भी बनाना है। लेकिन यह उन लोगों के पुनर्मूल्यांकन के लिए कोई विचार नहीं करता, जिनके साथ ग़लत तरीक़े से भेदभाव किया गया है।

एडम्स ने कहा था कि उन्हें बाउचर और राष्ट्रीय टीम के दूसरे साथियों ने गाली देकर संबोधित किया था, जिसे बाउचर ने स्वीकार किया कि वह उन लोगों में से थे जिन्होंने एक गाना गाया था जिसमें गाली शामिल थी। बाउचर ने माफ़ी मांगी और समझाया कि रंगभेद के बाद टीम की गतिशीलता के लिए श्वेत खिलाड़ी तैयार नहीं थे। लोकपाल ने पाया कि बाउचर की प्रतिक्रिया ने उनकी टिप्पणियों में "नस्लवादी उपक्रमों की संवेदनशीलता और समझ की कमी" का ख़ुलासा किया।

यह रिपोर्ट उस कानून का हवाला देती है जिसमें नस्लीय गालियां देने वालों को अभद्र भाषा का दोषी पाया गया है और इसमें कहा गया है कि बाउचर "विविधता और परिवर्तन प्रशिक्षण से नहीं गुज़रे हैं" और वह "विविधता और परिवर्तन के प्रति उदासीन है।"

2012 में बाउचर के क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद सोलेकिले का टीम में चयन न होना इसकी एक बड़ी वजह मानी गई है, उस समय, इंग्लैंड के ख़िलाफ़ श्रृंखला के अंत में सोलेकिले के साथ सीएसए ने क़रार किया था और उम्मीद थी कि वह टीम का हिस्सा रहेंगे। हालांकि, बाउचर का करियर इंग्लैंड दौरे की शुरुआत में एक आंख की चोट के कारण ख़त्म हो गया था, और फिर डीविलियर्स ने 2014 तक विकेटकीपिंग की ज़िम्मेदारी संभाली, इसके बाद फिर क्विटंन डिकॉक ने डेब्यू किया।

रिपोर्ट में कहा गया है, "पैनल का निर्णय पूरी तरह से तर्कहीन था और प्रणालीगत नस्लवाद के स्पष्ट संकेत दिखाता है। सीएसए, मिस्टर ग्रीम स्मिथ और उस समय के कुछ चयनकर्ताओं ने मिस्टर सोलेकिले और इस समय के कई अश्वेत खिलाड़ियों के साथ कई मायनों में नाइंसाफ़ी की है।"

गांधी मंडेला सीरीज के अंतिम वनडे मैच में अश्वेत खिलाड़ी को जगह नहीं देना चाहते थे डीविलियर्स

खाया ज़ॉन्डो साउथ अफ्रीका की उस एकदिवसीय टीम का हिस्सा थे, जिसने 2015 में भारत का दौरा किया था, लेकिन उन्हें खेलने का मौक़ा नहीं मिला था। जबकि जेपी डुमिनी श्रृंखला के अंतिम मैच के लिए चोटिल हो गए थे। इसके बावजूद उनकी जगह, डीन एल्गर, जो टेस्ट टीम का हिस्सा थे, उन्हें बुलाया गया और उस मैच में खिलाया गया। एसजेएन को दी गई गवाही में, उस समय दौरे पर चयनकर्ता रहे हुसैन मनैक ने कहा कि तब तत्कालीन एकदिवसीय कप्तान एबी डीविलियर्स ने एल्गर को चुनने के लिए दबाव डाला था।

चयन संयोजक लिंडा ज़ोंडी निर्णय में शामिल नहीं थे क्योंकि वह दौरे पर नहीं थे, और डीविलियर्स द्वारा तत्कालीन सीईओ हारून लोर्गट के साथ इस मामले पर चर्चा करने के बाद भी उनसे सलाह नहीं ली गई थी।

लोकपाल ने पाया कि डीविलियर्स ने ज़ोंडी से पहले लोर्गट से बात करके राष्ट्रीय चयन नीति की धज्जियां उड़ा दीं और उन्होंने ऐसा "सिर्फ़ यह सुनिश्चित करने के लिए किया कि एक अश्वेत खिलाड़ी को टीम में नहीं रखा जाए। रिपोर्ट में ये भी लिखा है, "एकमात्र उचित निष्कर्ष यह है कि मिस्टर डीविलियर्स ने नस्लीय आधार पर मिस्टर ज़ोंडो के साथ ग़लत तरीके से भेदभाव किया।"

इस रिपोर्ट के जवाब में डीविलियर्स ने क्रिकइंफ़ो को बताया, " मैंने भी इस खेल में समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए क्रिकेट साउथ अफ्रीका के सामाजिक न्याय और राष्ट्र निर्माण प्रक्रिया के उद्देश्यों का पूर्ण समर्थन किया था। अपने पूरे करियर में, मैंने पूरी ईमानदारी दिखाई है मैं जो मानता था उसके आधार पर टीम के लिए सबसे अच्छा था, मैंने कभी किसी को उसके नस्ल या रंग के आधार पर नहीं देखा, यही सच है।"

रिपोर्ट में कहा गया है, "पैनल का निर्णय पूरी तरह से तर्कहीन था और प्रणालीगत नस्लवाद के स्पष्ट संकेत दिखाता है। सीएसए, मिस्टर ग्रीम स्मिथ और उस समय के कुछ चयनकर्ताओं ने मिस्टर सोलेकिले और इस समय के कई अश्वेत खिलाड़ियों के साथ कई मायनों में नाइंसाफ़ी की है।"(वार्ता)
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