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Last Modified: सोमवार, 19 सितम्बर 2016 (16:10 IST)

कोहली, कुंबले को स्पिन अनुकूल पिच की प्रवृत्ति को बदलना होगा : हरभजन

Harbhajan Singh
नई दिल्ली। सीनियर ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह का मानना है कि टेस्ट कप्तान विराट कोहली और मुख्य कोच अनिल कुंबले के पास उस नए युग में आगे बढ़ने का मौका है, जहां भारतीय क्रिकेट टीम को जीत के लिए पूरी तरह से स्पिन की अनुकूल पिच की जरूरत नहीं है, क्योंकि लंबे समय से चली आ रही इस रणनीति का टीम को नुकसान होना शुरू हो गया है।
भारत जब 13 टेस्ट मैचों के अपने लंबे घरेलू दौरे की शुरुआत न्यूजीलैंड के खिलाफ 3 मैचों की श्रृंखला से करने की तैयारी कर रहा है तब हरभजन का मानना है कि इस तरह की पिचें घरेलू टीम के लिए भी नुकसानदेह हो सकती हैं।
 
हरभजन ने कहा कि पिछले 4 से 5 साल में पिछले टीम प्रबंधन ने ऐसी पिचों को प्राथमिकता दी, जहां टेस्ट मैच 3 दिन के भीतर खत्म हो जाए। लेकिन मेरा मानना है कि अनिल भाई और विराट दोनों सकारात्मक लोग हैं, जो अच्छी टेस्ट पिचों पर खेलना पसंद करेंगे, जहां नतीजे चौथी शाम या 5वें दिन लंच के बाद आए।
 
हरभजन ने कहा कि हमें इसकी बड़ी तस्वीर की ओर देखना चाहिए। क्या ढाई या 3 दिन के भीतर जीतने से हमें कुछ हासिल हो रहा है? क्या हम अपने बल्लेबाजों के प्रति ठीक थे जिन्हें पिछली घरेलू श्रृंखला के दौरान दक्षिण अफ्रीकी स्पिनरों के खिलाफ जूझना पड़ा था?
 
भारत के तीसरे सबसे सफल गेंदबाज हरभजन ने कहा कि हम इसे टेस्ट क्रिकेट क्यों कहते हैं,क्योंकि यह पहले दिन से लेकर 5वें दिन तक प्रत्येक स्तर पर आपके कौशल की परीक्षा लेता है। इससे प्रत्येक को इस स्तर पर सफल होने का उचित मौका मिलना चाहिए। 
 
उन्होंने कहा कि कोटला में अंतिम टेस्ट को छोड़ दिया जाए, जहां अजिंक्य (रहाणे) ने शानदार बल्लेबाजी की और विराट ने भी रन बनाए तो हमारे बल्लेबाजों को परेशानी का सामना करना पड़ा। मैं आपको बता सकता हूं कि अगर हम पूरी तरह से स्पिन के अनुकूल पिचों के साथ जुड़े रहे तो इसका खामियाजा हमें भी उठाना पड़ सकता है, जैसा नागपुर में विश्व टी-20 के दौरान हुआ। मिश सेंटनर और ईश सोढ़ी प्रभावी साबित हो सकते हैं। 
 
हरभजन ने कहा कि पूरी तरह से स्पिन के अनुकूल पिच से भारतीय स्पिनरों को भी कोई फायदा नहीं होने वाला। ठीक है कि आपको विकेट मिलेंगे लेकिन ऐसा समय भी होगा, जब गेंदबाज को नहीं पता होगा कि गेंद कहां गिरेगी और किस दिशा में जाएगी? आपको नहीं पता होगा कि कौन-सी गेंद उछाल लेगी और कौन-सी टर्न होगी। यहां तक कि ईशांत शर्मा और मोहम्मद शमी जैसे गेंदबाजों को पारी में पर्याप्त ओवर फेंकने को मिलने चाहिए। 
 
700 से अधिक अंतरराष्ट्रीय विकेट चटकाने वाले हरभजन ने कहा कि लोग ईशांत की आलोचना करते हैं कि उसने लगभग 70 टेस्ट (69 टेस्ट) खेले हैं और बमुश्किल 200 से अधिक विकेट (202 विकेट) हासिल कर पाया है, लेकिन किसी ने देखा कि ईशांत ने भारत में कितने ओवर फेंके? इनमें से कितने ओवर नई गेंद से थे और कितने पुरानी गेंद से, जो रिवर्स स्विंग कर रही थीं। 
 
उन्होंने कहा कि ईशांत ने अधिक गेंदबाजी इसलिए नहीं की, क्योंकि इस तरह के विकेट थे, जहां आपको पहले घंटे में ही स्पिनर की जरूरत थी। अगर उसे नई गेंद से उस समय गेंदबाजी का मौका नहीं मिलेगा, जब सीम ठोस होगी तो हम ईशांत के प्रति अनुचित होंगे। 
 
यह पूछने पर कि क्या वे रविचंद्रन अश्विन को कोई सलाह देंगे? हरभजन ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि अश्विन को सलाह की जरूरत है। मैं उसे शुभकामनाएं देता हूं और उम्मीद करता हूं कि वह पिछले 1 साल की तरह असाधारण प्रदर्शन जारी रखेगा।  हरभजन का हालांकि मानना है कि लेग स्पिनर अमित मिश्रा को दुलीप ट्रॉफी में उनके प्रदर्शन के आधार पर नहीं आंकना चाहिए। (भाषा)
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