गुरुवार, 28 मार्च 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. ज्योतिष
  3. लाल किताब
  4. laal kitab ke upay
Written By अनिरुद्ध जोशी

लाल किताब के अनुसार पितृदोष के कारण, लक्षण और 3 उपाय

लाल किताब के अनुसार पितृदोष के कारण, लक्षण और 3 उपाय - laal kitab ke upay
लाल किताब के अनुसार जब किसी कुण्डली में शुक्र, बुध या राहु दूसरे, पांचवें, नौवें अथवा बारहवें भाव में हों तो जातक पितॄ ऋण से पीड़ित माना जाता है। खासकर नौवें से पता चलता है कि जातक पिछले जन्म में क्या करके आया है। यदि नौवें घर में शुक्र, बुध या राहु है तो यह कुंडली पितृ दोष की है। 
 
इसके अलावा लाल किताब में दशम भाव में बृहस्पति को श्रापित माना गया है। सातवें भाव में बृहस्पति होने पर आंशिक पितृ दोष होता है। यदि लग्न में राहु बैठा है तो सूर्य कहीं भी हो उसे ग्रहण होगा और यहाँ भी पितृ दोष होगा। चन्द्र के साथ केतु और सूर्य के साथ राहु होने पर भी पितृ दोष होगा।
 
कारण : घर के पितरों या बडों ने पारिवारिक पुजारी बदला होगा। घर के पास में किसी मंदिर में तोडफोड हुई होगी या कोई पीपल का पेड़ काटा गया होगा। पिछले जन्म में आपने कोई पाप किया होगा। आपके पूर्वजों ने कोई पाप किया होगा जिसका परिणाम आपको भुगतना पड़ रहा है।
 
लक्षण : गृह कलह इसका मुख्‍य लक्षण है। दूसरा लाख मेहनत करने के बाद भी सफलता नहीं मिलती है। विवाह देर से होता है और यदि जल्दी हो जाए तो संतान देर से होती है और यदि संतान हो जाए तो निकम्मी निकलती है या इतने दुःख देती है कि आप सोचते हैं कि मैं मर जाऊं तो अच्छा है।
 
उपाय: 
1. परिवार के सभी सदस्यों से सिक्के के रूप में पैसे इकट्ठा करें और किसी दिन पूरे पैसे मंदिर में दान कर दें।
 
2. यदि आपके पड़ोस या घर में कोई पीपल का पेड़ हो तो उसे पानी दें और उसकी सेवा करें।
 
3. प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें। मांस-मदिरा से दूर रहें और आचरण को शुद्ध रखें।