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Last Updated : सोमवार, 27 मई 2019 (11:33 IST)

पूर्व कप्तान श्रीकांत बोले- 1983 विश्व कप जीत का नहीं सोचा था, कपिल के आत्‍मविश्‍वास का टीम पर पड़ा था असर

पूर्व कप्तान श्रीकांत बोले- 1983 विश्व कप जीत का नहीं सोचा था, कपिल के आत्‍मविश्‍वास का टीम पर पड़ा था असर - Former captain Krishnamachari Srikanth's statement on 1983 Cricket World Cup
लंदन। पूर्व कप्तान कृष्णामाचारी श्रीकांत ने कहा है कि भारत ने 1983 विश्व कप के लिए रवाना होने से पहले कभी इस टूर्नामेंट को जीतने के बारे में नहीं सोचा था। श्रीकांत 1983 विश्व कप जीतने वाली टीम के अहम सदस्य थे। उन्होंने कहा कि कप्तान कपिल देव के आत्मविश्वास का असर अन्य खिलाड़ियों पर भी पड़ा और यह भी एक कारण है कि भारत ऐतिहासिक खिताब जीतने में सफल रहा।

भारत ने लार्ड्स में फाइनल में वेस्टइंडीज की मजबूत टीम को हराकर 1983 में अपना पहला विश्व कप जीता था। आईसीसी मीडिया ने श्रीकांत के हवाले से कहा, जब हम 1983 में भारत से रवाना हुए थे तो हमने कभी भी विश्व चैंपियन बनने की उम्मीद नहीं की थी। यहां तक कि मेरा टिकट मुंबई से न्यूयॉर्क का था और मुझे लंदन में आईसीसी पुरुष क्रिकेट विश्व कप के लिए रुकना था।

उन्होंने कहा, ऐसा इसलिए था क्योंकि पहले दो विश्व कप में हम सिर्फ पूर्वी अफ्रीका को हरा पाए थे, हम श्रीलंका से भी हार गए थे जिसे टेस्ट टीम का दर्जा भी नहीं मिला था। इस आक्रामक सलामी बल्लेबाज ने कहा कि विश्व कप में कप्तान कपिल देव के आत्मविश्वास से अंतर पैदा किया।

उन्होंने कहा, इसकी शुरुआत वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले मैच से हुई। टूर्नामेंट से पहले हमने दौरा किया और गयाना के बर्बिस में मैच जीता। टूर्नामेंट के पहले मैच से पूर्व उसने हमारे से कहा कि अगर हम उन्हें एक बार हरा सकते हैं तो दोबारा क्यों नहीं।

श्रीकांत ने कहा, उनके आत्मविश्वास ने हमें सोचने को मजबूर किया कि शायद ऐसा हो जाए। हम मैदान पर उतरे और उन्हें आसानी से हरा दिया और अचानक से हम सोचने लगे कि हम ऐसा कर सकते हैं। कपिल ने जिंबाब्वे के खिलाफ नाबाद 175 रन की पारी खेली जो अब भी भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों के जहन में ताजा है।

भारत के लिए 43 टेस्ट और 146 वनडे खेलने वाले श्रीकांत ने कहा, विकेट पर काफी घास थी और पहले बल्लेबाजी करते हुए सुनील गावस्कर शून्य पर पैवेलियन लौट गए, मैं भी खाता नहीं खोल पाया और हम कुछ समझ पाते इससे पहले स्कोर पांच विकेट पर 17 रन हो गया। हम शर्मसार थे लेकिन कपिल देव ने मैदान पर उतरकर रक्षात्मक खेलने की जगह अपने शाट खेलने शुरू कर दिए।

उन्होंने कहा, सब इतने अंधविश्वासी थे कि ठंड के बावजूद अपनी जगहों से नहीं हिले। मैं हैरान होकर देखता रहा और उन्होंने 175 रन की पारी खेली। श्रीकांत ने कम स्कोर वाले फाइनल में सर्वाधिक रन बनाए। उन्होंने कहा, फाइनल में (वेस्टइंडीज के खिलाफ) मैं जोएल गार्नर के स्पैल को नहीं भूल सकता। गेंद ओस के बीच 10 फीट की ऊंचाई से आ रही थी। मैं जूझ रहा था लेकिन मैंने जिमी (अमरनाथ) से बात की और उन्‍होंने मुझे अपना स्वाभाविक खेल खेलने को कहा। अगले ओवर में मैंने चौका जड़ा और अंत में 38 रन बनाए जो विश्व कप फाइनल का सर्वोच्च स्कोर रहा।

श्रीकांत ने कहा, हमने सिर्फ 183 रन बनाए और कपिल देव ने भी हमें नहीं कहा कि ये रन पर्याप्त होंगे, लेकिन उन्होंने कहा कि हमें वेस्टइंडीज की राह जितनी संभव हो उतनी मुश्किल बनानी चाहिए। एक बार फिर दारोमदार उन्हीं पर था। उन्होंने विव रिचर्ड्स का कैच लपका। वेस्टइंडीज टक्कर देता रहा लेकिन हम जीतने में सफल रहे।
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