गृहस्थ सुख का अर्थ यह कि वैवाहिक जीवन में रहकर सभी तरह के सुख भोगना। यह संभव होता है शुक्र की अच्छी स्थिति से। शुक्र, भोग-विलास, सांसारिक सुख, प्रेम, मनोरंजक, व्यवसाय, पत्नी का कारक ग्रह है। प्रमेह, मूत्राशय, चर्म, सेक्स संबंधी बीमारी से इसका सीधा संबंध है। आओ जानते हैं कि लाल किताब इस संबंध में क्या कहती है।
1. शुक्र जन्म कुण्डली में सोया हुआ है तो स्त्री सुख में कमी आती है। कन्या का शुक्र नीच का और मीन का शुक्र उच्च का होता है। तुला का शुक्र सम होता है। शनि की राशियों में भी शुक्र सही होता है।
2. राहु अगर सूर्य के साथ योग बनाता है तो शुक्र मंदा हो जाता है जिसके कारण आर्थिक परेशानियों के साथ-साथ स्त्री सुख भी नहीं रहता।
3. लग्न, चतुर्थ, सप्तम एवं दशम भाव को बंद मुट्ठी का घर कहा गया है। इन भाव के अतिरिक्त किसी भी अन्य भाव में शुक्र और बुध एक दूसरे के आमने सामने बैठे हों तो शुक्र पीड़ित होकर मन्दा प्रभाव देने लगता है। इस स्थिति में शुक्र यदि द्वादश भाव में होता है तो मन्दा फल नहीं देता है।
4.कुण्डली में खाना संख्या एक में शुक्र हो और सप्तम में राहु हो तो शुक्र मंदा हो जाएगा। जिसके कारण दाम्पत्य जीवन का सुख नष्ट हो जाएगा। लाल किताब के टोटके के अनुसार इस स्थिति में गृहस्थ सुख हेतु घर का फर्श बनवाते समय कुछ भाग कच्चा रखना चाहिए।
5.ग्रह अगर एक दूसरे से छठे और आठवें घर में होते हैं तो टकराव के ग्रह बनते हैं। सूर्य और शनि कुण्डली में टकराव के ग्रह बनते हैं तब भी शुक्र मंदा फल देता है जिससे गृहस्थी का सुख प्रभावित होता है। पति पत्नी के बीच वैमनस्य और मनमुटाव रहता है।
6.शुक्र के समान मंगल पीड़ित होने से भी वैवाहिक जीवन का सुख नष्ट होता है। कुण्डली में मंगल 1, 4, 7, 8 और खाना संख्या 12 में उपस्थित हो तो मंगली दोष बनाता है। इस दोष के कारण पति पत्नी में सामंजस्य की कमी रहती है। एक दूसरे से वैमनस्य रहता है। जीवनसाथी का स्वास्थ्य प्रभावित होत है। शुक्र का मंगल के साथ किसी भी प्रकार का संयोग भी यह स्थिति उत्पन्न करता है। अगर कुण्डली में मंगल दोषपूर्ण हो तो विवाह के समय घर में भूमि खोदकर उसमें तंदूर या भट्ठी नहीं लगानी चाहिए। इस स्थिति में व्यक्ति को मिट्टी का खाली पात्र चलते पानी में प्रवाहित करना चाहिए।
7.अगर आठवें खाने में मंगल पीड़ित है तो किसी विधवा स्त्री से आशीर्वाद लेना चाहिए। कन्या की कुण्डली में अष्टम भाव में मंगल है तो रोटी बनाते समय तबे पर ठंडे पानी के छींटे डालकर रोटी बनानी चाहिए।
8. जन्मपत्री में शुक्र मंदा होने पर व्यक्ति को 25 वर्ष से पूर्व विवाह नहीं करना चाहिए।
9.सूर्य और शुक्र के योग से शुक्र मंदा होने पर व्यक्ति को कान छिदवाना चाहिए। संयम का पालन करना चाहिए। परायी स्त्रियों से सम्पर्क नहीं रखना चाहिए।
10.कुण्डली में शुक्र से छठे खाने में बैठे ग्रह का उपाय करने से दाम्पत्य जीवन में खुशहाली आती है। इस उपाय से पति पत्नी के बीच आपसी सामंजस्य स्थापित होता है।
11.दाम्पत्य जीवन में परस्पर प्रेम और सामंजस्य की कमी होने पर शुक्रवार के दिन जीवनसाथी को सुगंधित फूल देना चाहिए। कांटेदार फूलों को घर के अंदर गमले में नहीं लगाना चाहिए इससे भी पारिवारिक जीवन अशांत होता है। विवाह के पश्चात स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियां बढ़ने पर कपिला गाय के दूध का दान करना चाहिए. जीवनसाथी को सोने का कड़ा पहनाने से भी लाभ मिलता है।
12. सुखमय वैवाहिक जीवन के लिए पति पत्नी को अपने सोने की चारपायी के सभी पायों में शुक्रवार के दिन चांदी की कील ठोंकनी चाहिए। सुखमय वैवाहिक जीवन के लिए कुण्डली में अगर शुक्र के मुकाबले का कोई ग्रह बलवान है तो उसे दबाने का उपाय करना चाहिए।
13.विवाह में बार बार बाधाएं और रूकावट आने पर व्यक्ति को सुनसान भूमि में लकड़ी से जमीन खोदकर नीले रंग का फूल दबाना चाहिए। शनि के दुष्प्रभाव के कारण विवाह में विलम्ब हो रहा है तो शनिवार के दिन लकड़ी से भूमि खोदकर काला सुरमा दबाना चाहिए।
14. अपने भोजन का हिस्सा झूठा करने से पहले निकालकर गाय को दें। सफेद वस्त्र का प्रयोग करें। चांदी, चावल, दूध, दही, श्वेत चंदन, सफेद वस्त्र तथा सुगंधित पदार्थ किसी पुजारी की पत्नी को दान करें। छोटी इलायची का सेवन करें। घर में तुलसी का पौधा लगाएं। श्वेत चंदन का तिलक करें। पानी में चंदन मिलाकर स्नान करें। शुक्रवार के दिन गाय/गौशाला में हरा चारा दें। चांदी का टुकड़ा या चंदन की लकड़ी नदी या नहर में प्रवाहित करें। सुगंधित पदार्थ का इस्तेमाल करें।