रवि शास्त्री ने कसा दादा पर तंज, 'अब तो 83 की टीम का होगा मुखिया'
रवि शास्त्री और सौरव गांगुली के बीच कभी नहीं बनी। अब जब यह बात सही साबित हो गई है कि सौरव गांगुली जल्द ही बीसीसीआई अध्यक्ष नहीं रहेंगे तो पूर्व कोच रवि शास्त्री ने सौरव गांगुली पर तंज कसते हुए कहा है कि अब तो 1983 की जीत का सदस्य बोर्ड का मुखिया होगा। गौरतलब है कि सौरव गांगुली की कप्तानी में भारत 2003 में खिताबी जंग ऑस्ट्रेलिया से हार गया था।
शास्त्री और गांगुली के बीच मतभेद 2016 में सार्वजनिक हुए थे जब शास्त्री ने कोच के पद के लिए आवेदन किया था और गांगुली उस समय क्रिकेट सलाहकार समिति में थे जिसने अनिल कुंबले को चुना था।
शास्त्री ने बिना किसी लोकतांत्रिक तरीके से 3 साल तक बोर्ड के संचालन के बाद गांगुली के अध्यक्ष बनने को शानदार करार दिया। उन्होंने कहा, शानदार (गांगुली का अध्यक्ष बनना)। सबसे पहले मैं इस बात को लेकर रोमांचित हूं कि बीसीसीआई फिर से अस्तित्व में है। हम 3 साल तक बीसीसीआई के बिना खेले।
लंबा चला है शास्त्री और गांगुली के बीच शह और मात का खेलपूरी दुनिया जानती है कि सौरव गांगुली और रवि शास्त्री एक दूसरे को पसंद नहीं करते हैं। जब जिसका दांव चल जाता है, उसका सिक्का चलने लगा है। रवि शास्त्री 1981 से लेकर 1992 तक भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा रहे तो सौरव गांगुली का भारतीय क्रिकेट के साथ सफर 1996 से 2008 तक रहा। यानी गांगुली 13 तक भारतीय टीम का हिस्सा रहे, जबकि शास्त्री 12 साल तक टीम इंडिया के खिलाड़ी रहे।
शास्त्री ने जब बगैर गांगुली बस आगे बढ़ाई : 2007 के विश्व कप में रवि शास्त्री टीम के मैनेजर थे। उन्होंने सभी को सुबह 9 बजे बस में इकठ्ठा होने को कहा। टीम के सभी खिलाड़ी तय समय पर बस में सवार हो चुके थे, सिवाय सौरव गांगुली के। शास्त्री ने बस ड्राइवर को गाड़ी आगे बढ़ाने का आदेश दिया। बाद में गांगुली किसी तरह मैदान पर पहुंचे।
गांगुली ने निकाली खुन्नस : सौरव गांगुली उस बात को नहीं भूले थे कि शास्त्री ने उनका इंतजार किए बिना बस चलवा दी थी। गांगुली को जब मौका मिला तब उन्होंने अपनी खुन्नस भी निकाली। गांगुली ने कहा कि शास्त्री को 'ब्रेक फास्ट' शो में मत बुलाया करो। शाम के शो में बुलाया करो क्योंकि रात को वे...जो करते हैं, उसकी खुमारी सुबह तक रहती है।
विराट की पसंद थे रवि शास्त्री कराई थी बतौर कोच एंट्रीगांगुली की दखलंदाजी से टेस्ट क्रिकेट में 500 विकेट और नाबाद शतक (110, 2007 इंग्लैंड दौरा) लगाने वाले मैकेनिकल इंजीनियर अनिल कुंबले 23 जून 2016 को टीम इंडिया के हेड कोच बने थे लेकिन विराट से पटरी नहीं बैठने के कारण उन्होंने 2017 में कार्यकाल पूरा करने के पहले ही इस्तीफा दे दिया था। विराट की मेहरबानी से रवि शास्त्री को हेड कोच बना दिया।
पहले विराट और शास्त्री को निपटाया फिर खुद निपट गए दादासब जानते हैं कि गांगुली 'क्रिकेट के दादा' हैं और दादागिरी करने से कभी पीछे नहीं हटते। यही कारण है कि 2019 में बोर्ड की कमान संभालने के बाद उन्होंने शास्त्री और विराट पर अपनी नजरें जमाई।
विराट कोहली बड़ा नाम थे लेकिन 3 साल के शतक का इंतजार और बुरे फॉर्म ने सौरव गांगुली को उनसे बात करने का बहाना मिल गया। नतीजा यह हुआ कि विराट कोहली को हर प्रारुप से कप्तानी छोड़नी पड़ी। वहीं रवि शास्त्री ने भी 2021 के बाद मुख्य कोच के पद से इस्तीफा दे दिया और फिर कमेंट्री बॉक्स में चले गए।
अब वक्त का पहिया वापस वहीं घूमा है। कुछ दिनों बाद सौरव गांगुली सिर्फ भारत के पूर्व कप्तान और पूर्व बीसीसीआई अध्यक्ष कहलाए जाएंगे।