नई दिल्ली:भारतीय खिलाड़ियों ने आज नरेंद्र मोदी स्टेडियम में 1000वें वनडे मैच के शुरु होने से पहले स्वर कोकिला लता मंगेशकर को श्रद्धांजली अर्पित की और 2 मिनट का मौन रखा। वेस्टइंडीज के खिलाफ इस मैच में टीम इंडिया के खिलाड़ियों ने लता मंगेशकर के सम्मान में काली पट्टी भी पहनी।
लता मंगेशकर महान पार्श्व गायिका तो थी ही सही लेकिन भारतीय क्रिकेट में भी उन्होंने एक समय पर बड़ा योगदान दिया था।
जब 1983 की जीत के बाद बीसीसीआई को संकट से निकाला था लता जी नेकपिल देव की कप्तानी वाली भारतीय टीम ने जब लाडर्स की बालकनी पर विश्व कप थामा था तब बीसीसीआई के तत्कालीन अध्यक्ष और इंदिरा गांधी सरकार के धाकड़ मंत्री दिवंगत एनकेपी साल्वे के सामने यक्षप्रश्न था कि इस जीत का जश्न मनाने के लिये धन कहां से आयेगा।
उस समय भारतीय क्रिकेट दुनिया की महाशक्ति नहीं बना था और आज के क्रिकेटरों की तरह धनवर्षा भी उस समय क्रिकेटरों पर नहीं होती थी। आज बीसीसीआई के पास पांच अरब डॉलर का टीवी प्रसारण करार है लेकिन तब खिलाड़ियों को बमुश्किल 20 पाउंड दैनिक भत्ता मिलता था।
साल्वे ने समाधान के लिये राजसिंह डुंगरपूर से संपर्क किया। उन्होंने अपनी करीबी दोस्त और क्रिकेट की दीवानी लता मंगेशकर से जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम पर एक कन्सर्ट करने का अनुरोध किया। खचाखच भरे स्टेडियम में लताजी ने दो घंटे का कार्यक्रम किया।
बीसीसीआई ने उस कन्सर्ट से काफी पैसा एकत्र किया और सभी खिलाड़ियों को एक एक लाख रूपये दिया गया।सुनील वाल्सन ने कहा , उस समय यह बड़ी रकम थी। वरना हमें दौरे से मिलने वाला पैसा और दैनिक भत्ता बचाकर पैसा जुटाना होता जो 60000 रूपये होता।
उन्होंने कहा ,कुछ लोगों ने हमसे 5000 या 10000 रूपये देने का वादा किया जो काफी अपमानजनक था। लता जी ने ऐसे समय में यादगार कन्सर्ट किया।
बीसीसीआई उनके इस योगदान को नहीं भूला और सम्मान के तौर पर भारत के हर स्टेडियम में अंतरराष्ट्रीय मैच के दो वीआईपी पास उनके लिये रखे जाते थे।
मुंबई के एक वरिष्ठ खेल पत्रकार मकरंद वैंगणकर ने कहा लताजी और उनके भाई ह्र्दयनाथ मंगेशकर ब्रेबोर्न स्टेडियम पर हमेशा टेस्ट मैच देखने आते थे । चाहे वह कितनी भी व्यस्त हों, सत्तर के दशक में हर मैच देखने आती थी।
जब भारतीय टीम की जीत के लिये लताजी ने रखा था व्रत ...क्रिकेट को लेकर लता मंगेशकर की दीवानगी जगजाहिर है और विश्वकप 2011 में पाकिस्तान के खिलाफ सेमीफाइनल में भारतीय टीम की जीत के लिये उन्होने निर्जल व्रत रखा था।भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर का रविवार को मुंबई में निधन हो गया।उन्होंने एक समय भाषा को दिये इंटरव्यू में कहा था ,मैने पूरा मैच देखा और मैं काफी तनाव में थी।
उन्होंने कहा था , जब भारतीय टीम खेलती है तो मेरे घर में सभी का कुछ न कुछ टोटका होता है। मैंने , मीना और उषा ने सेमीफाइनल के दौरान कुछ खाया पिया नहीं। मैं लगातार भारत की जीत के लिये प्रार्थना कर रही थी और भारत की जीत के बाद ही हमने अन्न जल ग्रहण किया।
विश्व कप 1983 फाइनल को याद करते हुए उन्होंने कहा था ,मैं उस समय लंदन में ही थी और मैने कपिल देव और उनकी टीम को इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल से पहले डिनर के लिये बुलाया था । मैने उन्हें शुभकामनायें दी।
उन्होंने कहा , खिताब जीतने के बाद कपिल देव ने मुझे डिनर के लिये बुलाया था। मैने जाकर टीम को बधाई दी।
सचिन तेंदुलकर को वह अपना बेटा मानती थी और वह भी उन्हें मां सरस्वती कहते थे ।यह संयोग की है कि सरस्वती पूजा के अगले दिन ही भारत की सरस्वती का देवलोकगमन हुआ।