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Last Modified: गुरुवार, 23 दिसंबर 2021 (16:17 IST)

अश्विन का एक और खुलासा, कहा 'चोट से ज्यादा दर्द तो साथियों का चोट के प्रति रवैये ने दिया'

अश्विन का एक और खुलासा, कहा 'चोट से ज्यादा दर्द तो साथियों का चोट के प्रति रवैये ने दिया' - Ravichandran Ashwin yet again shares his ordeal with injuries
नई दिल्ली: भारतीय ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन के बारे में सबसे अच्छी बात है कि वह हर सीरीज़ से पहले बल्लेबाज़ों को लेकर रणनीति बनाते हैं। वह कहते हैं कि उन्हें इसकी ज़रूरत हैं। वह मानते हैं कि उनका शरीर टीम के अन्य खिलाड़ियों की तरह तेज़ तर्रार नहीं है। साथ ही उनके करियर में उन्हे कई बार चोट का सामना करना पड़ा है। इसी कारणवश वह यह भी मानते हैं कि अगर क्रिकेट में उन्हें आगे बढ़ते रहना है तो मैदान पर उन्हें भाग्य के थोड़े अधिक सहारे की ज़रूरत है।

क्रिकेट मंथली के लिए इस साक्षात्कार का दिन तय करने में उन्हें तकरीबन एक वर्ष का समय लगा था। जब अश्विन को न्यूज़ीलैंड सीरीज़ और साउथ अफ़्रीका दौरे के बीच कुछ दिन मिले, तो इस दौरान यह साक्षात्कार किया गया।

लगातार टूट रहा था शरीर

अश्विन ने कहा,'जब शारीरिक तैयारी की बात आती है, तो 2017 और 2019 के बीच मैं पहली बार पेटेलर टेंडोनाइटिस नामक चोट की चपेट में आया था। ऐसा नहीं है कि आप इसके साथ नहीं खेल सकते हैं, लेकिन चोट की ख़ूबसूरती यह है कि आपके घुटने गर्म नहीं होंगे या कहें कि खेलने के लिए तैयार नहीं होंगे। सुबह के समय पैदल चलना भी बेहद दर्दनाक हो सकता है। दिन ढलते आपके घुटने ठीक से काम तो करेंगे, लेकिन आप हल्की दौड़ भी नहीं कर सकते। यह दर्द हमेशा आपके साथ रहता है।'

उन्होंने कहा,'मैं इस बात पर ध्यान देना चाहता हूं कि आप बड़ी सीरीज़ के लिए कैसे तैयारी करते हैं, क्योंकि मेरा मानना ​​है कि आप दुनिया के उन खिलाड़ियों में से हैं जो किसी भी सीरीज़ या मैच से पहले सबसे बेहतरीन और सटीक तैयारी करते हैं। मुझे याद है कि आपने एक बार कहा था कि स्वाभाविक रूप से चपल रवींद्र जडेजा जैसे खिलाड़ी के लिए, एक दिन में 30 ओवर फेंकना और लंबे समय तक गेंदबाज़ी करना आसान होता है जबकि आप जैसे किसी खिलाड़ी को अपने शरीर से लड़ना पड़ता है। एक सीरीज़ के लिए आपकी तैयारी कब शुरू होती है?

अश्विन ने कहा,'मेरे अनुसार तैयारी के दो पहलू हैं। एक शारीरिक और दूसरा मानसिक एवं रणनीतिक। मुझे नहीं लगता कि लोग रणनीतिक चीज़ों पर पर्याप्त ज़ोर देते हैं। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि रणनीतिक तैयारी अनिवार्य है, क्योंकि मैंने उस माहौल में भी क्रिकेट खेला है जहां लोग रणनीति पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय अपनी क्षमताओं और अपनी ताक़त पर भरोसा करना चाहते हैं।

