एशियाई गुट के निशाने पर स्पीड?
आईसीसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मैल्कम स्पीड के समय से पहले पद छोड़ने में एशियाई गुट ने दक्षिण अफ्रीका और जिम्बॉब्वे के क्रिकेट बोर्डों के साथ मिलकर अहम भूमिका निभाई क्योंकि इनका मानना था कि यह ऑस्ट्रेलियाई उनके साथ भेदभाव करता है।आईसीसी अध्यक्ष रे माली और अन्य सदस्य बोर्डों के साथ बुनियादी मतभेद के कारण स्पीड को जून में अपने कार्यकाल के समाप्त होने से दो माह पहले ही सवेतनिक अवकाश पर जाना पड़ा।पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के सूत्रों ने खुलासा किया है कि पीसीबी ने अपने एशियाई समकक्षों भारत, बांग्लादेश और श्रीलंका के अलावा दक्षिण अफ्रीका तथा जिम्बॉब्वे के बोर्डों के साथ मिलकर स्पीड को जाने के लिए बाध्य किया।पीसीबी सूत्र ने कहा कि इन छह बोर्डों का मानना है कि स्पीड का रवैया उनके प्रति कुछ मद्दों विशेषकर जिम्बॉब्वे क्रिकेट यूनियन (जेडसीयू) की कार्यशैली की वित्तीय रिपोर्ट पर भेदभाव पूर्ण है। एक सूत्र ने कहा कि स्पीड को छुट्टी पर भेजने का फैसला हाल में मुंबई में इंडियन प्रीमियर लीग की शुरुआत के दौरान किया गया।सूत्र ने कहा कि स्पीड और कार्यकारी बोर्ड के रिश्ते दुबई में हुई पिछली बैठक में निर्णायक मोड़ पर पहुँच गए थे जहाँ जेडसीयू रिपोर्ट पर चर्चा की गई और इसे मंजूर कर लिया गया।सूत्र ने कहा कि स्पीड को कहा गया कि मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में मीडिया से बात करते समय उन्हें स्पष्ट तौर पर कहना होगा कि जेडसीयू आडिट रिपोर्ट में किसी भी तरह की वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा नहीं हुआ है लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इंकार कर दिया और सभी नियमों को तोड़ते हुए ऐसी तस्वीर पेश की कि कुछ सदस्य जेडसीयू को बचाने का प्रयास कर रहे हैं।उन्होंने कहा कि यहाँ तक कि विवादास्पद अंपायर डेरल हेयर को दोबारा आईसीसी पैनल में शामिल करने में भी स्पीड ने कुछ सदस्यों के विरोध के बावजूद पक्षपातपूर्ण भूमिका निभाते हुए उन्हें टेस्ट में अंपायरिंग करने का दर्जा दिला दिया।