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Last Modified: न्यूयॉर्क , शुक्रवार, 16 सितम्बर 2016 (18:54 IST)

धोनी ने की ‘एमएस धोनी-द अनटोल्ड स्टोरी’ पर यह प्रतिक्रिया

धोनी ने की ‘एमएस धोनी-द अनटोल्ड स्टोरी’ पर यह प्रतिक्रिया - Cricket News, Mahendra Singh Dhoni, film, MS Dhoni The Untold Story,
न्यूयॉर्क। महेन्द्र सिंह धोनी चाहते थे कि उनके जीवन पर बनी फिल्म में उनकी यात्रा को दिखाया जाए लेकिन उनका गुणगान नहीं किया जाए और फिल्म के निर्देशक नीरज पांडे को ‘एमएस धोनी-द अनटोल्ड स्टोरी’ के शुरुआती चरण के दौरान भारत के सीमित ओवरों के कप्तान ने यही बात कही थी।
पत्नी साक्षी और निर्माता अरुण पांडे (जिनकी कंपनी धोनी का प्रबंधन करती है) के साथ अपनी फिल्म का प्रचार करने अमेरिका आए धोनी ने अपने जीवन और एक छोटे शहर के प्रतिभावान लड़के से भारत के सबसे सम्मानित कप्तानों में से एक बनने के बदलाव पर बात की। यह फिल्म दुनियाभर में 30 सितंबर को रिलीज होगी।
 
धोनी ने यहां फिल्म के प्रचार कार्यक्रम के दौरान कहा कि एक चीज मैंने पांडे (निर्देशक नीरज) को कही कि इस फिल्म में मेरा गुणगान नहीं होना चाहिए। यह पेशेवर खिलाड़ी के सफर के बारे में है और इसे यही दिखाना चाहिए। असल जीवन में वर्तमान में जीने वाले धोनी के लिए यह मुश्किल था कि वे अपने जीवन में पीछे जाएं और फिल्म के लिए कहानी नीरज को सुनाएं।
 
धोनी से जब यह पूछा गया कि क्या वे चिंतित हैं कि फिल्म देखने के बाद एक व्यक्ति और क्रिकेटर के रूप में दुनिया उन्हें किस तरह देखेगी? तो उन्होंने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है तथा शुरुआत में जब फिल्म की धारणा रखी गई तो मैं थोड़ा चिंतित था लेकिन एक बार काम शुरू होने के बाद मैं चिंतित नहीं था, क्योंकि मैं सिर्फ अपनी कहानी बयां कर रहा था। 
 
धोनी ने साथ ही अपने क्रिकेट जीवन के उन लम्हों को भी साझा किया जिनका उन पर बड़ा असर पड़ा। भारतीय कप्तान ने कहा कि 2007 विश्व कप में हार और उनके तथा टीम के खिलाफ प्रतिक्रिया का उन पर गहरा असर पड़ा और कुछ हद तक यह अनुभव उनके जीवन का टर्निंग प्वॉइंट रहा।
 
उन्होंने कहा कि जब टीम क्रिकेट मैच हारती है तो भारत में समझा जाता है कि वे ऐसे लोग हैं जिन्होंने कोई अपराध किया है या वे हत्यारे या आतंकवादी हैं। उन्होंने 2007 विश्व कप के पहले दौर से बाहर होने के बुरे समय को भी याद किया, जब लोगों ने उनके घर पर पत्थर बरसाए थे।
 
धोनी ने स्वीकार किया कि उनकी कप्तानी उनकी दिल की आवाज अधिक है, क्योंकि उन्होंने जीवन के अनुभव से काफी कुछ सीखा है।
 
यह पूछने पर कि क्या वे खुद अपनी भूमिका निभा सकते थे? तो धोनी ने कहा कि अभिनय काफी मुश्किल काम है जिसे अभिनेताओं पर छोड़ देना चाहिए जिन्हें पता है कि क्या करना है? धोनी ने कहा कि खड़गपुर रेलवे स्टेशन में टीटीई के रूप में काम करने ने उन्हें कड़ा बनाया और वे बेहतर व्यक्ति बने।
 
आत्मकथा के बारे में पूछने पर धोनी ने कहा कि किताब लिखने में अधिक प्रयास लगते हैं और ऐसा करने में समय लगेगा। किताब अपना समय लेगी। किताब लिखने की धारणा असल में फिल्म से पहले आई थी लेकिन इसके लिए अधिक प्रयास की जरूरत है। किताब अधिक विस्तृत होगी। (भाषा) 
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