फाइनल फ्रंटियर जीतने का सबसे सुनहरा अवसर गंवाया, इन खिलाड़ियों के कारण गंवाई सीरीज
केपटाउन:जैसा कि तीसरे दिन के अंत के बाद लग रहा था कि दक्षिण अफ्रीका को तब ही हराया जा सकता है जब वह कुछ बड़ी गलती करे, अंत वैसा ही हुआ। दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजों ने खास गलती की नहीं और भारत केपटाउन में खेला जाने वाला तीसरा टेस्ट 7 विकेट से हार गया।
वैसे तो यह कहा जा रहा था कि इस सीरीज में भारत का पलड़ा भारी रहेगा क्योंकि भारत विदेशों में बड़ी जीते लेकर लौटा है और दक्षिण अफ्रीका के बड़े नाम संन्यास ले चुके हैं। इसके अलावा भारत ने पहला टेस्ट जीतकर 1-0 की बढ़त ली और दक्षिण अफ्रीका के कीपर क्विंटन डि कॉक ने 29 साल की उम्र में ही इस मौके पर टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले लिया।
एक और बड़ा नाम खोने के बाद भी दक्षिण अफ्रीका यह सीरीज 2-1 से जीतने में सफल हुई है तो मुमकिन है भारतीय खिलाड़ियों ने इस टीम को हल्के में लिया है और कुछ चुनिंदा खिलाड़ियों ने काफी निराश किया।
सलामी बल्लेबाज- पहले टेस्ट में अच्छी शुरुआत दिलाने वाले सलामी बल्लेबाज अगले दोनों टेस्टों में भारत को वह शुरुआत नहीं दिला सके। खासकर तीसरे टेस्ट में दोनों ही पारियों में भारत के जल्द विकेट गिरे।
पहली पारी के दौरान दोनों ही बल्लेबाजों ने 1 घंटा तो संयम से बल्लेबाजी की लेकिन फिर लगातार विकेट खो दिए और भारत 34 रनों पर 2 विकेट खो चुका था। दूसरी पारी में भारत ने पहला विकेट 20 रन और दूसरा विकेट 24 रन पर खोया, जिससे मध्यक्रम पर दबाव आना स्वभाविक था।
मध्यक्रम बल्लेबाज- अगर यह सीरीज भारत हारा है तो लचर बल्लेबाजी के कारण। पहले टेस्ट की पहली पारी के बाद भारत एक बार भी 300 रनों के आंकड़े तक नहीं पहुंचा।
इसका एक बड़ा कारण है चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे का बुरा फॉर्म और उन पर टीम मैनेजमेंट की आस। यह दोनों बल्लेबाज लगातार फेल होते रहे फिर भी इनको मौका मिलता रहा। पूरी सीरीज में यह दोनों बल्लेबाज सिर्फ 1 बार अर्धशतक बना पाए।
रहाणे ने दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर 22.66 की औसत से सिर्फ 136 रन बनाये जबकि पुजारा का आंकड़ा और भी खराब रहा। उन्होंने इस दौरान 20.66 की औसत से 124 रन बनाये।इस दौरे पर दोनों के बल्ले से सिर्फ 1 अर्धशतक निकला जो दूसरे टेस्ट में आया था।
तीसरे और चौथा गेंदबाज बेअसरगेंदबाजों की बात करें तो भारत ने इस सीरीज में खासा अच्छा प्रदर्शन किया और 1 तीन में 2 टेस्ट में बढ़त प्राप्त की। हालांकि तीसरे टेस्ट में भारत को सिर्फ 13 रनों की मामूली बढ़त मिली।
लेकिन तीसरा और चौथा गेंदबाज अगर बेहतर जगह पर गेंद डालता तो सीरीज का नतीजा कुछ और हो सकता था। तीसरे टेस्ट में सिराज के ना होने पर इशांत शर्मा की जगह उमेश यादव को जगह देना भी एक बड़ी चूक साबित हुई।
भारत को अगर यह सीरीज हारनी पड़ी है तो वह सिर्फ दो पारियों में लचर गेंदबाजी के कारण। दूसरे टेस्ट और तीसरे टेस्ट की अंतिम पारी में ऐसा हुआ जब गेंदबाजों पर ही निगाहें टिकी थी।
शार्दुल ठाकुर और उमेश यादव जब गेंदबाजी करने आए तो उन पर दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजों ने हावी होकर खेला ताकि शमी और बुमराह जैसे गेंदबाजों को वह संयम के साथ खेल सकें।
(वेबदुनिया डेस्क)