अश्विन ने कहा,''2017 और 2019 के बीच मैं पहली बार पेटेलर टेंडोनाइटिस नामक चोट की चपेट में आया था। यह सबसे पहले मेरे दाहिने पैर में हुआ। यह तब हुआ जब मुझे अपने रन-अप के आख़िरी समय में गेंद फेंकने के लिए छलांग लगानी पड़ती है। इस वक़्त आपको कुछ समय के लिए गेंद फेंकने से पहले एक पैर पर रहना होता है। इसी कारणवश यह और भी ज़्यादा दर्दनाक और चुनौतीपूर्ण हो जाता है। यहां तक ​​कि अभ्यास करना भी मेरे लिए एक चुनौती के समान था। और अंततः अतिरिक्त भार के कारण मेरा बायां पैर भी प्रभावित हो गया।''

फैंस और साथियों के रवैये ने किया निराश

ऑफ स्पिनर ने कहा,''इसके बाद मुझे एथलेटिक प्यूबल्जिया हुआ, जो मुझे लगता है कि पहली चोट के विस्तार के रूप में आया था। अब मेरे घुटने का बोझ पूरे शरीर को उठाना पड़ रहा था। इसके बाद मैने अलग-अलग एक्शन के साथ गेंदबाज़ी करना शुरू किया। एथलेटिक प्यूबल्जिया के कारण, हर बार साइड-ऑन स्थिति में आना कठिन होता था। फिर लगभग 10 ओवर के स्पेल के बाद, शरीर में कोई ऊर्जा नहीं बच रही थी। उसके बाद मुझे पेट में और जांघ में चोट लगी। एक के बाद एक चोट का सिलसिला जारी रहा। इन चोटों ने मेरे प्रदर्शन पर कई निशान छोड़े। भारत के क्रिकेट समुदाय में, चोटों के प्रति समझ और लोगों का इसके प्रति जो व्यवहार है, वह काफ़ी ख़राब है। स्पष्ट रूप से मेरी चोट के पीछे एक कारण था लेकिन लोगों को इसका पता लगाने में कोई दिलचस्पी नहीं थी। हम सिर्फ़ यह दोहराते रहते हैं कि समस्या तो समस्या है, लेकिन इससे मुझे उस चोट का समाधान खोजने में मदद नहीं मिली।''

उन्होंने कहा,''मेरे बहुत सारे साथियों को चोट लगी लेकिन जब मैं चोटिल हुआ तो मामला थोड़ा अलग था। यह सिर्फ़ चोट मात्र नहीं था। मेरे चोट के प्रति असंवेदनशीलता थी जिसने मुझे और गहरा जख़्म दिया। मैं काउंटी क्रिकेट में यह सोचकर गया था, "मैं पूरा दिन मैदान पर टिक जाऊं और ख़ुद को चोट पहुंचाए बिना 25 ओवर गेंदबाजी करूं। क्योंकि अगर मैं काउंटी क्रिकेट में चोटिल होता हूं तो सवाल उठने शुरू हो जाएंगे।''

अश्विन ने कहा,''कई बयान दिए गए थे कि मैं खेलना नहीं चाहता था या मैं किसी प्रतियोगिता से पीछे हट गया। यह ऐसी बात है जो हमेशा के लिए मुझे आहत करेगी। आप मुझे कुछ भी कह सकते हैं, मुझे टीम से बाहर निकाल सकते हैं लेकिन मेरे इरादे या मेरे संघर्ष पर संदेह करना, इससे मुझे बहुत दुख हुआ। किसी भी सीरीज़ में आने से पहले, मैं चार सप्ताह के प्रशिक्षण में जाता हूं। सुबह में मैं पूरी तरह से अपनी गतिशीलता और अपने चोटग्रस्त क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करता हूं। फिर दो घंटे बाद, नाश्ता करने के पश्चात, मैं अपनी मांसपेशियों को मज़बूत करने पर काम करता हूं। शाम को मैं एक दिन दौड़ता हूं और दूसरे दिन अपने कौशल पर काम करता हूं।''

स्पिनर ने कहा,''इन चोटों के कारण मैं अलग-अलग एक्शन के साथ गेंदबाज़ी करने लगा। मैं इन सभी एक्शन में यह जांचने की कोशिश करता हूं कि मेरा शरीर उन सब में कैसी प्रतिक्रिया दे रहा है। उदाहरण के लिए, यदि मैं लेग ब्रेक गेंदबाज़ी करता हूं, तो मेरे कंधे में एक तरफ़ से दर्द शुरू हो जाएगा क्योंकि दूसरा छोर का अधिक इस्तेमाल किया गया है। मैं इन सभी एक्शन में गेंदबाज़ी करता था ताकि मैं दर्द के बारे में पता लगा सकूं।''

