इंग्लैंड दौरे पर पांचवें टेस्टे मैच में भारतीय टीम को मिली हार से ना सिर्फ कोच राहुल द्रविड़ बल्कि बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली भी परेशान भी हैं। इंग्लैंड के खिलाफ हुए टेस्ट मैच में रोहित शर्मा के कोरोना संक्रमित होने के कारण तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह ने टीम की कमान संभाली थी। बुमराह ने इस साल भारतीय टीम की कप्तानी करने वाले छठे खिलाड़ी बने थे। वहीं वेस्टइंडीज दौरे पर वनडे सीरीज के लिए अब शिखर धवन को नया कप्तान नियुक्त किया गया है।
गौरतलब है कि साल 2022 की शुरुआत में जब विराट कोहली ने कप्तानी को अलविदा कहा था तब से लेकर अब तक भारतीय क्रिकेट फैंस को बहुत से कप्तान देखने को मिले है।
जनवरी में केएल राहुल, फरवरी मार्च में स्थायी कप्तान रोहित शर्मा आईपीएल के बाद दक्षिण अफ्रीका सीरीज में ऋषभ पंत तो आयरलैंड दौरे पर हार्दिक पांड्या। यह सिलसिला यहां नहीं थमा और इंग्लैंड के खिलाफ अंतिम टेस्ट में जसप्रीत बुमराह को कप्तानी मिली। तब जाकर टी-20 और वनडे सीरीज में भारत के स्थायी कप्तान रोहित शर्मा लौटे।
टीम इंडिया में कप्तानी को लेकर हो रहे लगातार प्रयोग से बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली भी सही नहीं मानते हैं। उन्होंने एक साक्षात्कार के दौरान अपनी यह बात सामने रखी।
इस चर्चा में कई कप्तानों, कार्यभार प्रबंधन, मीडिया अधिकारों के मूल्यांकन और बोर्ड की अगुआई के मुद्दे शामिल थे। गांगुली से जब पूछा गया कि विराट कोहली, रोहित शर्मा, केएल राहुल, ऋषभ पंत, हार्दिक पंड्या, जसप्रीत बुमराह को भारतीय कप्तान के तौर पर देखा और अब वनडे में शिखर धवन। निरंतरता प्रभावित हुई। आपका क्या कहना है?
लगातार कप्तान बदलने से दिखे निराशउन्होंने कहा, 'मैं पूरी तरह से सहमत हूं कि इतने कम समय में सात अलग कप्तान रखना आदर्श नहीं है लेकिन ऐसा इसलिये हुआ क्याोंकि कुछ अपरिहार्य परिस्थितियां पैदा हुई। जैसे रोहित सफेद गेंद क्रिकेट में दक्षिण अफ्रीका में अगुआई करने वाले थे लेकिन दौरे से पहले वह चोटिल हो गए। इसलिये राहुल ने वनडे में कप्तानी की और फिर हाल में दक्षिण अफ्रीका की घरेलू श्रृंखला में राहुल श्रृंखला शुरू होने से एक दिन पहले चोटिल हो गया।'
गांगुली ने कहा, 'इंग्लैंड में रोहित अभ्यास मैच खेल रहा था जब उसे कोविड-19 संक्रमण का पता चला। इन हालात के लिये कोई जिम्मेदार नहीं है। कैलेंडर इस तरह का है कि हमें खिलाड़ियों को ब्रेक देना होता है और फिर किसी को चोट भी लग जाती है तो हमें कार्यभार प्रबंधन को भी देखना होता है। आपको मुख्य कोच राहुल द्रविड़ की परिस्थिति को भी समझना होगा कि प्रत्येक सीरीज में अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण हमें नया कप्तान रखना पड़ा।'
ज्यादा क्रिकेट से क्रिकेटरों को खासा नुकसान नहींभारतीय टीम के व्यस्त एफटीपी (भविष्य दौरा कार्यक्रम)और खिलाड़ियों को कार्यभार प्रबंधन के मुद्दों पर उन्होंने कहा, अपने पूरे अंतरराष्ट्रीय करियर में मेरा मानना रहा है कि जितना आप खेलोगे, उतना बेहतर होगे और उतना ही फिट होगे। इस स्तर पर आपको गेम टाइम चाहिए और आप जितने ज्यादा से ज्यादा मैच खेलोगे, उतना आपका शरीर मजबूत होगा।'
उन्होंने कहा, 'हां, आईपीएल 2008 से शुरू हुआ लेकिन मैं चाहूंगा कि आप देखें कि हमने अपने करियर में कितना अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला है। अगर आप तुलना करो तो कैलेंडर वर्ष में भारतीय टीम के लिये अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का स्तर ज्यादा नहीं बढ़ा है। हमने काफी वनडे क्रिकेट खेला इसलिये अगर आप देखोगे तो अंतरराष्ट्रीय मैचों के दिन की संख्या लगभग समान ही है।
आईपीएल में 10 टीमों को लेकर भी उन्होंने अपनी बात रखी। गांगुली ने कहा, बिलकुल नहीं। बल्कि इसके उलट, मैं कहूंगा कि भारतीय क्रिकेट में प्रतिभा का पूल समय के साथ बढ़ेगा ही और आईपीएल ने हमें दिखा दिया है कि इस देश में हमारे पास प्रतिभा में कितनी गहराई है। आप दो भारतीय टीमों (सफेद और लाल गेंद) को देखो कि हमने इतने वर्षों में किस तरह के खिलाड़ी तैयार किये हैं।'
गांगुली से जब पूछा गया कि क्या आपको 2008 सत्र में संन्यास लेने का पछतावा है इसके जवाब में उन्होंने कहा कि मैं खुद के बारे में एक चीज आपको बता सकता हूं। मुझे अपनी जिंदगी में किसी भी चीज का पछतावा नहीं हुआ है। अगर मैंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज के बाद संन्यास लिया तो तब मैं अपने शिखर पर था।