• Webdunia Deals
  1. खेल-संसार
  2. क्रिकेट
  3. समाचार
  4. Sports News, Graham Ford, Sri Lanka, England Test, match referee decision dispute
Written By
Last Updated :लंदन , सोमवार, 13 जून 2016 (23:49 IST)

फ्रंटफुट नोबॉल के लिए तकनीक का इस्तेमाल करना चाहिए : फोर्ड

फ्रंटफुट नोबॉल के लिए तकनीक का इस्तेमाल करना चाहिए : फोर्ड - Sports News, Graham Ford, Sri Lanka, England Test, match referee decision dispute
लंदन। श्रीलंकाई टीम के कोच ग्राहम फोर्ड ने इंग्लैंड के खिलाफ यहां चल रहे तीसरे और अंतिम टेस्ट मैच के दौरान अंपायर के विवादास्पद निर्णय पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि फ्रंटफुट नोबॉल की निष्पक्ष और सटीक जांच के लिए तकनीक का इस्तेमाल करना चाहिए। 
           
मौजूदा टेस्ट मैच के चौथे दिन मेजबान टीम की दूसरी पारी के दौरान ओपनर एलेक्स हेल्स 58 रन के निजी स्कोर पर श्रीलंकाई गेंदबाज नुवान प्रदीप की गेंद पर बोल्ड हो गए  लेकिन मैदानी अंपायर रोड टकर ने इस गेंद को फ्रंटफुट नोबॉल करार देते हुए  उन्हें नॉटआउट दे दिया था। हालांकि टीवी रिप्ले में साफ दिख रहा था कि मेहमान गेंदबाज का पैर क्रीज के अंदर ही था और यह कहीं से नोबॉल नहीं थी।
               
हेल्स ने इस जीवनदान का फायदा उठाते हुए  शानदार 94 रन की पारी खेली और अपनी टीम को अच्छी स्थिति में पहुंचा दिया। कोच फोर्ड ने अंपायर के इस निर्णय पर निराशा जताते हुए  अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) से इस तरह के निर्णयों की जांच के लिए  तकनीक के उपयोग की अपील की। 
             
उन्होंने कहा, आईसीसी को इसे गंभीरता से लेना चाहिए। आधुनिक क्रिकेट में जब तकनीक की सुविधा मौजूद है तो उसका उपयोग नहीं करना गलत है। यदि मैदानी अंपायर किसी निर्णय के बारे में किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचते हैं तो उन्हें इसे तीसरे अंपायर के लिए छोड़ देना चाहिए।
                
कोच ने कहा, कोई भी गलत निर्णय खेल के नतीजे को प्रभावित कर सकते हैं और यह देखना बेहद ही हास्यास्पद है कि मैदानी अंपायर ने सुनिश्चित न होने पर भी नुवान की गेंद को नोबॉल घोषित कर दिया जबकि टीवी रिप्ले में यह साफ दिख रहा था कि गेंदबाज का पैर क्रीज के भीतर ही था।
 
श्रीलंकाई टीम ने अंपायर के इस निर्णय के विरोधस्वरूप स्टेडियम स्थित पवेलियन की बाल्कनी से राष्ट्रीय ध्वज लहराया। हालांकि मैच के आयोजकों द्वारा बाद में आग्रह करने के बाद ध्वज को बाल्कनी से हटा लिया गया था।

श्रीलंका क्रिकेट (एसएलसी) के अध्यक्ष तिलंगा सुमतिपाला ने नाराजगी जाहिर करते हुए  कहा, अंपायरों द्वारा की गई इस तरह की भूल कभी भी स्वीकार्य नहीं है। इस प्रकार के निर्णय वाकई निराशाजनक हैं और हम इसके खिलाफ आईसीसी से अपील करेंगे।    
                    
सुमतिपाला ने विरोध स्वरूप राष्ट्रीय ध्वज लहराए  जाने का समर्थन करते हुए  कहा, ध्वज हमारी भावनाओं का प्रतीक है। इसे लहराने का हमारा उद्देश्य मात्र यही है कि हम इस तरह के निर्णयों से बेहद खफा हैं और इसका दृढ़ता से विरोध करते हैं।
                  
उल्लेखनीय है कि पहले भी बड़ी संख्या में नोबॉल के मामलों को तीसरे अंपायर के लिए  दिया जाता रहा है लेकिन यह सामान्य तब होता है जब मैदानी अंपायर बल्लेबाज आउट करार देते हैं। लेकिन इस मामले में न तो श्रीलंका टीम ने न तो टकर ने निर्णय के लिए तीसरे अंपायरों से सलाह ली।
                 
फोर्ड ने साथ ही कहा कि अंपायरों का दायित्व और भूमिका बेहद कठिन होती है। उन्हें बेहद दबाव के क्षणों में कम समय में निर्णय देना होता है। कुछ पलों में ही सबकुछ होता है और उन्हें इस पर पैनी नजर रखनी होती है। कई बार निर्णय सटीक नहीं होते और ऐसे में तकनीक का उपयोग करना सही होता है। (वार्ता) 
ये भी पढ़ें
'रियो' के लिए भारतीय खिलाड़ियों की संख्या पहुंची 99