अश्विन ने कहा,''वैसे तो आदर्श तैयारी का समय छह सप्ताह है। अगर आपके पास छह हफ़्ते हैं, तो आप अपना ध्यान रखते हुए चार-पांच टेस्ट मैचों की सीरीज़ खेल सकते हैं। पिछले दो साल से मैं यह सुनिश्चित कर रहा हूं कि मैं हर सीरीज़ में एक निश्चित वज़न के साथ मैदान पर उतरूं और इसे बरक़रार रखूं।''

उन्होंने कहा,''कई बयान दिए गए थे कि मैं खेलना नहीं चाहता था या मैं किसी प्रतियोगिता से पीछे हट गया। यह ऐसी बात है जो हमेशा के लिए मुझे आहत करेगी। आप मुझे कुछ भी कह सकते हैं, मुझे टीम से बाहर निकाल सकते हैं लेकिन मेरे इरादे या मेरे संघर्ष पर संदेह करना, इससे मुझे बहुत दुख हुआ।''

क्या आप यह सब अपने निजी प्रशिक्षक की देखरेख में करते हैं, उन्होंने कहा,''जब मैं चोटों से जूझ रहा था, मैं जवाब तलाश रहा था कि मैं घायल क्यों हो रहा हूं। इसके बाद मैंने खु़द इस विषय का अध्ययन करना शुरू कर दिया क्योंकि चोट मेरे करियर और मेरे मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर भारी पड़ रही थी। मैंने 2009 में बुनियादी स्तर पर स्ट्रेंथ ट्रेनिंग शुरू की थी। 2012 में राजमणि [एटी राजमणि प्रभु] मेरे घर आए और मुझसे कहा, "मैं आपका प्रशिक्षक बनना चाहता हूं और इससे आपको काफ़ी फ़र्क पड़ेगा।" 2012 से 2015 या 2016 तक वह टीम ट्रेनर सुदर्शन के साथ तालमेल बैठाकर मेरे लिए सब कुछ करते थे। फिर जब शंकर बसु भारत के प्रशिक्षक बने, उनकी तकनीक बिल्कुल अलग थी। और जब आपके पास भारतीय टीम का ट्रेनर है जो कुछ अलग चीज़ें कर रहा है, तो बेहतर है कि आप उन नियमों का पालन करें। यह सभी के लिए आसान है।''

उन्होंने कहा,''हालांकि आख़िरकार मैं राजमणि के पास वापस चला आया। मैंने उसके साथ दो साल तक प्रशिक्षण नहीं किया था। उस दौरान उन्होंने भी एक बेहतर ट्रेनर बनने के लिए पढ़ाई की। उन्होंने मूल रूप से बसु की कुछ कार्यप्रणाली को पकड़ लिया था। मुझे उससे कहना पड़ा, "मैं नहीं चाहता कि तुम वही करो जो बसु मेरे लिए करते हैं। जो तुम मेरे लिए करते हो वही करो।" इस तरह मैं वापस सही रास्ते पर आया। मैं राजमणि और बसु का बहुत आभारी हूं।''

लोग विदेशी सीरीज़ में आपके चोटिल होने के बारे में काफ़ी बात करते थे, इस बारे में पूछने पर अश्विन ने कहा,''लोग शायद अन्य क्रिकेटरों के साथ ऐसी मिसालों के बारे में जानते हैं, लेकिन मुझे ऐसा लगा कि मुझे निशाना बनाया गया। शायद उन्हें विश्वास था कि वे ऐसा करने में सही थे। मुझे इससे कोई दिक़्क़त नहीं है। लेकिन चोटें लोगों को लगती हैं। इसमें कुछ विशेष नहीं है। उन्हें तब बुरा लगता है जब उनके पास लोगों की सहानुभूति नहीं होती है। मुझे लगता है कि एक क्रिकेट समुदाय के रूप में भारतीय क्रिकेट में सहानुभूति की इसकी कमी है।''(वार्ता)
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